लश्कर-ए-तैयबा के आंतकी नावीद जट्ट के फरार होने के मामले में गिरफ्तार पांच अभियुक्तों का ट्रांजिट रिमांड लेने में एनआईए की टीम को गुरुवार को कामयाबी मिली. श्रीनगर में चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट (सीजेएम) ने पांचों को दो दिन के ट्रांजिट रिमांड पर एनआईए को सौंपा. इन पांचों में कुख्यात टिक्का खान के अलावा शकील अहमद बट, सैयद तजामुल इस्लाम, मोहम्मद शफ़ी वानी और मोहम्मद गनई शामिल हैं.
इन पांच अभियुक्तों को शुक्रवार को जम्मू में एनआईए स्पेशल कोर्ट में पेश किया जाएगा. साथ ही वहां इन्हें पुलिस रिमांड पर लेने के लिए मांग की जाएगी. अभियुक्तों को ट्रांजिट रिमांड पर लेने के लिए एनआईए की 10 सदस्यीय टीम श्रीनगर पहुंची थी. ये पांचों अभियुक्त पुलवामा के रहने वाले हैं.
बता दें कि बीती 6 फरवरी को श्रीनगर में एसएमएचएस अस्पताल में दुस्साहसिक ढंग से शूटआउट के बाद नावीद जट्ट फरार हो गया था. जट्ट को इलाज के लिए अस्पताल लाया गया था. एनआईए सूत्रों का कहना है कि एजेंसी का इरादा इन अभियुक्तों को गहन पूछताछ के लिए दिल्ली में अपने मुख्यालय ले जाने का है.
जम्मू-कश्मीर पुलिस में उच्च पदस्थ सूत्रों ने इंडिया टुडे को बताया कि राज्य पुलिस की जांच में व्यापक साजिश का खुलासा हुआ है और इस मामले के तार पाकिस्तान और दुबई से जुड़े नजर आ रहे हैं. इन सूत्रों के मुताबिक नावीद को फरार कराने के लिए एक स्थानीय आतंकी नेटवर्क को फंड ट्रांसफर हुआ था.
अब जांच से एनआईए जुड़कर नावीद जट्ट की फरारी से जुड़े सभी पहलुओं को जोड़ने की कोशिश करेगी. सूत्रों ने बताया कि चार अभियुक्तों की गिरफ्तारी तो अस्पताल में शूटआउट के कुछ ही घंटे बाद कर ली गई थी.
6 फरवरी को नावीद जट्ट समेत छह कैदियों को रूटीन चेकअप के लिए अस्पताल ले जाया गया था. लेकिन शूटआउट के बाद नावीद जट्ट अस्पताल से भागने में कामयाब रहा. इस दौरान जो पुलिसकर्मी नावीद जट्ट समेत कैदियों को लेकर अस्पताल आए थे, उनमें से दो- मुश्ताक अहमद और बाबर अहमद की गोलियां लगने से मौत हो गई थी.
एनआईए नावीद जट्ट की फरारी की जांच के दौरान इस पहलू पर भी ध्यान देगी कि कहीं इस मामले में किसी इनसाइडर का तो हाथ नहीं रहा. शक इसलिए भी जताया जा रहा है कि नावीद के जिस पेट दर्द का इलाज जेल में ही हो सकता था तो फिर उसे अस्पताल ले जाने की जरूरत क्यों पड़ी. इस पहलू पर भी ध्यान दिया जा रहा है कि जेल के अंदर पाकिस्तानी आतंकी के पास मोबाइल कैसे पहुंचा.
इस बीच, एक और अहम घटनाक्रम में आईबी की सिफारिश पर श्रीनगर जेल में बंद सभी पाकिस्तानी आतंकियों को वहां से लेह, उधमपुर और जम्मू जेल में ट्रांसफर करने का फैसला किया गया है.