उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग (UPPSC) की पीसीएस प्री, आरओ-एआरओ की तैयारी कर रहे छात्र प्रयागराज में प्रदर्शन कर रहे हैं. प्रदर्शन करने की वजह है दो दिन में होने वाली परीक्षा. ऐसे में सवाल है कि अगर दो शिफ्ट में परीक्षा हो रही है तो उसमें दिक्कत क्या है? दो दिन में आयोजित होने वाली परीक्षा में अभ्यर्थी अलग-अलग दिन जाकर परीक्षा दे सकते हैं. लेकिन, मामला इतना आसान नहीं है, जितना लग रहा है. तो उन छात्रों से ही समझते हैं कि आखिर ये मामला है क्या और अभ्यर्थी प्रदर्शन क्यों कर रहे हैं. साथ ही जानते हैं कि उनकी मांगे क्या हैं...
कहानी है क्या...
दरअसल, उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग यानी UPPSC को दो परीक्षाएं करवानी थीं. एक परीक्षा पीसीएस प्री और एक आरओ-एआरओ एग्जाम. आयोग ने पीसीएस प्री के लिए 1 जनवरी को नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें 220 पदों पर भर्ती की बात कही गई थी. इसके लिए 17 मार्च को परीक्षा होनी थी, जो कैंसिल हो गई. फिर नई तारीख आई 27 अक्टूबर, जिसके लिए 3 जून को नोटिफिकेशन आया. वो भी कैंसिल हो गई.
फिर 5 नवंबर को नोटिफिकेशन आया, जिसमें परीक्षा दिसंबर करवाने की बात कही गई. नए शेड्यूल के हिसाब से पीसीएस-प्री की परीक्षा का आयोजन 7 और 8 दिसंबर को दो-दो पालियों में किया जाना है. अब इस नोटिफिकेशन के आने के साथ ही बवाल शुरू हो गया और परीक्षार्थी नाराज हो गए. कारण है परीक्षा एक दिन में होनी चाहिए, इसके लिए दो दिन की जरुरत नहीं है. साथ ही विवाद का कारण है मानकीकरण, जिसका मतलब है नॉर्मलाइजेशन.
ऐसी ही कहानी आरओ-एआरओ एग्जाम की है. इसकी परीक्षा 11 फरवरी को हुई थी, लेकिन पेपर लीक के आरोप के बाद निरस्त हो गई. अब ये परीक्षा 22, 23 दिसंबर को होनी है.
क्या होता है नॉर्मलाइजेशन?
दरअसल, जब एक परीक्षा का आयोजन अलग-अलग दिन करवाया जाता है तो नॉर्मलाइजेशन का सहारा लिया जाता है. ज्यादातर परीक्षाओं में परसेंटाइल स्कोर के आधार पर इसे एडजस्ट किया जाता है. हर पाली का एक औसत स्कोर निर्धारित किया जाता है, जिससे छात्रों के मूल्यांकन में आसानी हो. इसका उद्देश्य है कि अलग-अलग प्रश्नपत्र होने के कारण किसी छात्र को फायदा या नुकसान ना हो.
अब नॉर्मलाइजेशन में नंबर की गणना करना ही विवाद का कारण है. अभी तक आयोग की वेबसाइट पर इसे लेकर कोई आधिकारिक जानकारी नहीं है, लेकिन आयोग का नोटिफिकेशन सर्कुलेट किया जा रहा है, जिसमें इसका फॉर्मूला बताया गया है. ये है वो फॉर्मूला...

फॉर्मूले के हिसाब से जिस परीक्षार्थी को जितने नंबर आए हैं, उतने या उससे कम नंबर जितने छात्रों को आए हैं, उनकी संख्या में कुल परीक्षा देने पहुंचे छात्रों की संख्या का भाग दिया जाएगा और फिर 100 से गुणा करके पर्सेंटाइल निकाला जाएगा.
छात्रों से समझते हैं...
परीक्षार्थियों के विरोध का कारण जानने के लिए हमने बात की उन अभ्यर्थियों से, जो प्रदर्शन में शामिल है. पीसीएस परीक्षा की तैयारी कर रहे अभिषेक पांडे ने बताया, 'आयोग ने जो नॉर्मलाइजेशन को जो फॉर्मला दिया है, वो ही विवाद का कारण है. जैसे मान लीजिए मेरे 120 नंबर आए हैं, ऐसे में 120 या उससे कम नंबर लाने वाले परीक्षार्थियों की संख्या में उस पारी में बैठने वाले संख्या का भाग दिया जाएगा. इस इस स्थिति में दिक्कत ये है कि एक पारी में कम लोग बैठते हैं और एक में ज्यादा तो पर्सेंटाइल में काफी अंतर आ जाएगा. इससे ही पेपर के कठिन और आसान का फैसला होगा.'
