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Delhi University: डीयू के कॉलेजों में कर्मचारियों की नियुक्ति में गड़बड़ी, शिक्षा मंत्री ने दिए जांच के आदेश

दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित डीयू के 12 कॉलेजों में गंभीर अनियमितताओं की जांच करने का निर्देश दिया है. सूचना है कि इन कॉलेजों ने सरकार के नियम का पालन ना करते हुए शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों की नियुक्ति की है. उन्हें हर महीने वेतन भी दिया जा रहा है.

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Delhi University
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दिल्ली यूनिवर्सिटी के 12 कॉलेजों में नियुक्ति से जुड़ी गड़बड़ी का मामला सामने आया है, जिसके बाद दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी मार्लेना सिंह ने जांच के आदेश दिए हैं. इन 12 कॉलेजों को सरकार द्वारा फंड दिया जाता है. इन कॉलेजों में 1,897 कर्मचारियों को नियुक्ति गड़बड़ी से की गई थी, जिनको साल 2015 से ही लगातार वेतन भी दिया जा रहा है. 

डीयू के 12 कॉलेजों की होगी जांच

दिल्ली की शिक्षा मंत्री आतिशी ने सचिव (उच्च शिक्षा) को दिल्ली सरकार द्वारा वित्त पोषित डीयू के 12 कॉलेजों की गंभीर अनियमितताओं की जांच करने का निर्देश दिया है. कॉलेजों ने 1,897 कर्मचारियों को नियुक्त किया था जिसमें 939 शैक्षणिक और 958 गैर-शिक्षण पद पर थे. यह नियुक्तियां जीएनसीटीडी अनुमोदन के बिना, स्पष्ट रूप से स्थापित सरकारी प्रक्रियाओं और नियमों का उल्लंघन है. इन शिक्षकों को नियुक्त करते वक्त डीयू ने किसी भी नियम को फॉलो नहीं किया गया था.

शिक्षा मंत्री ने दिए जांच के बाद वेतन वसूली के आदेश

उच्च शिक्षा मंत्री ऐसे शिक्षकों को नियुक्त करने वाले प्राचार्यों और अधिकारियों की पहचान करने और उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का निर्देश दिया है. ताकि इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा सके और अवैध रूप से नियुक्त स्टाफ सदस्यों के 2015 से वेतन की वसूली भी की जा सके. दिल्ली की उच्च शिक्षा मंत्री आतिशी ने जीएफआर प्रावधानों का उल्लंघन करने वाले अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की है. आतिशी ने कहा, "इन कॉलेजों को सरकारी पैसा दिया जाता है, इसके दुरउपयोग के लिए उन्हें जवाबदेह ठहराया जाना चाहिए.

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बिना GFR के बांटे सुरक्षा और सफाई से जुड़े करोड़ों के कॉन्ट्रैक्ट

इसके अलावा यह भी सामने आया है कि कॉलेजों ने एटीआर जमा नहीं किया है. अब कॉलेज को सरकार से मिलने वाले पैसा का हिसाब देना होगा जो कि कॉलेजों द्वारा नहीं दिया जा रहा था. इसके अलावा सुरक्षा और सफाई से जुड़े करोड़ों के कॉन्ट्रैक्ट बिना GFR के बांटे गए थे, इसके अलावा कई नियमों का उल्लंघन करते हुए GNCTD द्वारा बनाए गए साथ ही 'Pattern of Assistance' नियम को भी तोड़ा गया.

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