
CBSE की नई मार्किंग पॉलिसी को लेकर छात्रों के मन में कई सवाल और आशंकाएं अभी भी हैं. कई छात्रों ने दसवीं बोर्ड परीक्षाओं का 60% वेटेज के बाद 12वीं में आंतरिक मूल्यांकन और व्यावहारिक परीक्षाओं पर 40 % वेटेज की मांग की है. आइए जानते हैं कि मार्किंग क्राइटेरिया आने के बाद ऐसे कौन से सवाल और चिंताएं हैं, स्टूडेंट्स जिनका जवाब तलाश रहे हैं.
'11वीं का 30 पर्सेंट वेटेज इनके लिए ठीक नहीं'
शिक्षाविद व एल्कॉन इंटरनेशनल स्कूल में सीनियर टीचर राजीव झा ने कहा कि सीबीएसई की ओर से क्लास 12 बोर्ड एग्जाम कैंसिल करने के बाद सारे स्टेकहोल्डर्स स्टूडेंट्स, टीचर्स और पेरेंट्स सबकी नजर फाइनल असेसमेंट क्राइटेरिया पर टिकी हुई थी. इसका आज पूरा आउटलाइन क्लियर हो गया है. इस असेसमेंट क्राइटेरिया में संचयी (cumulative) रिजल्ट का पैरामीटर है, इसमें दसवीं के बेस्ट ऑफ 3 सब्जेक्ट्स, 30% क्लास 11 के फाइनल एग्जाम के थ्योरी मार्क्स और 40% क्लास 12 के पिरियोडिक टेस्ट, मिड टर्म और प्री बोर्ड के थ्योरी के नंबरों को कंसीडर किया गया है. इसमें इंटरनल/ प्रैक्टिकल मार्क्स स्कूल के द्वारा भेजे जाएंगे.
ये असेसमेंट क्राइटेरिया बैलेंस और फेयर करने के मद्देनजर बनाया गया है, जिसमें एक नॉन पैनडेमिक इयर ( class X board exam, 2019 ) को शामिल किया गया हैर, वहीं दो पैनडेमिक इयर class xi, xii (2020,2021) को लिया गया है. ये असेसमेंट क्राइटेरिया उन स्टूडेंट्स के लिए काफी मददगार है जो पढ़ाई में लगे थे. साथ ही उनको भी फायदा पहुंचाएगा जिन्होंने कक्षा दसवीं, 11वीं और 12वीं के इंटरनल टेस्ट में अच्छे नंबर हासिल किए हैं.
उन्होंने कहा कि लेकिन मार्किंग स्कीम में 11वीं के मार्क्स के वेटेज को लेकर साइंस स्टूडेंट्स की चिंता लाजमी है. वजह यह है कि क्लास 11 में साइंस के छात्र प्रतियोगी परीक्षाओं की कोचिंग और तैयारी पर ज्यादा फोकस करते हैं. जिसके कारण क्लास 11 में उनके मा`र्क्स एवरेज आते हैं. क्लास 12वीं में भी क्लास प्रीबोर्ड एग्जाम के समय में भी इंजीनियरिंग कंपटीशन के लिए ज्यादा पढ़ते हैं. इसकी वजह है कि jee mains का पहला एग्जाम जनवरी में हो जाता है, इसीलिए प्रीबोर्ड में भी एवरेज मार्क्स आते हैं.

