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पकड़ा गया हजारों किलो नकली घी! जानिए क्या डिब्बों पर लिखे Pure Ghee, Desi Ghee में कुछ फर्क है?

जब भी आप बाजार में घी लेने जाते हैं तो आपने देखा होगा कि कुछ घी के डिब्बों पर प्योर घी लिखा होता है तो कुछ घी के डिब्बों पर देसी घी, गाय का घी लिखा होता है. ऐसे में जानते हैं कि इन सभी में फर्क क्या है?

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बाजार में कई तरह का घी बेचा जा रहा है. (प्रतीकात्मक फोटो)
बाजार में कई तरह का घी बेचा जा रहा है. (प्रतीकात्मक फोटो)

हाल ही में आपने खबरें पढ़ी होंगी कि कई जगह नकली घी पकड़ा गया है. राजस्थान से लेकर गुजरात तक कई जगह से नकली घी पकड़ने की खबरें आई है. ऐसे में सवाल है कि आखिर ये कैसे पता किया जाए कि नकली और असली कौनसा होता है. दरअसल, जब आप बाजार से डिब्बे में पैक घी खरीदते हैं तो आपने देखा होगा कि कई डिब्बों पर देसी घी तो कुछ डिब्बों पर गाय का घी, शुद्ध घी, शुद्ध देसी घी, वनस्पति लिखा होता है. तो ऐसे में जानने की कोशिश करते हैं कि आखिर इन सभी घी में क्या फर्क होता है. 

क्या होता है इन सभी घी में फर्क?

दरअसल, जब भी कोई कंपनी घी बेचती है तो उससे पहले उन्हें एगमार्क सर्टिफिकेट लेना होता है, जिसके बाद ही कंपनियां बाजार में घी बेच पाती हैं. अक्सर लोगों का मानना होता है कि जिस घी के डिब्बे पर देसी घी लिखा होता है, वो ज्यादा सही होता है. लेकिन, जिस डिब्बे पर सिर्फ प्योर घी लिखा होता है, उसमें वनस्पति घी आदि की मिलावट हो सकती है. इस तरह से लोग देसी घी और प्योर में अंतर करते हैं. हालांकि, टेक्निकल रुप से ऐसा नहीं है.

इस बारे में विपणन एवं निरीक्षण निदेशालय में एगमार्क ऑफिस के अधिकारी ने आजतक से बताया कि एगमार्क देने का क्राइटेरिया प्योर घी, देसी घी, शुद्ध देसी घी के हिसाब से नहीं होता है. एगमार्क मिलने का क्राइटेरिया सिर्फ घी होता है और कंपनी के घी बनाने के प्रोसेस के आधार पर घी का एगमार्क दिया जाता है. अगर डिब्बे पर प्योर घी, देसी घी या शुद्ध घी लिखे होने की बात करें तो इसमें टेक्निकली कोई अंतर नहीं होता है.

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उन्होंने बताया कि कंपनियां सिर्फ अपनी मार्केटिंग स्ट्रेटेजी के चलते ही ऐसा करती हैं. वैसे सरकार की ओर से सिर्फ घी की कैटेगरी में ही एगमार्क दिया जाता है और इनमें कोई फर्क नहीं होता है. 

क्या गाय का घी होता है अलग? 

घी के कई डिब्बों पर गाय का घी लिखा होता है और कंपनियां दावा करती हैं कि ये घी गाय के दूध को प्रोसेस करके बनाया गया है. इस पर टेक्निकल कारणों की बात करें तो गाय के घी को लेकर आरएम वैल्यू के आधार पर एगमार्क लाइसेंस दिया जाता है. वैसे आमतौर पर घी की कैटेगरी में ही एगमार्क लाइसेंस दिया जाता है. 

वनस्पति घी का है अलग प्रोसेस?

वहीं, अगर वनस्पति घी की बात करें तो इसे ऑयल की कैटेगरी में मार्क किया जाता है. अधिकारी का कहना है कि दरअसल ये तेल जम जाता है तो लोग इसे घी मानने लगते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है. ये वेजिटेबल ऑयल होते हैं, जिनके लिए अलग व्यवस्था होती है और उन्हें घी का एगमार्क लाइसेंस नहीं दिया जाता है. इसे ऑयल कैटेगरी में ही एगमार्क दिया जाता है. 
 
एक जैसे ही हैं सभी घी

ऐसे में कहा जा सकता है कि टेक्निकल ग्राउंड पर बाजार में मिलने वाले घी सभी एक जैसे होते हैं. सभी कंपनियां अपनी मार्केटिंग के हिसाब से प्योर घी, देसी घी, शुद्ध देसी, गांव का घी आदि लिखकर घी पैकेट्स बेचती हैं. 

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