भारतीय जनता पार्टी देश भर में अपना सदस्यता अभियान लॉन्च करने जा रही है. इसकी शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सदस्यता से होगा. पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पार्टी की सदस्यता दिलाएंगे. इसके अलावा कई दिग्गज नेता पार्टी की सदस्यता फिर से लेंगे, जैसे उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ भी पार्टी की सदस्यता लेंगे.
ऐसे में सवाल है कि पार्टी के दिग्गज नेता लंबे समय से पार्टी में है, फिर भी वापस पार्टी के सदस्य क्यों बन रहे हैं. तो जानते हैं बीजेपी के उस नियम के बारे में, जिसकी वजह से सभी नेताओं को बार-बार सदस्य बनना होता है.
क्यों फिर से सदस्य बन रहे नेता?
बीजेपी के सभी नेताओं के सदस्य बनने की वजह से पार्टी के कुछ नियम. दरअसल, बीजेपी में अलग-अलग काल खंड के हिसाब से काम करती है. वैसे आम तौर पर यह काल खंड 6 साल का होता है. लेकिन, बीजेपी की राष्ट्रीय कार्य समिति इस काल खंड को शुरू करने और खत्म करने का समय तय करती है. जब भी ये काल खंड खत्म होता है और नया काल खंड शुरू होता है तो बीजेपी के सभी कार्यकर्ता पार्टी की सदस्य लेते हैं. अब नए कालखंड शुरू होने की वजह से पार्टी के सदस्य फिर से बनाए जा रहे हैं.
कौन बन सकता है सदस्य?
बीजेपी के संविधान में दी गई जानकारी के अनुसार, 18 साल या उससे अधिक उम्र का कोई भी व्यक्ति पार्टी का सदस्य बन सकता है. लेकिन, शर्त ये है कि उस व्यक्ति को किसी भी अन्य पार्टी का सदस्य नहीं होना चाहिए. ये सदस्यता एक काल खंड तक रहती है और सदस्यता मृत्यु, त्याग-पत्र और निष्कासन से सदस्यता समाप्त हो जाएगी. जो व्यक्ति जहां पार्टी में कार्य करता है, वो एक ही जगह पर पार्टी का सदस्य बनेगा.
एक होते हैं एक्टिव सदस्य
बीजेपी में सामान्य सदस्य के अलावा एक एक्टिव सदस्य की व्यवस्था भी होती है. ये आम सदस्य से अलग होते हैं और ये वो सदस्य होते हैं, जो लगातार पार्टी कार्यक्रमों में हिस्सा लेते रहते हैं. पार्टी की धारा-12 के हिसाब से पार्टी का सक्रिय सदस्य उसे माना जाता है, जो कम से कम 3 साल से पार्टी का सदस्य हो. ये सदस्य बनने के लिए 100 रुपये के पार्टी कोष में देने के साथ ही जिला कार्यालय में अप्लाई किया जाता है और अगर पार्टी एक्टिव सदस्य बनने का आवेदन रिजेक्ट करती है तो सदस्य को 100 रुपये वापस नहीं मिलेंगे.
ये सदस्य प्रदेश या केंद्र की पार्टी पत्रिका के ग्राहक भी बनते हैं और उसे पार्टी के आंदोलनात्मक कार्यक्रमों में भी शामिल होना होगा. एक बार सक्रिय सदस्य बनने के बाद ही कोई सदस्य मंडल समिति या उससे ऊपर की किसी समिति या परिषद् का चुनाव लड़ने का अधिकारी होगा. पार्टी हर पदाधिकारी या नेता को समय-समय पर एक्टिव मेंबर सदस्य बनना होता है और ये जिला स्तर पर ही एक्टिव मेंबर ही बन पाता है.