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क्या होती है टेरिटोरियल आर्मी, युद्ध के समय क्या होता है इनका काम?

टेरिटोरियल आर्मी पूर्णकालिक सैनिकों से अलग होती है. इसमें आम नागरिक शामिल होते हैं, जिन्हें आम सैनिकों की तरह प्रशिक्षित किया जाता है. ट्रेनिंग के लिए ये आम नागरिक अपनी नियमित नौकरी से समय निकालते हैं और जरूरत के समय देश की सेवा करते हैं.

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अमृतसर के एक चेकपोस्ट पर पहरा देते जवान (फोटो - PTI)
अमृतसर के एक चेकपोस्ट पर पहरा देते जवान (फोटो - PTI)

टेरिटोरियल आर्मी एक स्वयंसेवी बल है जो रेगुलर भारतीय सेना के बाद देश की सुरक्षा की सेकेंड लाइन के रूप में कार्य करता है. इस आर्मी के सदस्य आम नागरिक होते हैं, जो अलग-अलग तरह के पेशे से जुड़े होते हैं और समय-समय पर अपने काम से समय निकाल कर सैन्य प्रशिक्षण लेते हैं. 

सैनिक ट्रेनिंग लेने वाले इन आम नागरिकों को जरूरत पड़ने पर देश सेवा के लिए बुलाया जाता है. तब वो अपना काम या नौकरी छोड़कर टेरिटोरियल आर्मी के रूप में अपनी सेवा देते हैं. यह एक तरह का रिजर्व बल है. इसमें पहले से ही सिविल व्यवसायों में कार्यरत लोग जैसे - डॉक्टर, इंजीनियर, व्यवसायी शामिल होते हैं. बुलाए जाने पर सभी वर्दी पहनने के लिए तैयार रहते हैं.

क्या होता है टेरिटोरियल आर्मी का काम 
टेरिटोरियल आर्मी के सदस्यों को समय-समय पर सैन्य प्रशिक्षण दिया जाता है. युद्ध, प्राकृतिक आपदाओं या अन्य आपात स्थितियों के दौरान देश की सुरक्षा में योगदान देने के लिए इन्हें बुलाया जाता है. ये स्थायी सैनिकों को युद्ध के समय मदद करते हैं. साथ ही आपात स्थिति में देश के अंदरूनी हिस्से में सिविल प्रशासन को भी मदद करते हैं. 

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इन क्षेत्रों में करते हैं सेना की मदद
टेरिटोरियल आर्मी का काम सामरिक महत्व के जगहों पर आर्मी की तरह अपनी सेवा देने और रेगुलर आर्मी को मदद करना है. ये समय पड़ने पर समुद्र तटों की रक्षा भी करते हैं. साथ ही पैदल सेना, डाक-तार विभाग, रेलवे यूनिट, बंदरगाहों, सेना चिकित्सा, इंजीनियरिंग, ट्रांसपोर्ट व अन्य काम में मदद करते हैं. 

युद्ध या आपात स्थिति में योगदान देने के दौरान मिलते हैं भत्ते
एक तरह से टेरिटोरियल आर्मी अंशकालिक रूप से सेना के साथ काम करती है. इसके लिए स्वयंसेवकों को प्रत्येक वर्ष दो महीने का प्रशिक्षण लेना आवश्यक होता है. परिस्थिति के अनुसार, जरूरत पड़ने पर टेरिटोरियल आर्मी के अधिकारियों और सैनिकों को विस्तारित सैन्य सेवा के लिए भी बुलाया जा सकता है. जब उन्हें प्रशिक्षण या सक्रिय ड्यूटी के लिए बुलाया जाता है, तो उन्हें नियमित सेना अधिकारियों के समान वेतन, भत्ते और विशेषाधिकार मिलते हैं.

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टेरिटोरियल आर्मी का इतिहास 
वैसे तो  1920 में अंग्रेजों ने टेरिटोरियल आर्मी का गठन किया था. लेकिन, भारत के स्वतंत्र होने के बाद, 1948 में प्रादेशिक सेना अधिनियम पारित किया गया.  इसके बाद आधिकारिक रूप से टेरिटोरियल आर्मी की स्थापना की गई. इसे 1949 में, प्रथम भारतीय गवर्नर-जनरल सी. राजगोपालाचारी द्वारा लॉन्च किया गया था.

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कई अवसरों पर टीए ने निभाई है अहम भूमिका
अपने गठन के बाद से ही टेरिटोरियल आर्मी (टीए) प्रमुख सैन्य अभियानों में शामिल रहा है. इसमें 1962, 1965 और 1971 के युद्ध , श्रीलंका में ऑपरेशन पवन और पंजाब, जम्मू और कश्मीर तथा पूर्वोत्तर में उग्रवाद विरोधी कार्य शामिल हैं. टीए इकाइयों ने भूकंप और चक्रवात जैसी प्राकृतिक आपदाओं के दौरान मदद करने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है.

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