दिल्ली सिर्फ तमाशा देखती है. कोई मनचला किसी को छेड़े, कोई किसी पर हमला कर दे, सड़क पर किसी गाड़ी में आग लग जाए, कोई हादसे में घायल हो जाए. कुछ भी हो जाए, लोग तमाशा देखते हैं, और आगे बढ़ जाते हैं. बहुत करते हैं तो मोबाइल निकाल कर वीडियो बनाने लगते हैं. कल कन्हैया नगर मेट्रो स्टेशन पर हुए स्कूल वैन हादसे में भी यही हुआ कि लोग फौरन घायलों को अस्पताल पहुंचाने के इंतज़ाम में लगने की बजाय मोबाइल से वीडियो बना रहे थे. आज वसंत कुंज में कुछ दिन पहले हुई जिस घटना का खुलासा हुआ है, वहां भी यही हुआ. कल भी ये इतना ही शर्मनाक था और आज जो घटना सामने आयी है उसमें भी उतना ही शर्मनाक है.