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एक बायो-केमिकल वेपन है गुजरात में ISIS आतंकियों से बरामद रिसिन, जानिए कितना कहर बरपा सकते थे

रिसिन एक घातक रासायनिक जहर है, जो अरंडी के बीजों के कचरे से बनता है. थोड़ी सी मात्रा (5 माइक्रोग्राम) भी सांस या इंजेक्शन से देने पर इंसान की जान ले सकती है. लक्षण: पेट दर्द, उल्टी, फेफड़े फटना. कोई इलाज नहीं, 36-72 घंटे में मौत. गुजरात एटीएस ने ISIS की आतंकी साजिश रोकी. आसानी से बनना और उपलब्धता इसे आतंकी हथियार बनाती है. ये एक तरह का बायो-केमिकल वेपन है.

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रिसिन अरंडी के बीज से निकलता है. ये दुनिया के सबसे जहरीले पदार्थों में से एक है. (File Photo: Getty)
रिसिन अरंडी के बीज से निकलता है. ये दुनिया के सबसे जहरीले पदार्थों में से एक है. (File Photo: Getty)

हाल ही में गुजरात एटीएस ने ISIS से जुड़े एक बड़े आतंकी प्लॉट को नाकाम किया, जिसमें रिसिन नाम के रासायनिक जहर का इस्तेमाल करने की साजिश थी. ये जहर अरंडी के बीजों (कैस्टर बीन्स) से बनता है, जो घर-घर में आसानी से मिल जाते हैं. लेकिन ये कितना खतरनाक है? एक छोटी सी मात्रा भी इंसान की जान ले सकती है.  

रिसिन क्या है? एक प्राकृतिक लेकिन घातक जहर

रिसिन एक प्रोटीन है, जो अरंडी के पौधे (रिसिनस कम्युनिस) के बीजों में पाया जाता है. ये पौधा दुनिया भर में उगाया जाता है, खासकर तेल निकालने के लिए. अरंडी का तेल दवाइयों, साबुन और मशीनों के लिए इस्तेमाल होता है. लेकिन बीजों में रिसिन नाम का जहर छिपा होता है, जो इतना ताकतवर है कि इसे जैविक हथियार माना जाता है. अमेरिका और रूस जैसे देशों ने कभी इसका इस्तेमाल हथियार के रूप में सोचा था. 

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रिसिन सफेद पाउडर, गंधरहित और स्वादहीन होता है. ये खाने, सांस लेने या इंजेक्शन से शरीर में डाला जा सकता है. अच्छी बात ये है कि ये संक्रामक नहीं – एक इंसान से दूसरे में नहीं फैलता. लेकिन अगर ये हवा में छोड़ा जाए या पानी में मिला दिया जाए, तो बड़े पैमाने पर नुकसान कर सकता है.

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 ricin Gujrat ats ISIS terror plot

कैसे बनता है रिसिन? कचरे से जहर

अरंडी के बीजों से तेल निकालने के बाद बचा हुआ कचरा – जिसे 'कैस्टर केक' कहते हैं – रिसिन का मुख्य स्रोत होता है. दुनिया में हर साल 20 लाख टन से ज्यादा अरंडी के बीज प्रोसेस होते हैं. 5% कचरा रिसिन युक्त होता है. 

तेल निकालने की प्रक्रिया सरल है: बीजों को कुचलकर गर्म पानी या रसायनों से तेल अलग किया जाता है. बचा हुआ गूदा रिसिन से भरा होता है.

घर पर भी रिसिन बनाना आसान है. बीजों को पीसकर, पानी में उबालकर और केमिकल्स (जैसे एसिड) से साफ करके शुद्ध रिसिन निकाला जा सकता है. लेकिन ये काम खतरनाक है – थोड़ा सा जहर हवा में फैल जाए तो खुद ही बीमार हो जाए.

