कोरोना से राष्ट्रीय लोकदल के मुखिया अजित सिंह के निधन के बाद अब पार्टी की कमान उनके बेटे जयंत चौधरी के हाथ सौंपे जाने की पूरी तैयारी है. पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सियासत में मजबूत पकड़ रखने वाले जयंत चौधरी को अब सियासी उत्तराधिकारी बनाया जा सकता है. आज (मंगलवार) को राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में इस पर मुहर लग जाएगी. आइए जानें- कौन हैं जयंत चौधरी, कहां से की है पढ़ाई, उनके परिवार में कौन-कौन हैं.
जयंत चौधरी का जन्म 27 दिसंबर 1978 को चौधरी अजीत सिंह और राधिका सिंह के घर अमेरिका के टेक्सास में हुआ था. वर्तमान में उनके पास राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के उपाध्यक्ष का पद है. अगर राजनीतिक करियर की बात करें तो वह 15वीं लोकसभा में उत्तर प्रदेश राज्य के मथुरा से सांसद चुने जा चुके हैं.
जयंत चौधरी ने लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पढ़ाई करने के बाद राजनीति में एंट्री ली थी. वो राजनीति के क्षेत्र में अपने पिता अजित सिंह को ही अपना गुरु मानते थे. उन्होंने किसानों से जुड़े कई मुद्दे उठाकर जाटलैंड में अपनी एक अलग पहचान बनाई. उनकी गिनती सियासत में उभरते चेहरों में होती रही है. यूपी की राजनीति में जयंत चौधरी अच्छी पकड़ रखते हैं.
जयंत की पर्सनल लाइफ की बात करें तो उनकी शादी चारू सिंह से हुई है. चारू सिंह पहले कार्पोरेट में नौकरी करती थीं, जो कि बाद में डिजाइनिंग की दुनिया में आ गईं. चारू सिंह ने एक बार इंडिया टुडे को दिए एक इंटरव्यू में बताया था कि कॉर्पोरेट वातावरण में ढाई साल बिताने के बाद, मुझे एहसास हुआ कि मैं वास्तव में मेरी मंजिल अलग थी. इसके बाद मैंने आभूषण, व्यापार और बाद में डिजाइनिंग में काम करना शुरू किया. जयंत और चारू की दो बेटियां भी हैं.
रालोद से जुड़े लोगों का मानना है कि जयंत में अपने पिता का अक्स साफ नजर आता है. बता दें कि जब चौधरी चरण सिंह की तबीयत खराब हुई तो अजित सिंह 1986 में अमेरिका से कंप्यूटर इंजीनियर की नौकरी छोड़कर भारत आ गए थे. इसके बाद उनके बेटे जयंत भी लंदन से पढ़कर भी 15 साल पहले राजनीति में आ गए. ऐसा कहा जाता है कि अजित सिंह की ही तरह जयंत को किसानों के मुद्दों की अच्छी समझ है.
जयंत चौधरी 15वीं लोकसभा में वो उत्तर प्रदेश के मथुरा लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र से सांसद रहे हैं. इससे पहले वह 2012 विधानसभा चुनाव में मांट से विधायक चुने गए थे. बता दें कि मांट विधानसभा सीट से बहुत मामूली अंतर से जयंत ने श्याम सुंदर शर्मा को हराया था. इसके बाद 2014 में हुए लोकसभा चुनाव में वह मथुरा से अभिनेत्री हेमा मलिनी से हार गए थे.
अपने दादा चौधरी चरण सिंह, पिता अजित सिंह के बाद तीसरी पीढ़ी के जयंत के कंधों में पार्टी की कमान ऐसे वक्त में आ रही है जब पार्टी के सामने कई चैलेंज हैं. ये वो दौर है जब आरएलडी का प्रतिनिधित्व न लोकसभा में है और न विधानसभा में. साल 2017 के विधानसभा चुनाव में आरएलडी का एकमात्र विधायक छपरौली क्षेत्र से चुना गया, बाद में उसने भी बीजेपी का दामन थाम लिया था. ऐसे में जयंत के सामने अपनी पार्टी की नींव को मजबूत करने की बड़ी जिम्मेदारी सामने है.
बता दें कि कोरोना काल में जयंत चौधरी भी एक बार कोविड-19 पॉजिटिव हो चुके हैं. साल 2020 अगस्त में जब वो हाथरस में पीड़ित लड़की के परिवार को न्याय दिलाने की मांग लेकर उसके गांव गए थे, उसी के बाद वो पॉजिटिव पाए गए. वहां वो कई लोगों के संपर्क में आए थे, अपने संपर्क में आए सभी लोगों से कोरोना जांच कराने को कहा था.