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जेल से रिहा होने के बाद मनु शर्मा ने कहा- 21 साल पहले की घटना को लेकर अफसोस

जेल से रिहा होने के बाद मनु शर्मा ने कहा कि शुरुआती साल गुजर जाने के बाद जब मुझे जेल में रहने की आदत पड़ गई तो मैंने अपना समय अधिक रचनात्मक तरीके से गुजारने का फैसला किया. मेरा पहला काम बगीचों को ठीक करना था क्योंकि इससे मुझे बहुत शांति और सुकून मिला.

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जेसिका लाल हत्याकांड के दोषी मनु शर्मा पिछले दिनों जेल से रिहा हुआ (फाइल)
जेसिका लाल हत्याकांड के दोषी मनु शर्मा पिछले दिनों जेल से रिहा हुआ (फाइल)

  • 'जेसिका के परिवार को तकलीफ के लिए बेहद अफसोस'
  • जेल में टॉयलेट का इस्तेमाल सबसे मुश्किल काम- मनु

जेसिका लाल हत्याकांड के दोषी मनु शर्मा को 17 साल बाद आखिरकार जेल से रिहाई मिल ही गई. रिहाई के बाद मनु शर्मा ने कहा कि 21 साल पहले घटी घटना को लेकर उसे बहुत पछतावा है. जेसिका के परिवार को हुई तकलीफ को लेकर मुझे बेहद अफसोस है.

रिहाई के बाद एक अंग्रेजी अखबार को ऑनलाइन दिए इंटरव्यू में मनु शर्मा ने कहा, '21 साल पहले जो हुआ उसको लेकर मुझे बहुत पछतावा है.' 45 साल के मनु शर्मा 1999 में जेसिका लाल मर्डर केस में उम्र कैद की सजा पूरी करने के बाद जेल से रिहा हुआ है. वह जेल में करीब 17 साल बंद रहा.

सीखा जीवन का मुश्किल पाठ

मनु शर्मा ने कहा कि इतने सालों तक पृथक रहने के बाद जीवन का सबसे मुश्किल पाठ सीखा और इसी ने जीवन में सुधार करने में मदद भी की. जेल की जिंदगी परिवार और भव्य जिंदगी से दूर होती है.

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अंग्रेजी अखबार को दिए अपने इंटरव्यू में मनु से जेल के अनुभव को साझा करते हुए कहा, 'जेल जाना बेहद कठिन और डरावनी चीजों में से है जो किसी को भी हो सकती है. मैं तब 23 साल का था और अपने काम तथा जिंदगी के बारे में सोच रहा था. और एक दिन, अचानक मैं 5 बजे सुबह एकत्र होने के लिए लोहे के फाटकों की बजने वाली आवाज से जागा.'

उन्होंने कहा, 'मैंने खुद को बेहद परेशान पाया. दिन का सबसे मुश्किल काम शायद टॉयलेट का इस्तेमाल करना था, क्योंकि 500 ​​से अधिक कैदियों के लिए सिर्फ 5 टॉयलेट ही थे. पानी की एक बाल्टी लग्जरी जैसी थी.' उन्होंने आगे कहा कि आप तिहाड़ में कई मुश्किलों का सामना करते हो, लेकिन समय के साथ उनके साथ रहना सीख जाते हैं. उन्होंने कहा कि वहां के हालात का सामना करना पड़ता है और बैरक में लगातार अलर्ट भी रहना पड़ता है.

नकारात्मकता से दूर रहने की कोशिश

मनु शर्मा ने कहा कि शुरुआती साल गुजर जाने के बाद जब मुझे जेल में रहने की आदत पड़ गई तो मैंने अपना समय अधिक रचनात्मक तरीके से गुजारने का फैसला किया. मेरा पहला काम बगीचों को ठीक करना था क्योंकि इससे मुझे बहुत शांति और सुकून मिला.

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इसके बाद, मुझे तिहाड़ जेल फैक्ट्री में काम करने को कहा गया और मैंने वहां पर 10 साल गुजारे. मैंने खुद को अपने काम में लगाए रखने की कोशिश की जिससे जेल के माहौल की नकारात्मकता से दूर रह सकूं.

उन्होंने कहा कि मैंने जितना संभव हो सका पढ़ने की कोशिश की और मानवाधिकार में अपनी डिग्री पूरी की, फिर लॉ की पढ़ाई की. पिछले 21 सालों में मैंने कई कठिन पाठ सीखे और उम्मीद है कि जेल के बाद की जिंदगी में मुझे बेहतर करने में मदद करेगी.

