प्रसिद्ध बंगाली कवि शंख घोष ने 21 अप्रैल को अंतिम सांस ली. घोष 89 वर्ष के थे और वो जांच में कोविड-19 पॉजिटिव पाए गए थे. प्रतिष्ठित ज्ञानपीठ और साहित्य अकादमी जैसे पुरस्कारों से सम्मानित शंख घोष कुछ समय से आयुजनित बीमारियों से पीड़ित थे. उन्हें इस साल जनवरी में भी अस्पताल में भर्ती कराया गया था.
शंख घोष ने 14 अप्रैल को कोरोनो वायरस परीक्षण कराया था जिसमें वो पॉजिटिव पाए गए. वो अपने घर में आइसोलेशन में रह रहे थे. 20 अप्रैल मंगलवार को उनकी अचानक तबीयत खराब हो गई. बुधवार की सुबह उन्हें वेंटिलेटर से हटा दिया गया. घोष ने आज सुबह करीब 11 बजे अंतिम सांस ली.
शंख घोष जीबानंद दास के बाद बंगाली कवियों में श्रेष्ठ पंक्ति में गिने जाते थे. घोष ने कई वर्षों तक दिल्ली विश्वविद्यालय, आयोवा विश्वविद्यालय और विश्व भारती में अध्यापन कार्य भी किया था.
भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा ने ट्विटर पर प्रसिद्ध कवि को अपनी श्रद्धांजलि दी. बंगला में उनके ट्वीट में लिखा है, "मैं प्रसिद्ध बंगाली कवि शंख घोष के निधन से बहुत दुखी हूं, जिन्हें पद्म भूषण, साहित्य अकादमी पुरस्कार, रवीन्द्र पुरस्कार, सरस्वती पुरस्कार और ज्ञानपीठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया, उनकी आत्मा को शांति मिले.
शंख घोष को उनकी पुस्तक के लिए 1977 में साहित्य अकादमी पुरस्कार मिला. फिर उन्हें 1999 में दूसरे साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. 2011 में घोष को पद्म भूषण से सम्मानित किया गया था. बता दें कि बंगाल में अभी 3 चरणों का चुनाव बाकी है. राज्य में अब 22 अप्रैल, 26 अप्रैल और 29 अप्रैल को वोट डाले जाएंगे. नतीजे 2 मई को आएंगे. वहीं राज्य में कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए सभी राजनीतिक दल अपने स्तर पर तैयारी कर रहे हैं.