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मदरसों में कैसे पढ़ रहे हैं हिंदू बच्चे? सर्वे से होगा खुलासा, जानिए क्या है आगे का प्लान

उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. सुचिता चतुर्वेदी का कहना है कि मैंने 3 जनवरी को उरई का दौरा किया तो इस दौरान अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने माना कि मदरसों में हिंदू बच्चे भी पढ़ते हैं. उन्होंने कहा कि इस सर्वे में जो बच्चे सामने आएंगे उनको आरटीई के तहत एडमिशन में मिलेगा.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर

मदरसों में गैर-मुस्लिम बच्चों के सर्वे की मांग के बाद उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग हरकत में आया है. आयोग ने मदरसों में पढ़ने वाले गैर मुस्लिम बच्चों की पढ़ाई, स्थिति और वे वहां कैसे पढ़ने आए आदि पर एक पत्र जारी किया है. इस पत्र में मदरसों में पढ़ने वाले हिंदू बच्चों को हटाने की बात कही गई है. उन बच्चों को राइट टू एजुकेशन (RTE) के तहत एडमिशन दिया जाएगा.

उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग की सदस्य डॉ. सुचिता चतुर्वेदी का कहना है कि मदरसों में हिंदू और मुसलमान बच्चे ही पढ़ते हैं. मुस्लिम बच्चों को धर्म की शिक्षा देने के लिए मदरसे खोले गए थे. धर्म की जो इस्लामिक शिक्षा दी जानी है उसके लिए मदरसा खोला गया तो हिंदू बच्चे वहां कैसे आए इसकी जानकारी के लिए राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग ने यह पत्र जारी किया है.

उन्होंने आजतक को बताया कि मैंने 3 जनवरी को उरई का दौरा किया तो इस दौरान अल्पसंख्यक कल्याण अधिकारी ने माना कि मदरसों में हिंदू बच्चे भी पढ़ते हैं. इसलिए हमने जिले की बाल समिति से उनके परिवार की एक सर्वे रिपोर्ट तैयार करने को कहा है.

डॉ. सुचिता का मानना है कि आज मदरसों के आधुनिकीकरण की बात तो हो रही है लेकिन अभी मदरसे आधुनिक नहीं हुए हैं. मदरसों में जो शिक्षा दी जा रही है वह भी इस्लामिक शिक्षा दी जा रही है. मदरसों में जो शिक्षक हैं वह अपने मदरसे से ही पढ़े हुए हैं और मदरसे से पढ़ने के बाद उनके पास अरबी, उर्दू, फारसी की ही शिक्षा है. मदरसों में पढ़ाने वाले शिक्षक किसी दूसरे विषय के विशेषज्ञ है ही नहीं. इनको गणित नहीं आती, इन को इंग्लिश नहीं आती, इनको कोई भी दूसरा विषय नहीं आता. अभी आधुनिकीकरण हो रहा है हुआ नहीं है और जब तक आधुनिकीकरण नहीं हो जाएगा तब तक दूसरे धर्म के बच्चे उस मदरसे में नहीं पढ़ेंगे.

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उत्तर प्रदेश राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग सभी मदरसों में हिंदू बच्चों की संख्या और बच्चे वहां किन परिस्थितियों में हैं? पर रिपोर्ट तैयार करेगा. डॉ. सुचिता ने कहा, 'मदरसों में गरीब बच्चे पढ़ते हैं तो गरीब बच्चों को शिक्षा देने के लिए हमारे यहां राइट टू एजुकेशन है जिसके लिए अच्छे स्कूलों में बच्चों को मुफ्त शिक्षा प्राप्त करेगा. इस सर्वे में जो बच्चे सामने आएंगे उनको आरटीई के तहत एडमिशन में मिलेगा.'

उन्होंने आगे कहा कि संस्कृत विद्यालय में मुस्लिम बच्चा पढ़ने नहीं जाता. संस्कृत विद्यालय में कक्षा 8 तक सभी विषयों की पूरी शिक्षा देते हैं, ना सिर्फ संस्कृत पढ़ाते हैं सभी विषय पढ़ाए जाते हैं, लेकिन मदरसों में इन बच्चों को सिर्फ धर्म शिक्षा भी दी जाती है. अभी पत्र आया है. हम जल्द काम शुरू करेंगे और एक-दो महीने में अपनी रिपोर्ट तैयार कर लेंगे.

बता दें कि राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने 08 दिसंबर 2022 सभी राज्यों के मुख्य सचिव और राज्य बाल आयोग के अध्यक्ष को पत्र लिखकर गैर-मुस्लिम बच्चों को शिक्षा देने वाले मदरसों के सर्वे की मांग की थी. उन्होंने पत्र में लिखा था कि मदरसों में बड़े पैमाने पर गैर मुस्लिम बच्चों को सिर्फ धर्म की शिक्षा दी जा रही है. ऐसे बच्चों की सर्वे रिपोर्ट मांगी गई है. मदरसों में पढ़ने वाले गैर मुस्लिम बच्चों को राइट टू एजुकेशन के तहत दूसरे स्कूलों में एडमिशन कराने के लिए कहा गया है.

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