अभिषेक का कहना है, 'फिर जिस शिफ्ट के पेपर का पर्सेंटाइल ज्यादा होगा, उसे आसान माना जाएगा. फिर एक औसत निकाला जाएगा. ऐसे में ये मूल्यांकन व्यक्ति की टैलेंट पर नहीं, बल्कि परीक्षा में उपस्थित हो रहे परीक्षार्थियों के आधार पर होगा. अब उपस्थिति के आधार पर पर्सेंटाइल निकाला जा रहा है, जो गलत है.'
अभिषेक का कहना है, 'नंबरों की गणना गलत तरीके से होने के साथ ही एक दिक्कत ये भी है कि पहले ये होता था कि परीक्षार्थी परीक्षा देकर आते थे और सेल्फ असेसमेंट कर लेते थे कि उन्हें करीब कितने नंबर मिलेंगे और मेंस की तैयारी में लग जाते थे. दरअसल, मेंस की तैयारी के लिए कम वक्त मिलता है और हमें पहले प्री के रिजल्ट का इंतजार नहीं रहता था. लेकिन, अब एक महीने तक तो हमें ये ध्यान ही नहीं रहेगा कि आखिर हमारे नंबर कितने हैं, हम पास होंगे या नहीं. ये पता चलने के बाद तैयारी करेंगे तो मेंस की तैयारी में हम काफी पीछे रह जाएंगे.'
'एक मसला ये भी है कि फैक्ट और कॉन्सेप्ट के आधार पर परीक्षा की तैयारी की जाती है. जैसे जीएस के पेपर में सब्जेक्टिविटी बढ़ जाती है और यह हर व्यक्ति के हिसाब से कठिन या मुश्किल हो सकता है. मैथ्स के पेपर में अलग बात है.'
वहीं, एक और परीक्षार्थी आशुतोष पांडे का कहना है, 'मानकीकरण का प्रोसेस गलत है और हम चाहते हैं कि परीक्षा पहले की तरह ही हो. परीक्षा एक ही दिन होनी चाहिए. साथ ही आयोग को ये फैसला वापस लेना चाहिए. इसमें अलग अलग दिन परीक्षा होने से एग्जाम का कठिन और आसान होने का मसला है और उसकी गणना भी सही तरीके से नहीं हो रही है.'
आखिर क्यों करवाए जा रहे दो दिन एग्जाम?
दरअसल, हाल ही में पेपर लीक के घटनाओं को रोकने के लिए परीक्षा केंद्रों को लेकर कुछ नियम बनाए थे. इसके हिसाब से परीक्षा केंद्र स्टेशन या बस स्टेंड से 10 किलोमीटर के दायरे में ही हो सकते हैं. परीक्षा केंद्र राजकीय इंटर कॉलेस, सरकारी डिग्री कॉलेज, राज्य और केंद्र के विश्वविद्यालय आदि हो सकते हैं. प्राइवेट संस्थानों को सेंटर नहीं बनाया जा सकता. ऐसे में काफी सेंटर ही इन नियमों में फिट बैठ पाए. बताया जा रहा है कि परीक्षा के लिए 1758 केंद्र की जरूरत थी और सिर्फ 900 ही केंद्र मिले. इस वजह से परीक्षा को दो दिन करवाया गया.
क्या है सरकार का कहना?
प्रदेश के उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या का कहना है, पीसीएस परीक्षा में एक से अधिक दिन की परीक्षा, निजी संस्थानों को केंद्र न बनाने और मानकीकरण प्रक्रिया को लेकर छात्रों की चिंताएं गंभीर और महत्वपूर्ण हैं. छात्रों की मांग है कि परीक्षाएं पूरी तरह निष्पक्ष और पारदर्शी हों, ताकि उनकी मेहनत का सम्मान हो और भविष्य सुरक्षित रहे. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी के नेतृत्व में, भाजपा सरकार ने 2017 से भर्ती माफियाओं के खिलाफ सख्त कदम उठाकर निष्पक्ष भर्ती प्रक्रिया की मिसाल पेश की है.