अक्टूबर से जनवरी-फरवरी के बीच आसमान में एक धुंध सी छाई रहती है. ये आम बोलचाल का एक लफ्ज है. मौसम वैज्ञानिकों के मुताबिक इसके कई प्रकार हैं और इन्हें अलग-अलग नाम से जाना जाता है. यानी वातावरण में जब विजिबिलिटी कम होती है तो उसे कई नाम से जाना जाता है. जैसे- Fog, Mist, Haze and Smog. लेकिन आसमान में छाई धुंध के लिए इतने लफ्ज क्यों इस्तेमाल होते हैं? आइये जानते हैं इनमें फर्क.
Mist और Fog
Mist और Fog हवा में पानी की बूंदों के कारण होता है, इनमें फर्क सिर्फ इतना है कि आप कितनी दूर तक देख सकते हैं. Haze वायु प्रदूषण से सूर्य के प्रकाश का प्रतिबिंब है, जबकि Smog तब होता है जब प्रदूषण निचले स्तर पर ओजोन का कारण बनता है. यानी Mist और Fog मौसमी में बदलाव से जुड़े हुए हैं. जबकि Haze और Smog का संबंध मौसम के साथ प्रदूषण से है.
Mist और Fog तब होते हैं, जब हवा में पानी की बूंदें होती हैं और गर्म पानी हवा में जल्दी ठंडा हो जाता है, तब बूंदें अदृश्य से दृश्य हो जाती हैं. तो ये Mist या Fog कहलाते हैं. इन दोनों में फर्क विजिबिलिटी के आधार पर है. एयरलाइन उद्योग में कोहरे की परिभाषा के अनुसार, 1000 मीटर से अधिक न देख पाने पर कोहरा कहा जाता है. वहीं, आम लोगों के लिए 200 मीटर से कम विजिबिलिटी हो तो कोहरा कहलाता है. हालांकि कोहरे भी कई तरह के होते हैं. वहीं, इस तय मानक से ज्यादा अगर आप देख पा रहे हैं, यानी आम लोग 200 मीटर से ज्यादा भी देख पा रहे हैं तो धुंध कहलाएगा.
Haze और Smog
Mist और Fog तब होता है जब पानी की बूंदें हवा में लटकती हैं और Haze तब होता है जब प्रदूषण के कण हवा में लटकते हैं. ज्यादातर Haze प्रदूषण के मूल स्रोत से दूर के क्षेत्रों में होता है, जो हवा की धाराओं द्वारा आगे पहुंच जाते हैं और एकत्रित हो जाते हैं. जैसे पंजाब-हरियाणा में जलने वाली पराली ता धुंआ दिल्ली तक पहुंचता है और दिल्ली की हवा को बिगाड़ता है. Haze तब बनता है, जब प्रकाश वायुजनित प्रदूषण कणों को परावर्तित करता है और दृश्यता में बाधा उत्पन्न करता है. Haze के स्रोत की बात की जाए तो इसमें आग से निकलने वाले धुएं के कण होते हैं, लेकिन ये प्रदूषक अक्सर मानव निर्मित होते हैं.
Smog की बात करें तो "स्मॉग" शब्द पहली बार 20वीं सदी की शुरुआत में लंदन में शहर को कवर करने वाले निम्न स्तर के प्रदूषण का वर्णन करने के लिए गढ़ा गया था. स्मॉग वह चीज़ है जिससे आपको खांसी और आंखें में जलन होती है. ऐसा इसलिए है क्योंकि यह मुख्य रूप से ओजोन से बनी है. जब कुछ प्रदूषक तत्व हवा में प्रवेश करते हैं और नाइट्रोजन ऑक्साइड की तरह-वे सूर्य के प्रकाश के साथ प्रतिक्रिया करके ओजोन बनाते हैं. जब ऊपर वायुमंडल में यह उच्च हो तो अच्छी बात है लेकिन जब हम इसमें सांस ले रहे होते हैं तो यह उतना अच्छा नहीं होता. इससे आंख से लेकर क्रोनिक अस्थमा तक हर चीज हो सकती है और इससे कृषि क्षेत्रों की उत्पादकता पर भी गंभीर प्रभाव पड़ सकता है.