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खुल गया दुनिया के सबसे प्रोडक्टिव लोगों का सीक्रेट, जानिए वो कैसे 45 मिनट के ब्लॉक में करते हैं काम

साइंस कहती है कि प्रोडक्टिव होने का मतलब घंटों काम करना नहीं बल्कि सही रिदम में काम करना है. यही वजह है कि अब दुनिया के सबसे सफल प्रोफेशनल्स मानते हैं कि कम काम करो, लेकिन स्मार्ट तरीके से. जानिए क्या है 45 मिनट वाला वो रूल जो आपके काम करने के तरीके और दिमाग की थकान दोनों को बदल सकता है.

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काम का स्मार्ट तरीका: छोटे ब्रेक्स से बढ़ती है फोकस और क्रिएटिविटी
काम का स्मार्ट तरीका: छोटे ब्रेक्स से बढ़ती है फोकस और क्रिएटिविटी

आज के जमाने में लगातार मीटिंग्स, नोटिफिकेशन्स और मल्टीटास्किंग के बीच फोकस करना किसी लक्जरी से कम नहीं है. साइंस कहती है कि हमारा दिमाग लगातार काम करने के लिए बना ही नहीं है. असल में ये तब सबसे अच्छा काम करता है जब हम थोड़े समय तक पूरी एकाग्रता से काम करें और फिर थोड़ा आराम लें.

यहीं से आता है 45 मिनट फोकस ब्लॉक यानी 45 मिनट काम और फिर 10-15 मिनट का ब्रेक. ये कोई नया ट्रेंड नहीं है बल्कि दिमाग का नेचुरल तरीका है काम करने का. कुछ लोगों को 40/12 या 60/20 (काम/ब्रेक) बेहतर लग सकता है. ये कोई सख्त नियम नहीं, बस एक गाइडलाइन है.

छोटे ब्रेक्स के पीछे की साइंस

रिसर्च बताती है कि लगातार 40-50 मिनट काम करने के बाद ध्यान अपने-आप कम होने लगता है. 2022 की एक स्टडी में 2300 लोगों पर 20 से ज्यादा रिसर्च का विश्लेषण किया गया और पाया गया कि छोटे-छोटे ब्रेक (microbreaks) लेने से थकान कम होती है और ध्यान बढ़ता है.

एक प्रोडक्टिविटी ट्रैकिंग प्लेटफॉर्म डेस्कटाइम ने 50 लाख से ज्यादा वर्क लॉग्स का विश्लेषण किया और पाया कि सबसे ज्यादा प्रोडक्टिव लोग लगभग 52 मिनट काम और 17 मिनट का ब्रेक लेते हैं. ये लगभग 45 मिनट की रिदम हमारे ultradian rhythm (यानि शरीर की ऊर्जा और अलर्टनेस के नेचुरल साइकल, जो 90-120 मिनट तक चलते हैं) से मेल खाती है. छोटे फोकस वाले सेशन्स में काम करने से हम उस हाई-एनर्जी फेज का फायदा उठा पाते हैं और थकान आने से पहले ब्रेक ले लेते हैं.

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ये तरीका असरदार क्यों है

जब आप जानते हैं कि आपको सिर्फ 45 मिनट तक फोकस करना है, तो दिमाग इसे मैनेजबल मानता है. इससे procrastination (काम टालने की आदत) कम होती है और आप जल्दी जोन में आ जाते हैं.

साथ ही, ब्रेक लेना दिमाग को रीसेट करने में मदद करता है. थोड़ा टहलना, स्ट्रेच करना या खिड़की के बाहर देखना आद‍ि ये सब दिमाग के डिफॉल्ट मोड नेटवर्क को एक्टिव करते हैं, जो आइडियाज को subconsciously जोड़ता है. इसलिए कई बार सबसे अच्छे आइडिया ब्रेक के दौरान आते हैं, न कि स्क्रीन पर टिके रहने से.

2023 की एक स्टडी ने बताया कि अगर लोग ब्रेक में सिर्फ फोन स्क्रॉल करते हैं, तो वो ब्रेक बेअसर हो जाता है. यानी, ब्रेक की क्वालिटी मायने रखती है. थोड़ी मूवमेंट और दिमाग को असली आराम देना जरूरी है, न कि सिर्फ स्क्रीन बदलना.

स्मार्ट तरीके से काम करना क्यों जरूरी 

जो लोग कई जिम्मेदारियों को संभालते हैं, उनके लिए ये 45 मिनट ब्लॉक सिर्फ प्रोडक्टिविटी नहीं बल्कि एनर्जी मैनेजमेंट का तरीका है. दिन की शुरुआत फोकस से होती है, दोपहर आराम से गुजरती है और शाम तक दिमाग थका नहीं होता. इसे दिमाग के लिए इंटरवल ट्रेन‍िंंग समझिए यानी पूरा फोकस, फिर रिकवरी. इसका नतीजा होता है बेहतर काम, अच्छा मूड, साफ सोच और बिना गिल्ट के आराम.

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कैसे शुरू करें 45 मिनट ब्लॉक

पहले से तय करें कि क्या करना है: अगले 45 मिनट में सिर्फ एक टास्क चुनें.
टाइमर सेट करें: पूरे फोकस से काम करें. कोई मैसेज या टैब नहीं.
असली ब्रेक लें: थोड़ा टहलें, पानी पिएं, या बाहर जाएं. फोन स्क्रॉल करने से बचें.
दोहराएं: 3-4 ब्लॉक्स के बाद 20-30 मिनट का लंबा ब्रेक लें.
सिर्फ 2-3 अच्छे फोकस ब्लॉक्स भी एक पूरे डिस्टर्ब्ड दिन से ज्यादा असरदार साबित हो सकते हैं.

बता दें कि ये कोई मैजिक नंबर नहीं है. कुछ लोगों को 40 मिनट ठीक लगता है, कुछ को 50. लेकिन बेसिक फॉर्मूला वही है. आप फोकस करें, आराम करें, फिर रिपीट करें.

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