यूपी के नोएडा में मां-बहन की हत्या के करने वाले नाबालिग बेटे को पुलिस ने वाराणसी से बरामद कर लिया. वह हत्याकांड के समय से ही लापता था. दरअसल, आरोपी लड़का अपनी फरारी के चार दिनों में अलग अलग सात शहरों में घूमता रहा और आखिरकार बनारस आकर उसने अपने पिता को फोन किया. तभी पुलिस उस तक जा पहुंची.
गौर सिटी के फ्लैट में अपनी मां अंजलि और छोटी बहन को बेरहमी से कत्ल करने के लिए आरोपी लड़के ने बैट, कैंची और पिज्जा कटर का इस्तेमाल किया था. वारदात को अंजाम देने के बाद उसने कपड़े बदले. अपने बैग में कुछ पैसे और सामान रखने के बाद वह लिफ्ट से नीचे आया और सोसाइटी से बाहर निकल गया.
आरोपी ने सोसाइटी से बाहर आकर एक टैक्सी पकड़ी और दिल्ली की तरफ रवाना हो गया. उसने टैक्सी वाले को नई दिल्ली रेलवे स्टेशन चलने के लिए कहा. टैक्सी वाले ने उसे स्टेशन पर छोड़ दिया. कुछ देर वह वहां घूमता रहा और फिर वहां से उसने लुधियाना जाने वाली एक ट्रेन पकड़ ली.
लुधियाना पहुंचकर वह स्टेशन पर कुछ देर खड़ा रहा और उसके बाद उसने चंडीगढ़ जाने वाली ट्रेन पकड़ ली. ट्रेन चंडीगढ़ पहुंची तो आरोपी लड़का वहीं उतर गया. बाहर आया और शिमला जाने वाली बस में चढ़ गया. इस तरह वह शिमला जा पहुंचा. रात में वहीं गुजरने के बाद फिर उसने चंडीगढ़ की बस पकड़ ली.
वह लौटकर चंडीगढ़ आ गया. वहां वो घूमता रहा. इसके बाद वह फिर चंडीगढ़ रेलवे स्टेशन जा पहुंचा. वहां बैठा रहा फिर अचानक न जाने क्या सोचकर उसने झारखंड जा रही एक ट्रेन पकड़ ली. ट्रेन रांची जा पहुंची और वह रांची ही उतर गया. रात में वहीं रहा. इधर उधर घूमता रहा.
फिर उसने रांची से दिल्ली जाने वाली एक एक्सप्रेस ट्रेन पकड़ ली. लेकिन वो दिल्ली आने के बजाय रास्ते में ही मुगलसराय में उतर गया. इधर उधर टहलने के बाद शायद वह परेशान हो चुका था. उसका फोन भी काम नहीं कर रहा था. इसी दौरान उसने वहां किसी शख्स मोबाइल फोन लेकर अपने पिता को कॉल की और उन्हें बताया कि वो कहां है.
पिता की सूचना पर ही पुलिस हरकत में आई और नोएडा पुलिस की एक टीम फौरन वाराणसी के लिए निकल गई और दशाश्वमेघ घाट से उसे पकड़ लिया. आधी रात के वक्त पुलिस उसे लेकर वापस नोएडा आ गई. इसी दौरान पूछताछ में उसने अपना गुनाह कबूल कर लिया. कुल मिलाकर वारदात के बाद चार दिन तक वह सात शहरों की खाक छानता रहा.