आज अंतरिक्ष में जाने वाले पहले भारतीय राकेश शर्मा का जन्मदिन है. उनका जन्म आज ही के दिन 1949 में हुआ था. बचपन से ही पायलट बनने का सपना देखने वाले राकेश शर्मा ने 3 अप्रैल 1984 को अंतरिक्ष में जाकर इतिहास रचा था. आइए जानते हैं राकेश शर्मा से जुड़ी कई प्रमुख बातें...
1. एक वायुसेना के जवान के तौर पर नौकरी करते हुए राकेश शर्मा ने नहीं सोचा था कि उनका सफर यहां से अंतरिक्ष तक पहुंच जाएगा. अपने सफर को याद करते हुए शर्मा ने एक बार कहा था कि मैंने बचपन से पायलट बनने का सपना देखा था, जब मैं पायलट बन गया तो सोचा सपना पूरा हो गया.
2. 2 अप्रैल 1984 को दो अन्य सोवियत अंतरिक्षयात्रियों के साथ सोयूज टी-11 में राकेश शर्मा को लॉन्च किया गया. इस उड़ान में साल्युत 7 अंतरिक्ष केंद्र में उन्होंने उत्तरी भारत की फोटोग्राफी की और गुरुत्वाकर्षण-हीन योगाभ्यास किया.
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3. जब राकेश शर्मा अंतरिक्ष पहुंचे तो भारत के लोगों के लिए ये 'ना' मानने वाली बात ही थी. लोगों को यकीन नहीं हो रहा था कि कोई मानव जीव अंतरिक्ष में जा रहा है.
4. राकेश शर्मा ने 1966 में NDA पास कर इंडियन एयर फोर्स कैडेट बने. उसके बाद 1970 में भारतीय वायु सेना को ज्वांइन कर लिया. फिर यही से उनकी किस्मत ने यू-टर्न लिया और राकेश ने कुछ ऐसा कर दिखाया कि आज उनके नाम से हर भारतीय का सीना फक्र से चौड़ा हो जाता है.
5. जब अंतरिक्ष स्टेशन से राकेश शर्मा ने इंदिरा गांधी को फोन किया तो भारतीय प्रधानमंत्री ने पूछा कि वहां से हमारा हिंदुस्तान कैसा नजर आता है, इसके जवाब में शर्मा ने कहा, 'सारे जहां से अच्छा हिंदुस्तां हमारा'.
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6. बीबीसी की रिपोर्ट के अनुसार अंतरिक्ष में जाने से एक साल पहले राकेश शर्मा और रवीश मल्होत्रा स्टार सिटी गए थे जो कि मास्को से 70 किलोमीटर दूर था और अंतरिक्ष यात्रियों का प्रशिक्षण केंद्र था. राकेश के अनुसार वहां बहुत ठंड थी. हमें बर्फ में एक इमारत से दूसरी इमारत तक पैदल जाना होता था. उनके सामने जल्दी से जल्दी रूसी भाषा सीखने की चुनौती थी. क्योंकि ज्यादातर उनकी ट्रेनिंग रूसी भाषा में ही होने वाली थी. हर दिन वो छह से सात घंटे रूसी भाषा सीखते थे. इसका असर यह हुआ कि उन्होंने तीन महीने में ठीक-ठाक रूसी सीख ली थी.
7. जब सोवियत संघ ने प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के सामने दो भारतीयों के उनके मिशन में शामिल होने का प्रस्ताव रखा. इंदिरा गांधी के पास वायूसेना के अफसरों के अलावा कोई विकल्प नहीं था. ISRO के पास तब इतने संसाधन नहीं थे. ऐसे में वायुसेना के दो अफसरों को 18 महीने की लंबी ट्रेनिंग दी गई. जिसमें राकेश शर्मा के साथ गए रवीश मल्होत्रा उनके साथ ही इस मिशन में शामिल रहे.
8. अंतरिक्ष की कक्षा में उन्होंने 7 दिन, 21 घंटे और 40 मिनट गुजारे.
9. अंतरिक्ष से वापस लौटने के बाद सोवियत सरकार ने उन्हें ‘हीरो ऑफ़ सोवियत यूनियन’ के सम्मान से नवाजा गया. भारत सरकार ने उन्हें शांति-काल के सबसे उच्च बहादुरी पुरस्कार ‘अशोक चक्र’ से सम्मानित किया.