दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने राजधानी में चल रहे एक ऐसे रैकेट का पर्दाफाश किया है जो गरीब घर के नवजात शिशुओं को उनके माता-पिता से खरीदकर निःसंतान दम्पत्ति को 2 से 5 लाख रुपये में बेच दिया करता था.
क्राइम ब्रांच सूत्रों के मुताबिक दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच प्रशांत विहार स्पेशल इन्वेस्टिगेशन यूनिट के एक कांस्टेबल को 14 अगस्त को एक मुखबीर से खबर मिली कि नारायणा के इंद्रपुरी इलाके में एक नवजात बच्चे को चोरी कर छुपा कर रखा गया है.
नकली निःसंतान दम्पत्ति बनकर गई पुलिस
तफ्तीश के दौरान रैकेट के एक मास्टरमाइंड जहांगीर का नाम पुलिस को पता लगा, जो दिल्ली का ही रहने वाला है. इसके बाद पुलिस नकली निःसंतान दम्पत्ति बनकर जहांगीर से मिलने पहुंची और एक बच्चे की डिमांड की. शुरुआत में तो जहांगीर ने बहाने बनाए, लेकिन जब उसे इस बात का यकीन हो गया कि इस दम्पत्ति को बच्चे की जरूरत है तो वो दाम बताकर बच्चा दिलवाने के लिए राजी हो गया.
पुलिस यह संकेत मिलने के बाद जहांगीर की मदद से इस रैकेट के शामिल अन्य लोगों तक पहुंच गई और फिर 3 महिलाओं सहित कुल 12 लोग गिरफ्तार कर लिए गए जिसमें 2 ऐसे निःसंतान पिता भी हैं जिन्होंने इस रैकेट से 2 से 5 लाख रुपये में बच्चा खरीदा था.
साथ ही साउथ दिल्ली में एक फर्टीलिटी क्लीनिक के एक मैनेजर को भी गिरफ्तार किया गया. दरअसल गिरफ्तार मैनेजर ही वो कड़ी था जो रैकेट के लिए निःसंतान दम्पत्ति मुहैया करवाता था.
और भी आरोपियों पर नजर
पुलिस ने चार बच्चों को बरामद भी किया है जिसमें एक नवजात की हालत बहुत नाजुक थी, बाद में इलाज के दौरान उसकी मौत भी हो गई. बाकी बरामद बच्चों को बाल संरक्षण गृह में रखा गया है. बाल कल्याण विभाग को भी मामले से अवगत करवाया गया है.
सभी आरोपियों को जेल भेज दिया गया है. गिरफ्तार एक पिता को जमानत मिल गई है. ये रैकेट अस्पताल में अपने एजेंट्स के जरिए गरीब परिवारों पर नजर रखता था और मौका लगते ही पैसों के जरुरतमंद लोगों को पैसे के लालच में बच्चे को बेचने पर मजबूर कर लेता था.
बताया जा रहा है कि इस रैकेट से जुड़े कुछ और लोगों की गिरफ्तारी के प्रयास जारी है. पकड़े गए लोगों के पास से नकली सरकारी प्रमाण पत्र भी बरामद किए गए हैं.