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बिहार में शराबबंदी, BDO के घर नशे की हालत में मिला कुख्यात अपराधी

सोमवार की रात कुख्यात अपराधी तुलसी राय को जब गिरफ्तार किया गया तब वह पारू के प्रखंड विकास पदाधिकारी रत्नेश कुमार के आवास पर मौजूद था.

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BDO के घर नशे की हालत में मिला कुख्यात अपराधी
BDO के घर नशे की हालत में मिला कुख्यात अपराधी

बिहार में शराबबंदी लागू है, लेकिन इस बीच पुलिस ने एक कुख्यात अपराधी को नशे की हालत में गिरफ्तार किया है, वह भी एक अधिकारी के घर से. पुलिस को मुजफ्फरपुर में पारू के BDO पर शराब के धंधे में शामिल होने का शक था. छापेमारी के दौरान BDO खुद तो नशे की हालत में नहीं पाया गया, लेकिन उसके घर से एक कुख्यात अपराधी जरूर नशे की हालत में पाया गया.

इस घटना ने बिहार की पुलिस प्रशासन पर बड़ा सवाल खड़ा कर दिया है कि जिन पर शराबबंदी को लागू करने की जिम्मेदारी है, वह शराब का धंधा करने वाले अपराधी को प्रश्रय क्यों दे रहा है. पुलिस ने बताया कि छापेमारी के दौरान BDO का भी ब्रेथ एनालाइजर से टेस्ट किया गया, हालांकि वह नशे में नहीं पाए गए.

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लेकिन पुलिस भी हैरानी जता रही है कि अपराधी, वह भी शराब के नशे में बीडीओ के आवास पर आखिर क्या कर रहा था. सोमवार की रात कुख्यात अपराधी तुलसी राय को जब गिरफ्तार किया गया तब वह पारू के प्रखंड विकास पदाधिकारी रत्नेश कुमार के आवास पर मौजूद था.

तुलसी की गिरफ्तारी के लिए पारू पुलिस को बड़ी मशक्कत करनी पड़ी. एसडीपीओ सरैया शंकर झा ने बताया कि प्रखंड विकास पदाधिकारी रत्नेश कुमार की भी नशे के हालत में होने की आशंका थी, जिसके मद्देनजर उनकी भी ब्रेथ एनलिसिस की गई.

डीएसपी का कहना है कि बीडीओ रत्नेश कुमार के आवास पर कुख्यात अपराधी के नशे की हालत में पकड़े जाने की रिपोर्ट राज्य सरकार को भी भेजी जाएगी. इधर पुलिस ने गिरफ्तार तुलसी राय को जेल भेज दिया है.

कुख्यात तुलसी राय ने मीडिया को बताया कि दिनभर बीडीओ और डीसीएलआर उसके साथ मानव श्रृंखला के मुद्दे पर साथ घूमे थे. कुख्यात तुलसी राय ने यह भी बताया कि उसे फोन कर सरकारी आवास पर बुलाया गया था.

शराब के मुद्दे पर उसने कहा कि उसने कफ सिरप की पुरी बोतल पी ली थी, जिसके चलते ब्रेथ एनालाइजर से जांच में नशे की बात सामने आई. गौरतलब है कि तुलसी राय की पत्नी जिला परिषद की सदस्य हैं.

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अब सवाल उठता है कि प्रखंड विकास पदाधिकारी जो प्रखंड के मद्य निषेध पदाधिकारी भी होते हैं, उनके सरकारी आवास पर कोई अपराधी नशे की हालत में रहता है, लेकिन प्रखंड विकास पदाधिकारी इसकी सूचना पुलिस को खुद नहीं देते. इससे सहज ही सवाल उठता है कि क्या प्रखंड विकास पदाधिकारी नशेड़ी और अपराधियों को संरक्षण देते हैं.

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