गुजरात केस में आरोपी डॉक्टर ने 4 लीटर कैस्टर ऑयल खरीदकर इसी कचरे से रिसिन बनाने की कोशिश की थी. विशेषज्ञ कहते हैं कि ये जहर बनाना मुश्किल नहीं, लेकिन पहचानना और रोकना जरूरी है. 

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रिसिन कितना खतरनाक है? छोटी डोज भी काल

रिसिन दुनिया के सबसे घातक जहरों में से एक है. ये शरीर की कोशिकाओं को अंदर से नष्ट कर देता है. इसका कोई इलाज या एंटीडोट नहीं है – सिर्फ लक्षणों का इलाज किया जा सकता है. खतरा एक्सपोजर के तरीके पर निर्भर करता है...

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खाने से (ओरल): वयस्क के लिए 1-20 मिलीग्राम प्रति किलो वजन घातक. यानी 50 किलो वजन वाले इंसान के लिए 50-1000 मिलीग्राम. ये 5-20 अरंडी के बीजों के बराबर है. बच्चे के लिए 1-3 बीज ही जानलेवा हो सकते हैं. बीज न चबाएं तो जहर कम निकलता है, लेकिन चबाने से रिसिन मुक्त हो जाता है.

सांस लेने या इंजेक्शन से: सिर्फ 5-10 माइक्रोग्राम प्रति किलो वजन. यानी 50 किलो इंसान के लिए 0.25-0.50 मिलीग्राम – एक चावल के दाने जितना. ये तेजी से फेफड़ों या खून में घुसकर कोशिकाओं को मारता है. 

 ricin Gujrat ats ISIS terror plot

लक्षण 4-6 घंटे बाद शुरू होते हैं...

  • शुरुआत: पेट दर्द, उल्टी, दस्त (खून वाला भी), डिहाइड्रेशन.
  • बाद में: बुखार, कमजोरी, सांस लेने में तकलीफ, लीवर-किडनी फेलियर, शॉक.
  • अंत: 36-72 घंटे में मौत, अगर डोज ज्यादा हो. 

उदाहरण: 2022 में बेल्जियम में एक महिला ने बाल झड़ने से बचाने के चक्कर में 6 बीज खाए. उसे तेज दर्द, उल्टी हुई, लेकिन समय पर इलाज से बच गई. लेकिन अगर देरी हो, तो मल्टी-ऑर्गन फेलियर से मौत निश्चित. अमेरिकी सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल (सीडीसी) कहता है कि रिसिन 80 डिग्री सेल्सियस से ऊपर गर्म करने पर निष्क्रिय हो जाता है, लेकिन सामान्य तापमान पर स्थिर रहता है.

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खतरे के पीछे कारण: आसान उपलब्धता और आतंकी इस्तेमाल

अरंडी का पौधा गर्म इलाकों में जंगली उगता है. भारत जैसे देशों में इसकी खेती भी होती है. कचरा आसानी से मिल जाता है, इसलिए आतंकी इसे पसंद करते हैं. गुजरात केस में डॉ. अहमद ने रिसिन से शहरों में हमला करने की योजना बनाई थी. विशेषज्ञ चेताते हैं कि बड़े हमले में हवा में छोड़ने से हजारों प्रभावित हो सकते हैं. लेकिन अच्छी बात ये है कि रिसिन बॉटुलिज्म या टेटनस जहर से कम ताकतवर है. इसका उत्पादन नियंत्रित करना मुश्किल नहीं है. 

क्या करें अगर संदेह हो? सावधानी और इलाज

अगर रिसिन के संपर्क में आने का शक हो, तो तुरंत डॉक्टर के पास जाएं. शुरुआती इलाज है- उल्टी कराना, पानी देना, ऑक्सीजन. जांच से यूरिन में रिसिनीन (रिसिन का हिस्सा) पाया जा सकता है. सरकारें सख्त नियम बना रही हैं, लेकिन हमें भी जागरूक रहना चाहिए. अरंडी के बीजों को दवा के रूप में इस्तेमाल न करें – ये पारंपरिक चिकित्सा में गलत तरीके से इस्तेमाल होता है. 

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