यूपीएससी की सिविल सर्विसेज परीक्षा में CSAT को लेकर असमंजस का दौर जल्द ही खत्म हो सकता है. इस मसले पर सरकार 3-4 दिनों में कोई अहम घोषणा कर सकती है. सूत्रों की मानें तो वर्मा कमेटी ने अपनी रिपोर्ट सरकार को सौप दी है और कमेटी CSAT के पक्ष में है.
शुक्रवार को जैसे ही राज्यसभा की कार्यवाही शुरू हुई, यूपीएससी के मुद्दे पर हो-हंगामा होने लगा. इसके बाद सदन की कार्यवाही स्थगित करनी पड़ी. इस मसले पर दोबारा भी चर्चा हुई, लेकिन कोई ठोस नतीजा नहीं निकल सका.
हंगामे के दौरान आरजेडी सांसद पप्पू यादव दूसरों से एक कदम आगे निकल गए. पप्पू यादव को जब इस मसले पर बोलने का मौका नहीं मिला, तो उन्होंने गुस्से में अखबार फाड़कर सदन में फेंक दिया.
रिपोर्ट का अध्ययन कर रही है सरकार: जितेंद सिंह
केंद्रीय मंत्री जितेंद्र सिंह ने सदन में कहा कि सरकार को वर्मा कमेटी की रिपोर्ट मिल गई है, जिसका अध्ययन किया जा रहा है. उन्होंने कहा कि सरकार विवाद का हल निकालने की कोशिश कर ही है.
शरद यादव: सरकार ने हड़बड़ी में तैयार कराई रिपोर्ट
राज्यसभा में शरद यादव ने कहा कि सरकार ने महज 7 दिनों में ही हड़बड़ी में रिपोर्ट तैयार कराई है. उन्होंने आरोप लगाया कि ठोस ऐलान करने की बजाए सरकार अब तक सिर्फ आश्वासन ही दे रही है. आज सरकार ने फिर कह दिया कि विचार कर रहे हैं. अंग्रेजी वालों का सिस्टम पर कब्जा है. वे मोदी सरकार पर दबाव बना रहे हैं. अंग्रेजी स्कूल के लोग ऊपर से नीचे तक लॉबीइंग कर रहे हैं. हम चाहते हैं कि पूरी तरह इंसाफ करो. ये भाषाई बच्चे इस देश के असली बाशिंदे हैं. काला धन किसने जमा किया, स्कैम किसने किए. टूजी, कोल, कॉमनवैल्थ, सब इंग्लिश मीडियम वालों ने किए.
छात्रों के हित में जल्द फैसला हो: मायावती
संसद में बीएसपी अध्यक्ष मायावती ने कहा कि छात्र लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं. छात्रों के हितों को ध्यान में रखकर सरकार को जल्द से जल्द फैसला करना चाहिए.
जेडीयू, सपा, वामदलों के साथ-साथ कांग्रेस ने राज्यसभा से वॉकआउट किया. ये पार्टियां चाहती हैं कि सरकार मामले में फैसले के लिए समय-सीमा तय करे.
वैसे सूत्रों का दावा है कि अगले तीन-चार दिनों में सरकार कोई ठोस ऐलान कर सकती है. छात्रों के आंदोलन को देखते हुए सियासी पार्टियां सरकार पर दबाव डाल रही हैं कि विवाद का हल जल्द हो.
यूपीएससी के उम्मीदवारों की शिकायतों का निपटारा करने के लिए बनाई गई अरविंद वर्मा कमेटी ने केंद्र सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है. रिपोर्ट पर विस्तार से चर्चा के बाद सरकार प्रारंभिक परीक्षा और इसके पैटर्न को लेकर ऐलान कर सकती है.
उम्मीद की जा रही है कि यूपीएससी परीक्षा में हिंदी व अन्य क्षेत्रीय भाषा के उम्मीदवारों की अनदेखी के मुद्दे पर आंदोलन कर रहे छात्रों के लिए जल्द ही कोई अच्छी खबर आएगी. बहरहाल, उम्मीदवारों की निगाहें सरकार के अगले कदम की ओर टिकी हुई हैं.
आखिर क्या है CSAT विवाद
दरअसल, 2011 से यूपीएससी सीसैट यानी सिविल सर्विसेज एप्टीच्यूड टेस्ट लेता है. हिंदीभाषी छात्र इस टेस्ट को लेकर आरोप लगाते हैं कि पेपर का हिंदी अनुवाद ठीक से नहीं होता और उन्हें काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. इस साल मार्च में यूपीए सरकार ने सीसैट को लेकर अरविंद वर्मा कमेटी बनाई, जिसने अब सरकार को रिपोर्ट सौंप दी है. लेकिन रिपोर्ट आने से पहले ही यूपीएससी ने प्रिलिम्स परीक्षा के लिए एडमिट कार्ड जारी कर दिए, जिससे बवाल बड़ा हो गया. मोदी सरकार ने छात्रों को भरोसा दिया है कि मसले का हल जल्द से जल्द निकाला जाएगा.