ऑपरेशन सिंदूर न केवल भारत की सैन्य रणनीति की सफलता का प्रतीक है, बल्कि यह स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकी और आत्मनिर्भरता की दिशा में एक शानदार उदाहरण है. ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत की स्वदेशी हवाई रक्षा प्रणालियों, ड्रोन युद्ध और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध क्षमताओं के प्रदर्शन, विशेष रूप से पाकिस्तान की चीनी HQ-9 रडार प्रणाली को 23 मिनट में जाम करने की कहानी...
चीनी HQ-9 रडार सिस्टम को 23 मिनट में जाम करना
ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारत ने एक अभूतपूर्व तकनीकी उपलब्धि हासिल की, जब भारतीय वायुसेना ने पाकिस्तान को दी गई चीनी HQ-9 हवाई रक्षा प्रणाली को मात्र 23 मिनट में जाम कर दिया. HQ-9 एक उन्नत लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है, जिसे चीन ने रूस की S-300 प्रणाली के आधार पर विकसित किया है. यह प्रणाली हवाई हमलों, जैसे लड़ाकू विमानों और मिसाइलों, को रोकने में सक्षम है.
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कैसे किया जाम?
इलेक्ट्रॉनिक युद्ध (EW): भारत ने उन्नत इलेक्ट्रॉनिक युद्ध प्रणालियों का उपयोग कर HQ-9 के रडार और संचार नेटवर्क को बाधित किया. यह प्रक्रिया रडार की लक्ष्य ट्रैकिंग और मिसाइल मार्गदर्शन क्षमता को निष्क्रिय करती है.
स्वदेशी तकनीक: भारत की स्वदेशी EW प्रणालियों, जैसे सामवेदना और अन्य गोपनीय प्रणालियों ने HQ-9 के सेंसर को जाम कर इसे अंधा कर दिया.
सटीक हमले: जाम करने के बाद भारतीय वायुसेना ने लोइटरिंग हथियारों (आत्मघाती ड्रोन) का उपयोग कर लाहौर में HQ-9 प्रणाली को नष्ट कर दिया. ये हथियार लक्ष्य क्षेत्र में मंडराकर सटीक हमले करते हैं.
परिणाम: इस ऑपरेशन ने पाकिस्तान की हवाई रक्षा को कमजोर कर दिया.
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महत्व
इलेक्ट्रॉनिक युद्ध सामग्रियां: दुश्मन के रडार और संचार को जाम करने के लिए
9-10 मई की रात इस बहु-स्तरीय रक्षा ने पाकिस्तानी वायुसेना के हमलों को पूरी तरह रोक दिया. पिछले एक दशक में सरकारी निवेश ने इन प्रणालियों को मजबूत किया, जिसने नागरिक और सैन्य बुनियादी ढांचे को सुरक्षित रखा.
ऑपरेशन सिंदूर
22 अप्रैल 2025 को पहलगाम में पर्यटकों पर हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने ऑपरेशन सिंदूर शुरू किया, जिसका उद्देश्य आतंकी ढांचे को नष्ट करना. पाकिस्तान को रणनीतिक चेतावनी देना था. भारत की LoC या अंतरराष्ट्रीय सीमा को पार किए बिना सतर्क, सटीक और रणनीतिक थी.
इस ऑपरेशन में भारतीय सेना, वायुसेना और नौसेना ने संयुक्त रूप से आतंकी ठिकानों और पाकिस्तानी सैन्य संपत्तियों पर हमले किए. सबसे उल्लेखनीय थी स्वदेशी हाई-टेक प्रणालियों का उपयोग, जिसने ड्रोन युद्ध, हवाई रक्षा और इलेक्ट्रॉनिक युद्ध में भारत की तकनीकी श्रेष्ठता को प्रदर्शित किया.
