साल 1922 में आज ही के दिन, ब्रिटिश इजिप्टोलॉजिस्ट हॉवर्ड कार्टर के नेतृत्व में एक दल ने मिस्र के राजाओं की घाटी में तूतेनखामेन के मकबरे की खुदाई शुरू की. तूतेनखामेन को राजा टुट के नाम से भी जाना जाता था. वह मिस्र का फेराओ था जिसने 1333 ईसा पूर्व में केवल 9 वर्ष की उम्र से मिस्र पर शासन करना शुरू कर दिया था. उनकी मौत के बाद, परंपरा के अनुसार उसके शव को ममी बनाकर सुरक्षित रख दिख गया. उसकी ममी के साथ ढेरों कलाकृति, गहने और खजाने भी उसकी कब्र में दफनाए गए.
रेगिस्तान की रेत ने तूतेनखामेन के मकबरे को कहीं छिपा दिया. 3,000 से अधिक वर्षों तक मकबरा छिपा रहा. 04 नवंबर को कार्टर की टीम को रेत में दबी मकबरे की पहली सीढ़ी मिली. अगले दिन, उनकी टीम ने पूरी सीढ़ी को खोज निकाला, और नवंबर के अंत तक, एक एंटेचैम्बर, एक खजाना, और मकबरे का दरवाजा सामने ला दिया. दरवाजे में एक छोटा सा छेद करने के बाद, कार्टर ने 26 नवंबर को सोने के खजाने से भरा एक कमरा देखा. हालांकि, तूतनखामेन की ममी वाले ताबूत का पता काफी बाद में चल पाया.
कौन था फेराओ तूतेनखामेन
तूतनखामेन या किंग टुट, के बारे में 1922 तक दुनिया नहीं जानती थी. उसके मकबरे में हजारों कलाकृतियां, एक ताबूत, और एक प्रसिद्ध हेडड्रेस था. मकबरे के सामान को लिस्ट करने में ही कार्टर और उनकी टीम को लगभग 10 साल लगे. मकबरे की खोज के बाद से, किंग टुट दुनिया के सबसे प्रसिद्ध मिस्र के फेरोओ और वैज्ञानिकों तथा स्टूडेंट्स की रीसर्च का विषय बन गया.
कम उम्र में संभाली गद्दी
तूतनखामेन का जन्म 1341 ईसा पूर्व के आसपास हुआ था. उनके नाम का अर्थ है 'एटेन की जीवित छवि'. तूतनखामेन के पिता अखेनातेन ने अपने लोगों को एटेन, सूर्य देवता की पूजा करने का आदेश दिया था. इस फरमान से पहले, प्राचीन मिस्र एक बहुदेववादी समाज था, जिसका अर्थ है कि वह एक के बजाय कई देवताओं की पूजा करता था. अखेनातेन ने मिस्र की राजधानी और धार्मिक केंद्र को थेब्स से अमरना में भी स्थानांतरित कर दिया था.
जब अखेनातेन की मौत हुई, तो तूतनखामेन ने उसकी जगह ली. वह सिर्फ नौ साल का था. सलाहकारों की सहायता से, किंग टुट ने अपने पिता के कई फैसलों को उलट दिया. उसके मिस्र में बहुदेववाद को वापस लौटाया. टूट ने एक दशक से भी कम समय तक शासन किया और उन्नीस वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया.
रहस्यमयी रही मौत
किंग टुट की मौत पर कई सालों तक रहस्य बना रहा. कईयों का मानना है कि उनकी मौत संदिग्ध परिस्थितयों में हुई, जबकि अन्य लोगों का कहना है कि उनकी मृत्यु एक दुर्घटना थी. हालांकि, किंग्स की घाटी में उनके मकबरे की खोज के लगभग एक सदी बाद, वैज्ञानिकों ने डिजिटल इमेजिंग और DNA परीक्षण का उपयोग करके ये पता लगाया कि किंग टुट की मौत मलेरिया से हुई थी.
आधुनिक तकनीक ने तूतनखामेन के आसपास के अन्य रहस्यों पर भी प्रकाश डाला. वर्षों से, लोगों ने अनुमान लगाया था कि राजा टुट के मकबरे में मिस्र की एक प्रसिद्ध रानी और अखेनातेन की पत्नी नेफ़र्टिटी के अवशेषों को रखने के लिए छिपे हुए कक्ष हो सकते हैं. यह थ्योरी तब खारिज हो गई जब राडार परीक्षण से पता चला कि किंग टुट की कब्र में कोई छिपा हुआ कक्ष नहीं है.