'प्रीबोर्ड के वेटेज पर भी सवाल'
कई छात्र पहले से ही सोशल मीडिया पर प्री बोर्ड के नंबरों को वेटेज देने को लेकर सवाल कर रहे हैं. छात्र आविश ने कहा कि ज्यादातर स्टूडेंट्स लास्ट के दो महीने में बोर्ड एग्जाम के लिए गंभीरता से पढ़ाई करते हैं. इससे उनके परिणाम काफी अच्छे आते हैं. ऐसे में कुछ अच्छे बच्चों को नुकसान भी हो सकता है. वहीं कई छात्रों ने महामारी के काल में या तो प्री बोर्ड एग्जाम नहीं दिया या कईयों ने ये एग्जाम बहुत गंभीरता से नहीं लिया.इसके अलावा प्रीबोर्ड और टर्म एग्जाम को लेकर भी कमोबेश छात्र इतना सीरियस नहीं रहते. हालांकि cbse ने ये भी कहा है जो अपने मार्क्स से संतुष्ट नहीं है वो बोर्ड एग्जाम दे सकते हैं. इसके पीछे शर्त रखी गई है कि हालात सामान्य होने पर ही ये परीक्षा हो पाएगी.
बता दें कि सीबीएसई 12वीं का फाइनल रिजल्ट 31 जुलाई तक आना है. इसमें कुछ बच्चे जो फॉरेन यूनिवर्सिटीज में एडमिशन लेना चाह रहे हैं. उनके लिए भी सीबीएसई कुछ विचार करे. कुल मिलाकर cbse अपने तरफ से असेसमेंट क्राइटेरिया, cumulative marks लेकर पारदर्शी बनाने की कोशिश की है.
12वीं एग्जाम को किसी एग्जाम से कंपेयर कैसे कर सकते हैं?
Class XIIth की छात्रा समृद्धि गौर का कहना है कि सीबीएसई ने अपना इवैल्यूएशन फॉर्मूला दे दिया है. चूंकि 12वीं कक्षा किसी भी छात्र के करियर का पहला मील का पत्थर है. उन्हें यह सुनिश्चित करने की आवश्यकता है कि वे विभिन्न कॉलेजों में प्रवेश लेने के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए भी तैयार हों, चाहे वह इंजीनियरिंग, मेडिकल या व्यवसाय या अकादमिक हो. इसलिए अधिकांश छात्र कक्षा 11वीं और 12वीं प्री बोर्ड के अलावा आंतरिक परीक्षाओं पर ध्यान केंद्रित नहीं करते हैं. उनके लिए 12वीं के फाइनल एग्जाम सबकुछ होते हैं. ऐसे में भला किस तरह उनका मूल्यांकन पुराने होम एग्जाम्स के आधार पर हो सकेगा.
वहीं 12वीं के छात्र विमर्श ने कहा कि छात्र इस फॉर्मूले को लेकर आशंकित है. छात्रों के लिए प्रमुख चिंता 11 वीं कक्षा के अंकों का 30% वेटेज है क्योंकि यह एक ऐसा चरण है जहां छात्र नये विषयों के साथ तालमेल बिठा रहे हैं. इसके कारण प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों जैसे डीयू में योग्यता आधारित प्रवेश एक समस्या होगी, हालांकि यदि विश्वविद्यालय स्कूलों के साथ समन्वय में काम करते हैं तो यह एक सफल निर्णय होगा.

10वीं बोर्ड को 60 प्रतिशत वेटेज क्यों नहीं
12वीं की छात्रा ऐशा का सवाल है कि होम एग्जाम के नंबरों से कहीं ज्यादा विश्वसनीय 10वीं बोर्ड के नंबर होते हैं. इसलिए CBSE को मूल्यांकन के लिए 10वीं कक्षा के प्रदर्शन पर अधिक ध्यान देना चाहिए. अब 10वीं, 11वीं और 12वीं के 30:30:40 अंक देने का क्राइटेरिया उन लोगों को लाभ पहुंचाएगा जिन्होंने सभी में अच्छा स्कोर किया है. लेकिन व्यापक अर्थों में बात की जाए तो अधिकांश छात्र जो 11 वीं कक्षा में प्रवेश करते हैं, उनके लिए सब नए विषय होते हैं, उन्हें अच्छे से समझने के लिए दो साल लग जाते हैं तब 12वीं की फाइनल परीक्षा होती है. इसलिए समिति 10वीं को 60 प्रतिशत वेटेज देकर 12वीं प्रीबोर्ड या कक्षा 11 के अंकों का वेटेज 10-15% तक हो सकता था.

लंबा फार्मूला, फिर इतनी जल्दी रिजल्ट कैसे आ जाएगा
छात्र देवांश कहते हैं कि मुझे लगता है कि सीबीएसई द्वारा निर्धारित मानदंड बहुत ही ऑब्जेक्टिव हैं. 10 वीं कक्षा के अंकों को मार्किंग क्राइटेरिया में शामिल करना अच्छा है क्योंकि 10 वीं कक्षा की परीक्षाएं पूरे देश में समान रूप से आयोजित की जाती हैं. इसके अलावा, इसके सर्वश्रेष्ठ -3 विषयों के अंक लेना एक ऐसा कदम है जो ग्रेड बढ़ाने में मदद करेगा. साथ ही रिजल्ट के लिए स्कूलों को कक्षा 12 के लिए यूनिट टेस्ट और मिड-टर्म का वेटेज देने का विकल्प भी है. लेकिन मेरा सवाल यह है कि यह पूरी प्रक्रिया जिसमें सभी 10वीं के बेस्ट थ्री नंबरों का वेटेज से लेकर मिड टर्म, 11वीं और 12वीं का प्री बोर्ड सभी परीक्षाओं के अंकों का वेटेज दिया जाना है. ऐसे में जब सोशल मीडिया में कई छात्र लिख रहे हैं कि उनके प्री बोर्ड नहीं हुए तो किस तरह बोर्ड इतने लंबे प्रोसेस को फॉलो करते हुए 31 जुलाई तक रिजल्ट घोषित कर देगा. फिर इसमें बोर्ड कितनी पारदर्शिता बरत पाएगा, यह भी देखना होगा.