scorecardresearch
 

अक्सर डर से पतलून गीली कर देते हैं लोग... जानिए दिमाग से क्या है कनेक्शन?

डर के मारे पतलून गीली होना... कहावत तो सुनी ही होगी. ऐसे कई किस्से भी सुने देखे होंगे जब कोई बच्चा या बड़ा भयभीत अवस्था में अपने कपड़ों में ही यू‍रीन कर देता है. इसके पीछे के कारणों के बारे में जानिए एक्सपर्ट की राय.

Advertisement
X
प्रतीकात्मक फोटो (Getty)
प्रतीकात्मक फोटो (Getty)

डर किसको नहीं लगता, हम सबके किसी न किसी चीज का डर होता है. ऐसे में आपने अक्सर देखा होगा कि छोटे बच्चे डर के कारण पेशाब भी कर देते हैं. इस कड़ी में सिर्फ बच्चे शामिल नहीं है बल्कि बड़े भी कई बार डर के वक्त खुद पर कंट्रोल नहीं रख पाते. उनका गला सूखने लगता है या कई लोग तो डर कर पेशाब तक कर देते हैं.

ऐसे में आपके मन में भी ये सवाल जरूर होगा कि आखिर डर का दिमाग और शरीर से क्या कनेक्शन है. क्यों डरने के बाद पेट में गुड़गुड़ होना, पेशाब आना या पसीना आना आम बात हो जाती है. इसको लेकर राम मनोहर लोहिया अस्पताल के मनोचिकित्सक डॉक्टर लोकेश शेखावत ने बताया कि जब भी कोई ऐसी परिस्थिति आती है जो सामान्य नहीं है या जिसमे आदमी को मरने का, कुछ गलत होने का आभास होता है तो ऐसी परिस्थिति में व्यक्ति को एंजाइटी और डर महसूस होता है.

दरअसल, इसके दो कॉम्पोनेंट होते है. जैसे ही हम डरते हैं, वैसे ही बॉडी का ऑटोनोमिक सिस्टम हाइपर एक्टिवेट हो जाता है. इसकी वजह से पसीना आना, मुंह सूखना शुरू हो जाता है. यहां गौर करने वाली बात ये है कि ये तकलीफें आम दिनों में भी बच्चों से लेकर बुजुर्ग तक को होती हैं. जैसे एग्जाम से पहले बच्चा डरता है तो उसका मुंह सूखता है, सीने में दर्द, पेट खराब होना जैसी तकलीफ होने लगती है. पेट में मरोड़ होना, शरीर में कमजोरी महसूस होना, जल्दबाजी करना और बार बार वाशरूम जाने की जरूरत महसूस होती है.

Advertisement

क्यों अपराधी भी नहीं कर पाते 'कंट्रोल'
वहीं अपराधियों पर बात करते हुए डॉक्टर लोकेश बताते हैं कि जो अपराधी होते हैं. उनकी पर्सनेलिटी एंटी सोशल होती है और ये इंपल्सिव होते है. ऐसे में जब ये किसी अपराध को अंजाम देते हैं तब इन्हें अफसोस महसूस नहीं होता है. लेकिन जब परिस्थिति ऐसी होती है जिसमें इनका बचना मुश्किल हो जाता है या कहीं एनकाउंटर जैसी स्थिति हो तब बात इनकी जान पर बन आती है. उस वक्त भय से कई बार अपराधी पैंट तक गीली कर देते हैं. अपराध को अंजाम देते वक्त नहीं डरता है लेकिन गिरफ्त में आने के बाद उसे भय महसूस होता है. ऐसे में पुलिस रिमांड में या फिर एनकाउंटर के दौरान पेशाब तक कर देता है.

यूरिन ब्लैडर का दिमाग से कनेक्शन समझ‍िए 
सर गंगाराम हॉस्प‍िटल नई दिल्ली के वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट डॉ सुधीर चड्ढा कहते हैं कि ब्लैडर फुल होने के संदेश हमें दिमाग के जरिये प्राप्त होते हैं. हमारे ब्रेन स्टेम के फ्रंटल लोब ये संदेश मिलने पर हमसे आदेश का पालन करने को कहते हैं. लेकिन भय की स्थ‍िति में लिम्बिक सिस्टम से विद्युत संकेत काफी तीव्र हो जाते हैं. डॉ चड्ढा कहते हैं कि सिर्फ डर से यूरिन निकल जाना ही नहीं, याद कीजिए कि परीक्षा हॉल में प्रतियोगी परीक्षा देते हुए लोग बार बार वाशरूम जाते हैं, उन्हें बार बार इसका संदेश मिलता है. 

Advertisement

इसे इस तरह समझ सकते हैं कि हमारे ब्लैडर को कंट्रोल करने के लिए हमारे ब्रेन एरिया में एक अलग तरह का सिस्टम काम करता है. इसमें ब्रेन स्टेम का एक क्षेत्र जिसे पोंटाइन मिक्चरिशन सेंटर के रूप में जाना जाता है, वो मूत्राशय के साथ लगातार संपर्क में रहता है.  यहां से ही ब्रेन को मैसेज मिलता है कि यूरिन प्रेशर कब बन रहा है और इसी के अनुसार हम प्राइमरी डिसिजन ले सकते हैं कि हम कितनी देर में जा सकते हैं. ये सेंटर सिर्फ हमें मैसेज भेजने का काम करता है, इसका नियंत्रण हमारी यूरिन की आदतों पर नहीं है.

जब भी हमारा यूरिन ब्लैडर भर जाता है, इन संदेशों के अलावा शरीर को भी एक असहजता होती है, जिसके कारण हम यूरिन पास करने के लिए जाते हैं. लेकिन हम इस पर कंट्रोल कर सकते हैं. क्योंकि हमारा प्रीफ्रंटल कॉर्टेक्स ब्रेनस्टेम को एक निरोधात्मक संकेत भेजकर पेशाब करने की इच्छा को ओवरराइड करने की क्षमता रखता है. लेकिन तनावपूर्ण परिस्थितियां अलग होती हैं.  जब कोई अचानक भयभीत हो जाता है तो लिम्बिक सिस्टम से इलेक्ट्र‍िकल सिग्नल इतने तीव्र हो जाते हैं कि ब्रेनस्टेम को फ्रंटल लोब के आदेशों का पालन करने में काफी परेशानी होती है.

यही कारण है कि बहुत से लोग महत्वपूर्ण परीक्षाओं के दौरान अधिक बार वाशरूम जाते हैं. इसके अलावा जानलेवा स्थितियों में, लिम्बिक सिस्टम के आदेश इतने जरूरी हो जाते हैं कि व्यक्त‍ि यूरिन रोक ही नहीं पाता. तभी कोई भय की स्थ‍िति में अचानक यूरिन पास कर देता है, इस समस्या को 'डर के मारे पैंट गीली' जैसी कहावतों में भी दर्शाया गया है. 

Advertisement

(Inputs: Neetu Jha)

 

Advertisement
Advertisement