बिहार के सीनियर आईएएस अधिकारी और राजस्व बोर्ड के सदस्य एस.एम राजू का नाम भी भ्रष्ट अधिकारियों की सूची में शुमार हो गया है. निगरानी विभाग ने छात्रवृति घोटाला में आईएएस अधिकारी एस.एम राजू को आरोपी बनाते हुए निगरानी थाने में उन पर मामला दर्ज किया है.
निगरानी विभाग ने जांच में पाया कि राजू जब कल्याण विभाग के सचिव पद पर तैनात थे, तो अनुसूचित जाति/जनजाति छात्रों को मिलने वाली छात्रवृति में करोड़ों रुपये की हेराफेरी की थी. उसका बंदरबांट किया था. इस मामले में निगरानी विभाग ने दर्जनभर लोगों पर केस दर्ज किया है.
यह मामला वित्तीय वर्ष 2013-14 में अनुसूचित जाति/जनजाति प्रवेशिकोत्तर छात्रवृति में बंदरबांट का है. निगरानी विभाग ने इस मामले की जांच इसी साल मार्च महीने में शुरु की थी. जांचोपरांत निगरानी विभाग ने पाया कि छात्रवृति के वितरण में जमकर हेराफेरी की गई है.
करोड़ों रुपये की राशि का बंदरबांट आईएएस अधिकारी एस.एम राजू की मिलीभगत से की गई है. बिहार के कई जिलों में डीएम और आयुक्त तक के पद को राजू संभाल चुके हैं. उन पर आंध्र प्रदेश के कॉलेज के 25 छात्रों को नियमों को ताक पर रखकर छात्रवृति दिलाने का आरोप है.
निगरानी विभाग ने जांच के दौरान पाया कि 15 वैसे छात्रों को छात्रवृति का भुगतान तत्कालीन कल्याण विभाग के सचिव की मिली भगत से किया गया, जो संस्थान छोड़कर पढ़ाई पूरी किए बिना चले गए. पांच वैसे छात्रों को भी छात्रवृति का भुगतान किया गया जो संस्थान से पढ़ाई पूरी कर चले गए.
निगरानी विभाग के पास इन सभी 20 छात्रों के नाम और पता उपल्ब्ध है. निगरानी विभाग को छात्रों से ये शिकायत मिली थी कि संस्थान ने नामांकन से पहले ही कल्याण विभाग को छात्रों की सूची मार्क्स के साथ भेज दी थी. कई छात्रों के परीक्षा का मार्क्स संस्थान ने नामांकन के पहले ही जारी कर दिया था.
गोन्ना इंस्टीच्यूट ऑफ इन्फॉरमेशन टेक्नोलॉजी एंड साइंस, विशाखापत्तनम आंध्रप्रदेश ने 25 छात्रों के परीक्षा का मार्क्स संलग्न कर कल्याण विभाग को भेजा था, लेकिन इनमें छह छात्रों ने निगरानी विभाग को लिखित शिकायत कि उन्होंने संस्थान में कोई परीक्षा ही नहीं दी थी.
निगरानी विभाग ने राजू के अलावा कल्याण विभाग के तत्कालीन विशेष सचिव सुरेश पासवान, सहायक निदेशक इंद्रजीत मुखर्जी, गोन्ना इंस्टीच्यूट के निदेशक, सचिव और अन्य पर आईपीसी की धारा 406, 409, 420, 467, 468, 471, 477(ए), 120बी और भ्रष्टाचार निरोधक अधिनियम के तहत केस दर्ज किया है.