भारतीय सशस्त्र बलों और एकीकृत रक्षा स्टाफ मुख्यालय से 700 से अधिक सैनिक मिस्र में बहुपक्षीय सैन्य अभ्यास 'ब्राइट स्टार 2025' में भाग लेंगे. यह अभ्यास 28 अगस्त से 10 सितंबर 2025 तक चलेगा. इस अभ्यास में भारतीय सेना, नौसेना और वायुसेना के संयुक्त प्रयास दिखेंगे.
मिस्र के सशस्त्र बलों ने 23 अगस्त 2025 को घोषणा की कि यह संयुक्त मिस्र-अमेरिकी अभ्यास मिस्र में होगा. मध्य पूर्व का सबसे बड़ा सैन्य अभ्यास होगा. इस बार 43 देश भाग लेंगे, जिनमें से 13 देश 7900 से अधिक सैनिकों के साथ सीधे शामिल होंगे, जबकि 30 देश पर्यवेक्षक के रूप में रहेंगे.
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आधुनिक युद्ध की तैयारी
यह अभ्यास विभिन्न सैन्य गतिविधियों पर केंद्रित होगा, जो तीनों सेनाओं की क्षमताओं को प्रदर्शित करेगा. मुख्य गतिविधियां इस प्रकार हैं...

ये गतिविधियां न केवल सैन्य कौशल को निखारेंगी, बल्कि अन्य देशों के साथ सहयोग और इंटरऑपरेबिलिटी को बढ़ाएंगी.

ब्राइट स्टार अभ्यास: 1980 से चली आ रही परंपरा
एक्सरसाइज ब्राइट स्टार 1980 से मिस्र द्वारा अमेरिका के सहयोग से आयोजित बहुपक्षीय अभ्यास है. यह अमेरिकी सेंट्रल कमांड (USCENTCOM) के क्षेत्र में सबसे लंबे समय से चलने वाले अभ्यासों में से एक है. शुरू में यह अमेरिका और मिस्र के बीच द्विपक्षीय था, लेकिन अब यह बहुपक्षीय हो गया है. अभ्यास का उद्देश्य क्षेत्रीय सुरक्षा मजबूत करना, सैन्य सहयोग बढ़ाना और भाग लेने वाली सेनाओं के बीच तालमेल सुधारना है.
यह अभ्यास हर दो साल में होता है. पिछली संस्करण 2023 में हुआ था, जिसमें भारत ने पहली बार भाग लिया था. 2023 में 34 देश शामिल हुए थे, लेकिन 2025 में यह संख्या बढ़कर 43 हो गई है. मिस्र के सैन्य प्रवक्ता के अनुसार, यह मध्य पूर्व का सबसे बड़ा अभ्यास होगा, जिसमें विभिन्न देशों की सेनाएं संयुक्त रूप से आधुनिक चुनौतियों का सामना करेंगी.
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भारत की भागीदारी
भारतीय सशस्त्र बलों की इस अभ्यास में भागीदारी भारत की वैश्विक भूमिका को मजबूत करती है. यह न केवल जॉइंटनेस को बढ़ावा देगी, बल्कि मित्र देशों के साथ सहयोग को गहरा करेगी. भारत और मिस्र के बीच मजबूत रक्षा संबंध हैं, जो 1960 के दशक से चले आ रहे हैं. हाल ही में भारत के रक्षा मंत्री और प्रधानमंत्री के मिस्र दौरे से यह सहयोग और मजबूत हुआ है.

2023 के अभ्यास में भारत ने 550 सैनिक भेजे थे, जिसमें वायुसेना की MiG-29, IL-78, C-130 और C-17 विमान शामिल थे. नौसेना का INS सुमेधा पहली बार भाग लिया था. 2025 में भागीदारी बढ़कर 700 से अधिक हो गई है, जो भारत की बढ़ती सैन्य क्षमता को दिखाता है. यह अभ्यास भारत को क्षेत्रीय शांति और स्थिरता में योगदान देने का अवसर देगा.
मध्य पूर्व में महत्व
मध्य पूर्व में यह अभ्यास क्षेत्रीय सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है. इसमें अमेरिका, सऊदी अरब, ग्रीस, कतर जैसे देश शामिल हैं. अभ्यास अनियमित युद्ध, मानवीय सहायता और आपदा राहत पर फोकस करेगा. 43 देशों की भागीदारी से यह वैश्विक सैन्य कूटनीति का प्रतीक बनेगा. मिस्र के सैन्य प्रमुख ने कहा कि यह क्षेत्र का सबसे उन्नत अभ्यास है, जो सहयोग को मजबूत करेगा.