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'अफगान पर परमाणु हथियार भले ही न हों, लेकिन...', तालिबान सरकार की पाकिस्तान को वॉर्निंग

इस्तांबुल वार्ता की असफलता से न केवल शांति प्रक्रिया रुक गई है बल्कि अफगानिस्तान-पाकिस्तान सीमा पर सैन्य टकराव का खतरा भी बढ़ गया है. इसके साथ ही अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को कड़ी चेतावनी दी है.

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अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को दी वॉर्निंग (Photo: AFP)
अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को दी वॉर्निंग (Photo: AFP)

पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सबकुछ ठीक नहीं है. दोनों मुल्कों के रिश्ते रसातल तक पहुंच गए हैं. इस बीच अफगानिस्तान ने पाकिस्तान को एक बार फिर वॉर्निंग दी है.

अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय के प्रवक्ता अब्दुल मतीन कानी ने एक इंटरव्यू में पाकिस्तान को वॉर्निंग देते हुए कहा कि वह पाकिस्तान को ऐसा जवाब देंगे, जो औरों के लिए बड़ा सबक बनेगा.

कानी ने कहा कि ये सच है कि हमारे पास परमाणु हथियार नहीं है. लेकिन नाटो के पास थे ना? अमेरिका के पास थे न? अमेरिका, अफगानिस्तान में 20 साल तक लड़ा और सभी तरह के हथियारों का भी इस्तेमाल किया. आपके पास भी अब हथियार हैं, कम और ज्यादा. लेकिन आपको ये नहीं भूलना चाहिए कि अफगानिस्तान के लोग किसी के सामने कभी झुके नहीं.

बता दें कि अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच शांति वार्ता की शुरुआत अक्टूबर 2025 की शुरुआत में उस समय हुई थी, जब पाकिस्तान ने अफगानिस्तान स्थित तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान (TTP) के कैंपों पर हवाई हमले किए थे, जिसमें दर्जनों लोग मारे गए थे. इसके जवाब में 19 अक्टूबर को कतर के दोहा में पहली दौर की वार्ता हुई, जहां दोनों देशों के रक्षा मंत्रियों ने तत्काल सीजफायर पर सहमति जताई और तनाव कम करने का वादा किया. लेकिन 25 से 28 अक्टूबर तक तुर्की के इस्तांबुल में दूसरी दौर की चार दिनों की वार्ता पूरी तरह विफल रही, क्योंकि कोई ठोस समझौता नहीं हो सका.

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यह वार्ता फेल होने का मुख्य कारण दोनों पक्षों के बीच गहरा अविश्वास और असहमति रहा. पाकिस्तान ने अफगान तालिबान सरकार से टीटीपी जैसे आतंकी संगठनों पर कड़ा एक्शन लेने, उनके कैंपों को खत्म करने और लिखित गारंटी देने की मांग की, साथ ही अपर्याप्त सबूत भी पेश किए. लेकिन अफगानिस्तान ने इन मांगों को असंभव बताते हुए कहा कि उनके पास टीटीपी पर पूरा नियंत्रण नहीं है और पाकिस्तान तीसरे देशों से ड्रोन हमलों की शिकायत कर रहा है. इसके बजाय अफगान पक्ष ने जिम्मेदारी टालते हुए पाकिस्तान पर ही दोष मढ़ा, जिससे बातचीत पटरी से उतर गई. तुर्की और कतर जैसे मध्यस्थों की कोशिशें भी नाकाम रहीं।

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