
राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली हो या उत्तर प्रदेश का इटावा, जान बचाने वाले डॉक्टर यमराज बन गए हैं. 'जिंदगियों की ठगी' के गौरख धंधे के बारे में जानकर आप भी दहल जाएंगे. कहीं विदेश यात्रा की इच्छा पूरी करने के लिए डॉक्टर नकली पेसमेकर चिपका रहे हैं तो कहीं सस्ते इलाज का लालच देकर लैब टेक्नीशियन और फर्जी डॉक्टर सर्जरी कर रहे हैं. इटावा में एक लालची डॉक्टर ने अपने अस्पताल में 600 से ज्यादा मरीजों को ऐसे पेसमेकर लगा दिए जो या तो नकली थे या चालू कंपनी के थे. रिपोर्ट्स के मुताबिक इनमें से 200 मरीजों की जान चली गई.
वहीं हाल ही में दिल्ली के पॉश इलाके ग्रेटर कैलाश-1 आवासीय इलाके में पूरा अस्पताल ही फर्जी पाया गया. लोगों की जिंदगियों से खिलवाड़ करने वाले अग्रवाल मेडिकल सेंटर अस्पताल से पुलिस ने फर्जी डॉक्टरों को गिरफ्तार किया है. जांच में पता चला कि यहां सस्ते इलाज का लालच रोगियों को फंसाने का फर्जी सेट-अप तैयार किया गया था, जिससे मरीजों को करीब 80 करोड़ रुपये का चूना लगाया चुका है. यहां बिना डिग्री वाला डॉक्टर गॉल ब्लैडर के मरीजों का ऑपरेशन कर रहा था. जिसके चलते कई मरीजों की जान जा चुकी थी. शिकायत मिलने बाद पुलिस ने जांच की और चार फर्जी डॉक्टरों को गिरफ्तार किया. ऐसे में फर्जी डॉक्टर या फर्जी अस्पताल की पहचान करना बेहद जरूरी हो जाता है. आइए 10 सवालों के जवाब में जानते हैं इनके चंगुल से बचने और सबक सिखाने का तरीका.
1. सबसे पहले समझें मेडिकल लापरवाही क्या है?
लापरवाही केवल उचित देखभाल करने में विफलता ही नहीं है. यह तब होता है जब कोई डॉक्टर अपने पेशे के मानकों के अनुरूप प्रदर्शन करने में असफल रहता है. मुख्य रूप से तीन तरह की लापरवाही होती हैं-
1. डॉक्टर या नर्स, पेशेंट की देखभाल के कर्तव्य को पूरा नहीं करता.
2. डॉक्टर या नर्स देखभाल के कर्तव्य का उल्लंघन करता है.
3. अगर पेशेंट को इस उल्लंघन के कारण किसी तरह की क्षति का सामना करना पड़ता है.

2. मेडिकल में दुर्व्यवहार क्या है?
किसी पेशेवर स्वास्थ्य सेवाप्रदाता जैसे- चिकित्सक, नर्स, डेंटिस्ट, टैक्निशियन, हॉस्पिटल या हॉस्पिटल के कार्यकर्ता – जिसका उपचार रोगी के लिए उसको मिले इसी तरह के प्रशिक्षण और अनुभव के साथ देखभाल के मानकों से बिल्कुल अलग है, जिसकी वजह से किसी रोगी या रोगियों को हुई हानि के संबंध में लापरवाही का दावा चिकित्सीय दुर्व्यवहार है.
3. भारत में डॉक्टरों को प्रमाणित कौन करता है?
राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार.
4. फर्जी डॉक्टर या फर्जी अस्पताल की पहचान कैसे करें?
आप उनका रजिस्ट्रेशन नंबर देख सकते हैं और इसे संबंधित राज्य मेडिकल काउंसिल या मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर क्रॉसचेक कर सकते हैं. उनका रजिस्ट्रेशन राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा प्रमाणित होना चाहिए.
5. कैसे चेक करें कि कोई डॉक्टर भारत में पंजीकृत है या नहीं?
नेशनल मेडिकल काउंसिल की ऑफिशियल वेबसाइट nmc.org.in पर जाएं.
होम पेज पर इंफोर्मेशन डेस्क ड्रॉप में इंडियन मेडिकल रजिस्टर पर क्लिक करें.
यहां नाम, ईयर ऑफ रजिस्ट्रेशन, रजिस्ट्रेशन नंबर, स्टेट मेडिकल काउंसिल, एडवांस सर्च, ब्लैक लिस्ट डॉक्टर ऑपशंस के जरिये सर्च कर सकते हैं.

6. DMC रजिस्ट्रेशन क्या है?
दिल्ली मेडिकल काउंसिल अधिनियम 1997 की धारा 10 (ए) के तहत दिल्ली मेडिकल काउंसिल को प्रदत्त शक्तियों के तहत, काउंसिल मेडिकल प्रैक्टिशनर्स का रजिस्ट्रेशन करती है और लाइव रजिस्टर मेंटेन करती है. इसे दिल्ली मेडिकल काउंसिल रजिस्ट्रेशन यानी डीएमसी रजिस्ट्रेशन कहते हैं.
7. क्या मेडिकल लापरवाही कंज्यूमर प्रोटेक्शन एक्ट के अंतर्गत आती है?
हां, सुप्रीम कोर्ट ने 1995 में चिकित्सा पेशे को उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम (Consumer Protection Act) 1986 के तहत लाया और चिकित्सा उपचार को 'सेवाएं' के रूप में लेबल किया गया.
8. फर्जी डॉक्टर की रिपोर्ट कैसे करूं?
अगर आप स्टेट मेडिकल काउंसिल (SMC) के जवाब से संतुष्ट नहीं हैं तो आप अपनी शिकायत मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया (MCI) को भेज सकते हैं. अगर आपराधिक प्रकार की शिकायत है तो प्रभावित उपभोक्ता स्थानीय पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करा सकता है. हालांकि, किसी भी पुलिस शिकायत को दर्ज करने के लिए विशेषज्ञ की राय की आवश्यकता होगी.

9. शिकायत के साथ क्या होना चाहिए?
आप डॉक्टर के पास अपनी फर्स्ट विजिट से लेकर उसके साथ अपने लास्ट विजिट तक के तथ्यों को सामने लाते हुए शिकायत दर्ज करके उपभोक्ता मंच (consumer forum) से संपर्क कर सकते हैं. मेडिकल रिकॉर्ड के साथ लापरवाही के दावे का समर्थन करने वाले एक मेडिकल एक्सपर्ट की दूसरी राय होनी चाहिए, जो आपके दावे को और मजबूत करेगी.
10. शिकायत दर्ज करने के लिए दिशानिर्देश क्या हैं?