भारतीय सेना अपनी पैदल सेना को आधुनिक बनाने के लिए एक बड़ा कदम उठा रही है. अब सेना को पहली खेप में देशी सीक्यूबी कार्बाइन (Close Quarter Battle Carbines) मिलेंगी. ये छोटी दूरी की लड़ाई के लिए बनी हथियार हैं.
सेना के इन्फैंट्री डायरेक्टर जनरल लेफ्टिनेंट जनरल अजय कुमार ने कहा कि ये पैदल सेना के आधुनिकीकरण में मील का पत्थर है. हाल ही में 4.25 लाख कार्बाइन खरीदने का अनुबंध साइन हुआ है, जिसकी कीमत ₹2,770 करोड़ है. ये दो भारतीय कंपनियां बनाएंगी – भारत फोर्ज और पीएलआर.
सीक्यूबी कार्बाइन छोटी दूरी की लड़ाई के लिए बने हल्के हथियार हैं. ये शहरों में या तंग जगहों पर इस्तेमाल होते हैं, जैसे आतंकवादी ठिकानों पर छापा मारना. पुराने हथियारों से अलग, ये तेज, सटीक और आसानी से चलाने वाले हैं. लेफ्टिनेंट जनरल कुमार कहते हैं कि ये कार्बाइन सेना के सैनिकों को आधुनिक और भरोसेमंद हथियार देंगी.

अनुबंध 4.25 लाख कार्बाइन का है. ये दो भारतीय कंपनियां बनाएंगी...
डिलीवरी अगले साल से शुरू होगी. फ्रंटलाइन सैनिकों को पहले मिलेंगी, जो सीमा पर तैनात हैं. ये सौदा भारत की रक्षा निर्माण क्षमता को बढ़ाएगा. अब विदेशी हथियारों पर कम निर्भरता होगी.

सेना पुरानी 9x19mm स्टर्लिंग कार्बाइन को बदल रही है. ये 1940 के दशक में बनी थीं. 20 साल से ज्यादा पुरानी हैं. अब ये आधुनिक जंग के लिए पुरानी पड़ गई हैं. खासकर आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन या शहरों में लड़ाई में कमजोर.
ये बदलाव सेना की निकट युद्ध क्षमता को नया रूप देंगे.
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लेफ्टिनेंट जनरल कुमार ने कहा कि पैदल सेना का आधुनिकीकरण कई क्षेत्रों में हो रहा है – घातकता, गतिशीलता, जंग की पारदर्शिता, स्थिति की समझ, जीवित रहना और ट्रेनिंग.
ये कार्बाइन सिर्फ हथियार नहीं, बल्कि पूरे बदलाव का हिस्सा हैं. सेना सैनिकों को नई ट्रेनिंग देगी, ताकि ये हथियार अच्छे से इस्तेमाल हो सकें. इससे सीमा पर चीन-पाकिस्तान जैसी चुनौतियों का बेहतर जवाब मिलेगा.