बढ़ती महंगाई पहले ही जनता की जेब पर भारी पड़ रही थी कि इसी बीच प्याज का वजन भी अचानक बढ़ गया. प्याज के तेवर इस कदर बढ़े कि वो आम आदमी की थाली में समा नहीं पा रहा. खाने का ज़ायका बिगड़ रहा है और किचन का बजट भी. जनता प्याज के आंसू से राहत तलाश रही है और राजनीतिक पार्टियां आरोप-प्रत्यारोप की सियासत में व्यस्त हैं. सियासत इस कदर गरमा रही है कि संसद के बाहर सांसदों का प्रदर्शन हो रहा है और विधानसभा में विपक्ष प्याज की माला पहनकर सरकार को घेरने की कोशिश कर रहा है.