भारतीय नौसेना के मिसाइल विध्वंसक INS Surat ने 24 अप्रैल को अरब सागर में एक परीक्षण अभ्यास के दौरान मीडियम रेंज सरफेस टू एयर मिसाइल का सफल परीक्षण किया. यह परीक्षण अरब सागर में पाकिस्तान नौसेना द्वारा सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइल परीक्षण से पहले किया गया था.
एमआर-एसएएम (MR-SAM) मिसाइल प्रणाली सतह से सतह पर मार करने वाली मिसाइलों और अन्य हवाई लक्ष्यों के खिलाफ अत्यधिक प्रभावी है.इस युद्धपोत का नाम गुजरात के सूरत शहर रखा गया है. हालांकि कई अन्य शहरों के नाम पर भी युद्धपोतों, विध्वंसकों और फ्रिगेट्स के नाम रखे जा चुके हैं.
यह भी पढ़ें: PAK के किन बड़े शहरों से गुजरती हैं सिंधु-झेलम-चेनाब नदियां, कहां बढ़ेगा Water Strike से संकट
नौसेना ने कोलकाता क्लास विध्ंवसकों को अपग्रेड करके उसका नाम विशाखापट्नम क्लास विध्वंसक कर दिया है. प्रोजेक्ट का नाम है पी-15 ब्रावो-क्लास या P15-B. यह एक गाइडेड मिसाइल डेस्ट्रॉयर है. विशाखापट्ट्नम क्लास के सभी डेस्ट्रॉयर्स लगभग एक ही आकार के हैं. INS Surat इस सीरीज का आखिरी विध्वंसक है.
यह भी पढ़ें: भारत-पाक में जंग परमाणु युद्ध की तरफ बढ़ सकता है, अमेरिकी खुफिया दस्तावेज का खुलासा
बराक और ब्रह्मोस तैनात, दुश्मन की हालत हो जाएगी पस्त
INS Surat पर बराक-8, ब्रह्मोस, एंटी-सबमरीन रॉकेट लॉन्चर, तोप समेत कई अत्याधुनिक हथियारों के लगाए जाने की सूचना है. इसमें एंटी एयर वॉरफेयर के लिए 32 बराक-8 मिसाइल तैनात की जा सकती हैं. एंटी-सरफेस वॉरफेयर के लिए 16 ब्रह्मोस एंटी-शिप मिसाइलें तैनात हो सकती है. एंटी-सबमरीन वॉरफेयर के लिए 533 मिमी की 4 टॉरपीडो ट्यूब्स या फिर 2 आरबीयू-6000 एंटी-सबमरीन रॉकेट लॉन्चर्स तैनात किए जा सकते हैं.
56 km/hr की स्पीड, 45 दिन समंदर में रहने की क्षमता
यह 7400 टन का है. इसकी लंबाई 163 मीटर और गति करीब 56 km/hr होगी. इस पर चार इंटरसेप्टर बोट के साथ 50 अफसर और 250 नौसैनिक रह सकते हैं. यह एक बार में 7400 km की यात्रा कर सकता है. करीब 45 दिनों तक समुद्र में रह सकता है.
यह भी पढ़ें: कुछ ही मिनटों में कराची समेत पूरा पाकिस्तान तबाह कर सकता है INS Vikrant कैरियर स्ट्राइक ग्रुप, जानिए ताकत
ये पुराने कोलकाता क्लास से अलग कैसे?
P-15A प्रोजेक्ट की तुलना में P-15B में पांच बड़े अंतर हैं. पहला ये कि इसमें 127 मिमी की Mk-45 नेवल गन लगी है. हालांकि इस दौड़ में OTO Melara 76 mm गन भी शामिल है. सोनार सिस्टम को हल से हटाकर बो तक लाया गया है. राडार का निगरानी में आने से बचने के लिए ब्रिज लेआउट और मास्ट डिजाइन को बदला है. रेललेस हेलिकॉप्टर ट्रेवर्सिंग सिस्टम लगाए हैं, ताकि खराब मौसम में हेलिकॉप्टरों को नुकसान न हो. शिप डेटा नेटवर्क, ऑटोमैटिक पावर मैनेजमेंट सिस्टम और कॉम्बैट मैनेजमेंट सिस्टम अपग्रेड किया गया है.
अन्य शहरों के नाम पर बने युद्धपोत
INS विशाखपट्नम, INS कोलकाता, INS कोच्चि, INS चेन्नई, INS दिल्ली, INS मैसूर, INS मुंबई, INS करवर, INS काकीनाडा, INS कुडालोर, INS कन्नूर, INS कोंकण और INS कोझिकोड. ऐसे कई और इलाकों के नाम पर नौसेना ने अपने कॉर्वेट्स, फ्रिगेट्स, डेस्ट्रॉयर्स या अन्य जंगी या खोजी जहाजों का नाम रखा है.