प्यार सोच-समझ कर नहीं किया जाता है, ये तो बस हो जाता है. दिल्ली की एक अदालत ने एक केस में यही टिप्पणी दी है. जज ने कहा है कि कोई प्यार करे और उसमें विवेक का इस्तेमाल हो , यह संभव नहीं है.