आज शहरों और यहां तक कि गांवों में भी पीने के साफ पानी के लिए आरओ वाटर प्यूरीफायर की मांग तेजी से बढ़ी रही है. लगभग हर घर में आरओ वाटर प्यूरीफायर लगाए जा रहे हैं. आरओ वाटर प्यूरीफायर करीब तीन लीटर पानी में से एक लीटर ही साफ पानी देता है, जबकि बाकी बर्बाद हो जाता है. पीने और खाना पकाने के लिए अगर 30 से 35 लीटर आरओ ताजे पानी का उपयोग करता है और यह तीन गुना (35x3) 105 लीटर पानी दिखाता है जो आरओ वाटर प्यूरीफायर द्वारा छोड़ा जाता है, इस पानी को अधिकांश घरों से सीवेज में फेंक दिया जाता है. लेकिन एमबीबीएस डॉ. राखी आनंद अग्रवाल रोजाना 90 लीटर से अधिक वेस्ट वाटर बचाती हैं.
राखी को कहां से मिली प्रेरणा?
एमबीबीएस डॉ. राखी ने इंडिया टुडे को बताया कि एक दिन वह रसोई में खड़ी थीं और उनकी नौकरानी ने एक पानी की बोतल में आरओ का ताजा पानी भर दिया. तब उन्होंने देखा कि आरओ प्यूरीफायर से निकलने वाले ताजे पानी की स्पीड आरओ प्यूरीफायर से निकलने वाले वेस्ट पानी की तुलना में बहुत कम थी. फिर डॉ. राखी ने गूगल पर काफी रिसर्च किया कि कैसे इस बर्बाद हो रहे पानी को फिर से इस्तेमाल किया जा सके. क्या इसका फिर इस्तेमाल कर सकते हैं?
उन्होंने आरओ से बर्बाद पानी के री-साइकिल के बारे में डिटेल्स जानकारी प्राप्त करने के लिए इंटरनेट पर कई आर्टिकल पढ़े और रिसर्च के बाद, इस बर्बाद हो रहे पानी को बचाने और कई कामों फिर से इस्तेमाल करने का फैसला लिया.
RO प्यूरीफायर द्वारा छोड़े गए पानी का कैसे इस्तेमाल करती हैं डॉ. राखी?
इंडिया टुडे ने डॉ. राखी से पूछा कि आप आरओ वाटर प्यूरीफायर से निकलने वाले अपशिष्ट पानी का उपयोग कैसे करती हैं. उन्होंने कहा कि वह इस अपशिष्ट पानी का उपयोग अपने घर में फर्श साफ करने, पौधों को पानी देने, एम्बुलेंस और कारों को धोने के साथ-साथ बर्तन साफ करने में भी करती हैं. इस तरह वे रोजाना 90 लिटर पानी फिर से इस्तेमाल कर बचा लेती हैं. आप भी डॉ. राखी की तरह इस पानी को फिर से इस्तेमाल कर सकते हैं.