राजस्थान के सांवराद में 12 जुलाई के दिन गैंगस्टर आनंदपाल की श्रद्धांजली सभा में पुलिस फायरिंग के दौरान एक शख्स की मौत हुई थी. पुलिस ने उस शख्स की पहचान छिपाने के लिए एक गंदा खेल खेला था. जिसका सच अब सामने आ गया है. मरने वाला कोई रोहतक का शख्स नहीं बल्कि नागौर जिले के मालासर का सुरेंद्र सिंह राठौड़ था. पुलिस ने इस बात को छिपाने के लिए झूठ का सहारा लिया था.
उस दिन सांवरद में लाखों की भीड़ जुटी थी. श्रद्धांजली सभा में भीड़ जुटी थी, जो अचानक पुलिस पर टूट पड़ी. पुलिस ने फायरिंग की थी. जिसमें एक शख्स की मौत हो गई थी. उस दिन पुलिस फायरिंग में मरने वाला सुरेंद्र सिंह राठौड़ नाम का व्यक्ति था. लेकिन पुलिस राजपूतों के आक्रोश से बचने के लिए पांच दिन तक उस व्यक्ति को हरियाणा के रोहतक का ब्राह्मण लालचंद शर्मा बताती रही.
पुलिस ने उसका शव जयपुर के सवाई मान सिंह अस्पताल में लाकर रख दिया था. पांचवें दिन शाम को खुलासा हुआ कि पुलिस फायरिंग में मरनेवाले का नाम लालचंद शर्मा नहीं वो तो नागौर जिले के मालासर का सुरेंद्र सिंह राठौड़ है. रिटायर्ड फौजी कल्याण सिंह का बेटा सुरेंद्र सिंह राठौड़. गैंगस्टर आनंदपाल के गांव के पास के ही मालासर गांव है, सुरेंद्र वहीं का रहने वाला था. सुरेन्द्र एक निजी कम्पनी में काम करता था. वह छुट्टी लेकर श्रद्धांजलि सभा में शामिल होने आया था.
दरअसल, सुरेंद्र राठौड़ के फोटो राजपूतों के सोशल मीडिया ग्रुप में वायरल हो चुके थे. ये फोटो सुरेंद्र की बहन ने जयपुर में देखा तो अपने पिता कल्य़ाण सिंह को फोन करके तस्वीर के बारे में बताया. कल्याण सिंह तब थाने पर पहुंचे और जयपुर आकर अपने बेटे की पहचान की. 12 जुलाई की पुलिस फायरिंग के बाद से हीं सुरेंद्र सिंह गायब था. घरवाले उसे खोज रहे थे और पुलिस ये सब जानती भी थी.
लेकिन, इसके बावजूद पुलिस उसे हरियाणा का ब्राह्मण बताती रही और ये कहती रही कि कोई लाश लेने के लिए नहीं आ रहा है. जबकि सुरेंद्र सिंह राठौड़ का गांव मालासर सांवरदा के बगल में ही है. उसके पिता कल्याण सिंह ने बताया कि उसका फोन 12 जुलाई से हीं बंद था और हम और हमारे सभी रिश्तेदार उसकी खोजबीन कर रहे थे, मगर पुलिस कह रही थी, मरने वाला हरियाणा का लालचंद शर्मा है.
उधर, जब पुलिस ने खुद को घिरा हुआ पाया तो एक नई कहानी सुनाई. पुलिस के मुताबिक सुरेंद्र सिंह ने मरने से पहले डीडवाना के अस्पताल में अपना नाम लालचंद शर्मा बताया था और खुद को हरियाणा का रहने वाला बताया था. हालांकि पुलिस की ये दलील किसी की गले नहीं उतर रही है. क्योंकि पुलिस को शायद पता चल गया था मरने वाला पास के गांव का राजपूत है. तभी शव को जयपुर की मोर्चरी में लाकर रख दिया था.
अब इस मामले के खुल जाने के बाद पुलिस की किरकिरी हो रही है. हकीकत सामने आने के बाद राजपूत संगठनों ने सुरेंद्र सिंह की मौत की जांच किए जाने के साथ-साथ और मुआवजे की मांग की है.