ओलंपिक गेम्स 2024 चल रहे हैं. हाल ही में शूटिंग के कई इवेंट हुए, जिसमें भारत ने भी मेडल जीते. भारत की मनु भाकर ने भी शूटिंग में दो कांस्य पदक जीते. अगर आपने भी ओलंपिक में शूटिंग के इवेंट देखे होंगे तो आपने देखा होगा कि शूटिंग के वक्त शूटर्स एक लाइन में खड़े होकर निशाना साधते हैं. लेकिन, क्या आपने गौर किया है कि जब भी शूटर्स शूटिंग करते हैं तो अपना एक साथ अपने ट्राउजर की पॉकेट में रखते हैं. ऐसा ही ओलंपिक मेडल विनर मनु भाकर ने भी किया था. तो क्या आप जानते हैं शूटर्स ऐसा क्यों करते हैं?
किस तरह की शूटिंग में होता है ऐसा?
शूटर्स की ओर से एक हाथ पॉकेट में वजह जानने से पहले आपको बताते हैं कि ये किस प्रतिस्पर्धा में होता है. इस बारे में हरियाणा शूटिंग एसोसिएशन के महासचिव अशोक मित्तल ने बताया कि जब पिस्टल इवेंट होता है, उसमें शूटर्स को एक ही हाथ का इस्तेमाल करना होता है. एक साथ से निशाना साधना होता है जबकि एक हाथ फ्री होता है. लेकिन, राइफल और शॉटगन में दोनों हाथों का इस्तेमाल किया जाता है और दोनों हाथ से गन को सपोर्ट दिया जाता है.
एक हाथ जेब में क्यों रखते हैं?
बता दें कि पिस्टल के 10 मीटर से लेकर ज्यादा मीटर के इवेंट में एक हाथ फ्री होता है. ऐसे में हर एथलीट अपने हिसाब से इसका अलग-अलग तरीके से इस्तेमाल करता है. लेकिन शूटर एक हाथ को स्टेबल ही रखता है. अशोक मित्तल ने बताया कि शूटर्स एक हाथ को स्टेबल अपने बॉडी वेट को बैलेंस करने के लिए रखते हैं. जब एक हाथ स्टेबल रहता है तो बॉडी का बैलेंस सही रहता है. ऐसे में एक हाथ को किसी के सपोर्ट से स्टेबल रखा जाता है.
मित्तल ने बताया कि ऐसा जरूरी नहीं है कि बॉडी बैलेंस के लिए हाथ को पॉकेट में ही रखा जाता है, बल्कि कई तरह से बॉडी बैलेंस को कंट्रोल किया जाता है. जैसे कई लोग एक हाथ को पॉकेट में रखते हैं, कई शूटर्स एक हाथ के अंगूठे को ट्राउजर के बेल्ट हुक में फंसा लेते हैं, कई शूटर्स ट्राउजर में हाथ फंसाकर और कुछ शूटर्स कमर पर हाथ रखकर ऐसा करते हैं. वहीं, कुछ रिपोर्ट्स में कहा गया है कि कॉन्स्ट्रेशन के लिए भी लोग ऐसा करते हैं.
शूटिंग में भारत का कैसा रहा प्रदर्शन?
भारत के लिए रियो और टोक्यो ओलंपिक में निशानेबाजी में निराशाजनक अभियान रहा था और कोई मेडल नहीं आया था. पेरिस ओलंपिक में अभी भारत ने दो कांस्य पदक जीते हैं, और यह दोनों ही निशानेबाजी में आए हैं और दोनों इवेंट पिस्टल शूटिंग के थे.