केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर में इस साल मेडिकल सीटों को 2018-19 के लिए 500 से बढ़ाकर 2020-21 के शैक्षणिक सत्र में 1100 कर दिया गया है. इससे डॉक्टर बनने की ख्वाहिश रखने वाले छात्रों के लिए राह काफी आसान हो गई है. इस साल से सरकारी मेडिकल कॉलेजों में एमबीबीएस सीटों की संख्या में दोगुने से अधिक की बढ़ोतरी हुई है. मेडिकल सीटों को 2018-19 के लिए 500 से बढ़ाकर 2020-21 के शैक्षणिक सत्र में 1100 कर दिया गया है.
जम्मू-कश्मीर सरकार के आधिकारिक बयान के अनुसार सरकारी मेडिकल कॉलेज राजौरी और सरकारी मेडिकल कॉलेज कठुआ को पहले ही 115 और 100 सीटों के साथ दूसरे बैच के लिए अनुमति मिल गई है, जिससे जम्मू-कश्मीर में कुल एमबीबीएस सीटें अब 500 (2018-19) से बढ़ाकर वर्तमान शैक्षणिक सत्र 2020-21 के दौरान सीटें 1100 (2020) हो गई हैं.
इसमें दिलचस्प बात ये है कि इनमें से 50% सीटें महिला उम्मीदवारों के लिए आरक्षित हैं. 2014 में, यूपीए में स्वास्थ्य मंत्री गुलाम नबी आज़ाद के नेतृत्व में केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने जम्मू और कश्मीर को पांच नए मेडिकल कॉलेज आवंटित किए थे. केंद्र सरकार ने 2018 में इन पांच नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए जम्मू-कश्मीर स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग को 260 करोड़ रुपये से अधिक जारी किए.
इस साल केंद्र शासित प्रदेश के स्वास्थ्य और चिकित्सा शिक्षा विभाग को राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग, नई दिल्ली से 100 एमबीबीएस (बैचलर ऑफ मेडिसिन एंड बैचलर ऑफ सर्जरी) छात्रों को डोडा के सरकारी मेडिकल कॉलेजों में दाखिला देने की अनुमति मिली है, जबकि अनंतनाग और बारामूला के कॉलेजों को वर्तमान शैक्षणिक वर्ष 2020-21 में 100 छात्रों के दूसरे बैच को स्वीकार करने की अनुमति दी गई. इन मेडिकल सीटों के जुड़ने और विभिन्न जिलों में मेडिकल कॉलेजों के कामकाज के साथ सरकार J & K में स्वास्थ्य देखभाल क्षेत्र में मौजूद अंतर को पाटने की उम्मीद कर रही है.
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