गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सिजन की कमी के चलते बच्चों की मौत के मामले में करीब 8 महीने से जेल में बंद डॉ. कफील खान को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत दे दी है. हाईकोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि डॉ. कफील के खिलाफ मेडिकल नेग्लिजेंस या भ्रष्टाचार के कोई सबूत नहीं मिले हैं, इसलिए उन्हें जमानत पर रिहा किया जाता है.
गोरखपुर बीआरडी मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के लिए सरकार की ओर से जिम्मेदार ठहराए गए डॉ. कफील को हाईकोर्ट ने जब जमानत दी तो अपने आदेश में साफ लिखा है अब तक आधिकारिक रूप से कफील खान के खिलाफ मेडिकल नेग्लिजेंस का कोई सबूत सामने नहीं आया है.
इतना ही नहीं ऑक्सिजन गैस की सप्लाई के लिए जारी टेंडर में हुए भ्रष्टाचार में भी हाईकोर्ट ने डॉ. कफील की संलिप्तता के सबूत मिलने से इनकार किया. डॉ. कफील को हाईकोर्ट से 25 अप्रैल को जमानत मिली और शनिवार को जेल से रिहा कर दिए गए.
जेल से बाहर आने के बाद कफील ने कहा कि माननीय उच्च न्यायालय ने स्पष्ट कहा है कि उनके खिलाफ कोई सबूत नहीं है. पिछले आठ महीने में उनके परिवार ने क्या कुछ सहा है, सबको पता है. उन्होंने कहा, मैंने वही किया जो एक पिता, एक डॉक्टर और एक हिंदुस्तानी करता. मैंने बच्चों को बचाने की कोशिश की थी.
डॉ. कफील खान ने यह भी कहा कि आठ महीने जेल में बिताने के बाद मैं मानसिक रूप से परेशान हूं और शारीरिक तौर पर भी बीमार महसूस कर रहा हूं. मैं अपने घर, अपने परिवार में जाना चाहता हूं. कफील खान रिहा होने के बाद अपनी मां के गले मिलकर खूब रोए. अब जबकि जमानत मिल चुकी है कफील एक बार फिर BRD मेडिकल कॉलेज जॉइन करना चाहते हैं.
लेकिन मेडिकल कॉलेज में बच्चों की मौत के मामले में कानून की लड़ाई अभी लंबी है, क्योंकि अभी भी बीआरडी मेडिकल कॉलेज के पूर्व प्रिंसिपल और उनकी आरोपी पत्नी सहित सात लोग जेल में हैं और योगी सरकार इस मामले मे कोई रियायत बरतने के मूड में नहीं है.