पाकिस्तान के मशहूर शायर फैज़ अहमद फैज़ की आज जयंती है. उनका जन्म 13 फरवरी, 1911 में पंजाब के नरोवल जिले में हुआ था. देश का बंटवारा हुआ तो ये हिस्सा पाकिस्तान में चला गया. फैज़ पत्रकार रहे, शायर भी थे और उन्होंने ब्रिटिश आर्मी में बतौर फौजी सेवाएं भी दीं. उन्होंने जब शायरी या गज़ल लिखना शुरू किया तो उनकी कोशिश दबे-कुचलों की आवाज को उठाना ही था, यही कारण रहा कि उनकी लेखनी में बगावती सुर ज्यादा दिखे.
अपनी शायरी और लेखनी की वजह से उन्होंने दुनिया को शांति का संदेश दिया, इसके लिए उन्हें नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नॉमिनेट भी किया गया. फैज़ को सोवियत संघ द्वारा लेनिन शांति पुरस्कार से भी सम्मानित किया गया है. आपको बता दें, उनकी मशहूर गज़ल 'हम देखेंगे' सोशल मीडिया पर खूब वायरल हुई थी.
आइए पढ़ते हैं उनकी प्यार भरी कुछ नज्में
1) मुझ से पहली सी मोहब्बत मिरी महबूब न माँग
मुझ से पहली सी मोहब्बत मिरी महबूब न माँग
2) तेरी सूरत जो दिलनशीं की है
आशना शक्ल हर हसीं की है
3) तुम न आये थे तो हर चीज़ वहीं थी कि जो है
आसमां हद्दे-नज़र, राहगुज़र राहगुज़र, शीशा-ए-मय शीशा-ए-मय
4) इश्क़ मिन्नतकशे-क़रार नहीं
हुस्न मज़बूरे-इंतज़ार नहीं
5) दोनो जहाँ तेरी मोहब्बत में हार के
वो जा रहा है कोई शब-ए-ग़म गुज़ार के
6) मेरी-तेरी निगाह में जो लाख इंतज़ार हैं
जो मेरे-तेरे तन-बदन में लाख दिल फ़िग़ार हैं