आमतौर पर जेल की बात चलते ही दिमाग़ में किसी ऐसे ठिकाने की तस्वीर उभरती है, जिसमें इंसान छोटी और तंग जगह में ठुसा पड़ा हो, ना ठीक से सोने का इंतज़ाम हो ना ही मनचाहा खाने-पीने की आज़ादी हो. कुल मिलाकर, ज़िंदगी नरक की मानिंद हो लेकिन इस दौर में लगता है जेलों की सच्चाई कुछ और ही है. नहीं, ऐसा नहीं है कि जेलों में अब क़ैदियों की ऐश हो रही है लेकिन सच्चाई है कि जिस क़ैदी के पास पैसा, पावर, रसूख और दबदबे जैसी चीज़ें हैं, उनके लिए जेल अब जेल नहीं, बल्कि क्लब बन कर रह गए हैं. यकीन नहीं आता, तो आइए आपको दिखाते हैं, देश की सबसे सख्त मानी जानेवाली तिहाड़ जेल की खौलती हुई सच्चाई.