
उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद से ही सियासी सरगर्मियां बढ़ गई हैं. इसकी बड़ी वजह अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव हैं. नगर निकाय चुनावों को लोकसभा चुनाव का सेमी फाइनल भी कहा जा सकता है. इसलिए राजनीतिक पार्टियों ने तैयारी जोरों पर शुरू कर दी है.
यूपी में दो चरणों में नगर निकाय के चुनाव होंगे. पहले चरण की वोटिंग चार मई और दूसरे चरण की वोटिंग 11 मई को होगी, जबकि 13 मई को नतीजे आएंगे. यूपी निकाय चुनावों में तीन तरह के चुनाव होते हैं- महापालिका, नगर पालिका और नगर पंचायत चुनाव. लेकिन इनमें क्या फर्क है और किस आधार पर इनका बंटवारा किया जाता है.
नगर निगम या महापालिका
उत्तर प्रदेश नगर निकाय की सबसे बड़ी बॉडी नगर निगम या महापालिका है. नगर निगम उस क्षेत्र में गठित होता है जहां कम से कम 5 लाख की आबादी हो. नगर निगम का प्रमुख मेयर या महापौर होता है. यानी नगर निगम चुनाव में मेयर या महापौर चुना जाता है. उत्तर प्रदेश में कुल 17 नगर निगम हैं. जिनमें आगरा, अलीगढ़, अयोध्या, बरेली, फिरोजाबाद, गाजियाबाद, गोरखपुर, झांसी, कानपुर,लखनऊ, मथुरा, मेरठ, मुरादाबाद, प्रयागराज, सहारनपुर, शाहजहांपुर और वाराणसी शामिल हैं. इनमें शाहजहांपुर को हाल ही में नगर निगम की श्रेणी में लाया गया है. इस बार शाहजहांपुर में नगर निगम के लिए पहली बार वोट डाले जाएंगे.

नगर पालिका
यह नगरीय स्थानीय शासन की मध्यम श्रेणी होती है. यानी ये नगर निगम से छोटी होती है. जिन स्थानों पर आबादी 1 लाख से 5 लाख तक होती है, उन क्षेत्रों में नगर पालिका परिषद की स्थापना की जाती है. यूपी में कुल 199 नगर पालिकाएं हैं. नगर पालिका में नगर पालिका अध्यक्ष का चुनाव होता है.
नगर पंचायत
ये नगर पंचायत की सबसे निम्न श्रेणी होती है. ये उन क्षेत्रों में स्थापित किए जाते हैं जो हाल ही में ग्रामीण से नगरी क्षेत्र में परिवर्तित हुए हैं. इन स्थानों में कम से कम 30 हजार और अधिकतम एक लाख आबादी होती है. उत्तर प्रदेश में कुल 493 नगर पंचायतें हैं. नगर पंचायत में नगर पंचायत अध्यक्ष (चेयरमैन) का चुनाव होता है.