हवाई रक्षा: भारत की अभेद्य दीवार
7-8 मई 2025 की रात पाकिस्तान ने उत्तरी और पश्चिमी भारत में कई सैन्य ठिकानों—अवंतीपुरा, श्रीनगर, जम्मू, पठानकोट, अमृतसर, कपूरथला, जालंधर, लुधियाना, आदमपुर, बठिंडा, चंडीगढ़, नल, फलोदी, उत्तरलाई और भुज—पर ड्रोन और मिसाइल हमले करने की कोशिश की. भारत की एकीकृत काउंटर यूएएस ग्रिड और वायु रक्षा प्रणालियों ने इन हमलों को पूरी तरह निष्प्रभावी कर दिया.
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प्रमुख हवाई रक्षा प्रणालियां
स्वदेशी आकाश मिसाइल प्रणाली
आकाश एक छोटी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल प्रणाली है, जो संवेदनशील क्षेत्रों और सामरिक बिंदुओं की रक्षा करती है. यह ग्रुप मोड में एक साथ कई लक्ष्यों को निशाना बना सकती है. इसमें इलेक्ट्रॉनिक काउंटर-काउंटर मेजर (ECCM) सुविधाएं हैं, जो दुश्मन के इलेक्ट्रॉनिक हस्तक्षेप को नाकाम करती हैं.मोबाइल प्लेटफॉर्म पर आधारित, यह प्रणाली विविध परिस्थितियों में प्रभावी है.
एकीकृत वायु कमान और नियंत्रण प्रणाली (IACCS)
IACCS ने सेना, नौसेना और वायुसेना की युद्ध सामग्रियों को एकीकृत कर एकसाथ चलाने वाले सेंटर ने कमाल किया. इसने वास्तविक समय में खतरों का आकलन और प्रतिक्रिया सुनिश्चित की, जिससे भारत की हवाई रक्षा एक अभेद्य दीवार बन गई.
पाकिस्तानी हमलों का निष्प्रभावीकरण
भारत की हवाई रक्षा प्रणालियों ने पाकिस्तान के ड्रोनों, मिसाइलों और अन्य हवाई खतरों को पूरी तरह विफल कर दिया. 8 मई की सुबह, भारतीय सशस्त्र बलों ने जवाबी कार्रवाई में पाकिस्तान के कई हवाई रक्षा रडार और प्रणालियों को निशाना बनाया. लाहौर में एक चीनी-निर्मित HQ-9 हवाई रक्षा प्रणाली को निष्प्रभावी कर दिया गया.
सटीक हमले और सुसाइड हथियार
भारत ने ऑपरेशन सिंदूर के दौरान नूर खान और रहीमयार खान जैसे प्रमुख पाकिस्तानी हवाई अड्डों पर सर्जिकल सटीकता के साथ हमले किए. इन हमलों में लोइटरिंग हथियारों (कामिकेज ड्रोन) का उपयोग किया गया, जो दुश्मन के रडार, मिसाइल सिस्टम और अन्य महत्वपूर्ण लक्ष्यों को ढूंढकर नष्ट करते हैं.
लोइटरिंग हथियारों की विशेषताएं
ये ड्रोन लक्ष्य क्षेत्र में मंडराते हैं. उपयुक्त लक्ष्य की तलाश करते हैं. उच्च सटीकता और कम लागत के साथ ये पारंपरिक मिसाइलों की तुलना में अधिक प्रभावी हैं. भारत ने स्वदेशी लोइटरिंग हथियार, जैसे ALFA-S (DRDO द्वारा विकसित) का उपयोग किया.
इसरो की भूमिका
इसरो के अध्यक्ष वी. नारायणन ने 11 मई को बताया कि भारत की सुरक्षा के लिए 10 उपग्रह 24 घंटे निगरानी कर रहे हैं. ये उपग्रह 7,000 किमी के समुद्री तट और उत्तरी सीमाओं की निगरानी करते हैं. उपग्रह और ड्रोन तकनीक ने ऑपरेशन सिंदूर में वास्तविक समय की खुफिया जानकारी और निगरानी प्रदान की, जिसने भारत की रणनीतिक सफलता सुनिश्चित की.