भगवान का शुक्रगुजार हूं- मनु

घटना के बारे में मनु शर्मा ने कहा कि मैं उस समय 23 साल का लड़का था. मैंने कभी किसी को कोई नुकसान पहुंचाने के बारे में नहीं सोचा था और जो हुआ उसके लिए मैं बहुत दुखी हूं. अब तक का सबसे कठिन समय मेरे माता-पिता को गुजारना पड़ा. मुझे लगता है कि मैंने जो कुछ भी देखा उसकी तुलना में मैंने जो कष्ट झेले, वो कुछ भी नहीं था. मैं वास्तव में भगवान का शुक्रगुजार हूं कि 21 साल के बाद यह अब खत्म हो गया.

मनु शर्मा कहते हैं कि मेरा साथ देने वाले परिजनों और दोस्तों के साथ रहने के लिए दूसरा चांस देने को लेकर भगवान का शुक्रगुजार हूं.

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जेसिका लाल की बहन सबरीना की ओर से तिहाड़ जेल अधिकारियों को खुद को माफी दिए जाने के बारे में मनु कहा कि सबरीना और उनके परिवार के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने के लिए मेरे पास कोई शब्द नहीं हैं. मुझे उन्हें हुई तकलीफ को लेकर बेहद खेद है. मैं उनकी भव्यता के लिए सदा आभारी हूं.

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जेल की फैक्ट्री में कई नई चीजों को शुरू करने के लिए जेल अफसरों की ओर से तारीफ करने के मामले में मनु ने कहा कि जेल में आपको काम आवंटित किया जाता है, और मुझे जेल कारखाने में काम करने को कहा गया. मैंने जितना संभव हो सका, सौंपे गए काम को करने की कोशिश की. मैं गर्व के साथ कह सकता हूं कि हम जेल फैक्ट्री का टर्नओवर लेने में सक्षम थे और इसे 1 करोड़ से बढ़ाकर 32 करोड़ रुपये कर दिया और शुरुआत में सिर्फ 70 कैदियों से 600 से अधिक कैदियों को काम और मजदूरी देने में सक्षम हो गए.

मनु शर्मा इससे पहले भी उसके अच्छे आचरण की वजह से कई बार जेल से बाहर आया और वापस गया. ये सुविधा उसे पैरोल और फरलो की वजह से मिली थी. मनु एक बार नहीं बल्कि कई बार सजायाफ्ता कैदियों को मिलने वाली इन सुविधाओं के सहारे जेल से बाहर आया था.

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29 अप्रैल, 1999 की घटना

दरअसल, मनु शर्मा का नाम जेसिका लाल हत्याकांड के बाद सुर्खियों में आया था. वह पूर्व केंद्रीय मंत्री विनोद शर्मा का बेटा है. जेसिका नई दिल्ली में रहने वाली एक मॉडल थी. घटना 29 अप्रैल 1999 की है. उस दिन जेसिका लाल एक पार्टी में बारमेड का काम कर रही थी.

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मनु शर्मा अपने दोस्तों के साथ उस पार्टी में मौजूद था. तभी वहां शराब परोसने को लेकर जेसिका लाल का उन लोगों से कुछ विवाद हुआ और गोली चल गई. गोली सीधी जेसिका को लगी और उसकी वहीं पर मौत हो गई. मामला पुलिस में जा पहुंचा. मनु शर्मा और उसके तीनों दोस्तों को गिरफ्तार कर लिया गया.

करीब सात साल मुकदमा चला और 21 फरवरी 2006 को मनु शर्मा और उसके साथियों को जेसिका लाल हत्याकांड से बरी कर दिया गया. इससे जनता का गुस्सा भड़क गया. जबरदस्त दबाव के बाद अभियोजन पक्ष ने फिर कोर्ट में अपील दायर की. दिल्ली हाई कोर्ट ने कार्रवाई करते हुए फास्ट ट्रैक पर दैनिक सुनवाई की.

25 दिनों तक केस चला और मनु शर्मा को जेसिका लाल की हत्या का दोषी करार दिया गया. इसके बाद 20 दिसंबर 2006 के दिन मनु शर्मा को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी. तभी से मनु शर्मा जेल में बंद था.

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