भारतीय नौसेना के एयरक्राफ्ट कैरियर INS विक्रमादित्य, जल्द ही अपनी हवाई रक्षा प्रणाली को और मजबूत करने जा रहा है. वर्तमान में इस विमानवाहक पोत पर इजरायल की बराक-1 मिसाइल प्रणाली तैनात है, लेकिन 2026-27 तक इसे DRDO द्वारा विकसित स्वदेशी वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल (VL-SRSAM) से बदल दिया जाएगा. आइए VL-SRSAM की खासियतों और इसके महत्व को समझते हैं.
INS विक्रमादित्य और बराक-1
INS विक्रमादित्य भारतीय नौसेना का एक प्रमुख विमानवाहक पोत है, जो हिंद महासागर में भारत की रणनीतिक ताकत का प्रतीक है. यह पोत वर्तमान में इजरायल की बराक-1 मिसाइल प्रणाली से लैस है, जो विमानों, ड्रोन, और एंटी-शिप मिसाइलों जैसे हवाई खतरों से सुरक्षा प्रदान करती है.
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बराक-1 एक पॉइंट-डिफेंस सिस्टम है, जिसका मतलब है कि यह छोटी दूरी के खतरों को नष्ट करने के लिए डिज़ाइन की गई है. यह 8-सेल कंटेनर में तैनात होती है.500 मीटर की दूरी तक हवाई खतरों को रोक सकती है. इसकी रेंज केवल 10-12 किमी है, जो आधुनिक खतरों के खिलाफ सीमित है.
2017 में भारतीय नौसेना ने बराक-1 को बदलने के लिए नए SRSAM सिस्टम की तलाश शुरू की थी, जिसमें स्वदेशी तकनीक को प्राथमिकता दी गई. VL-SRSAM इसी दिशा में एक बड़ा कदम है, जो न केवल बराक-1 से बेहतर है, बल्कि भारत की अपनी तकनीक पर आधारित है.
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VL-SRSAM क्या है?
VL-SRSAM (वर्टिकल लॉन्च शॉर्ट रेंज सरफेस-टू-एयर मिसाइल) DRDO द्वारा विकसित एक स्वदेशी मिसाइल सिस्टम है, जो भारतीय नौसेना और वायु सेना के लिए डिज़ाइन किया गया है. यह मिसाइल Astra Mark 1 हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल पर आधारित है. इसे नौसेना के युद्धपोतों पर तैनात करने के लिए अनुकूलित किया गया है. इसका मुख्य उद्देश्य बराक-1 को बदलना और जहाजों को हवाई खतरों, जैसे विमान, ड्रोन, हेलीकॉप्टर और समुद्र-सतह पर उड़ने वाली एंटी-शिप मिसाइलों से बचाना है.
VL-SRSAM की खासियतें
VL-SRSAM कई उन्नत तकनीकों से लैस है, जो इसे बराक-1 से कहीं अधिक प्रभावी बनाती है. इसकी प्रमुख विशेषताएं हैं...
INS विक्रमादित्य पर VL-SRSAM क्यों?
INS विक्रमादित्य पर बराक-1 को VL-SRSAM से बदलने के कई कारण हैं...
स्वदेशीकरण: बराक-1 एक आयातित सिस्टम है, जबकि VL-SRSAM पूरी तरह से भारत में विकसित और निर्मित है, जो आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को पूरा करता है.
उन्नत तकनीक: VL-SRSAM की रेंज, गति और सटीकता बराक-1 से कहीं बेहतर है. यह आधुनिक खतरों, जैसे समुद्र-सतह पर उड़ने वाली मिसाइलों और ड्रोन को प्रभावी ढंग से नष्ट कर सकती है.
लॉजिस्टिक सुविधा: भारतीय नौसेना विभिन्न प्रकार की SAM प्रणालियों (बराक-1, श्तिल-1, V601) का उपयोग करती है, जो रखरखाव और प्रशिक्षण को जटिल बनाता है. VL-SRSAM इन सभी को एकीकृत कर लॉजिस्टिक्स को सरल बनाएगी.
दो-स्तरीय रक्षा: VL-SRSAM और बराक-8 (LRSAM/MRSAM) मिलकर नौसेना के जहाजों को दो-स्तरीय हवाई रक्षा प्रदान करेंगे, जिसमें VL-SRSAM छोटी दूरी और बराक-8 लंबी दूरी के खतरों को नष्ट करेगी.
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रणनीतिक महत्व
हिंद महासागर में ताकत: INS विक्रमादित्य हिंद महासागर में भारत की रणनीतिक उपस्थिति का प्रतीक है. VL-SRSAM इसे और मजबूत बनाएगी, खासकर चीन और पाकिस्तान जैसे प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ.
आधुनिक खतरों से रक्षा: ड्रोन, हाइपरसोनिक मिसाइलें, और लो-एल्टीट्यूड एंटी-शिप मिसाइलें आधुनिक युद्ध में बड़े खतरे हैं. VL-SRSAM की चपलता और सटीकता इन्हें प्रभावी ढंग से रोक सकती है.
निर्यात की संभावना: VL-SRSAM की कम लागत और स्वदेशी आपूर्ति श्रृंखला इसे निर्यात के लिए आकर्षक बनाती है, जिससे भारत की रक्षा उद्योग को वैश्विक बाजार में बढ़ावा मिलेगा.