scorecardresearch
 

ED और IT जांच पर राणा अय्यूब ने तोड़ी चुप्पी, कहा- बैंक स्टेटमेंट जानबूझकर गलत पढ़ा गया

प्रवर्तन निदेशालय (ED) की जांच पर प्रतिक्रिया देते हुए राणा अय्यूब ने कहा है कि उनके खिलाफ लगाए गए आरोप उनके बैंक स्टेटमेंट को जानबूझकर गलत तरीके से पढ़ा गया है. राणा अय्यूब का कहना है कि उन्होंने दान के रूप में प्राप्त धन पर आयकर के रूप में 1 करोड़ रुपये से अधिक का भुगतान किया है.

Advertisement
X
राणा अय्यूब. -फाइल फोटो
राणा अय्यूब. -फाइल फोटो
स्टोरी हाइलाइट्स
  • दान में मिली रकम के लिए 1 करोड़ से अधिक का दिया था टैक्स
  • कहा- मेरे खिलाफ लगाए गए सारे आरोप बेबुनियाद हैं

पत्रकार राणा अय्यूब ने शुक्रवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से उनके खिलाफ लगाए गए आरोपों के जवाब में अपनी चुप्पी तोड़ी. राणा अय्यूब पर एजेंसी द्वारा कोरोना महामारी के दौरान राहत के लिए दान के रूप में प्राप्त धन के दुरुपयोग का आरोप है. राणा अय्यूब की ओर से शुक्रवार को जारी बयान में कहा गया है कि व्यक्तिगत खर्चों के लिए धन के दुरुपयोग के आरोप की कोई गुंजाइश नहीं है. आरोप बेबुनियाद हैं, पूरी तरह से दुर्भावना से भरे हुए हैं और रिकॉर्ड भी झूठे हैं. मेरे बैंक स्टेटमेंट को जानबूझकर गलत तरीके से पढ़ा गया है.

राणा अय्यूब के बयान में आगे कहा गया है कि मेरे खिलाफ लगाए गए आरोप मुझे एक पत्रकार के रूप में अपना काम जारी रखने और विशेष रूप से महत्वपूर्ण मुद्दों को उठाने और कठोर सवाल पूछने के लिए मेरी पेशेवर प्रतिबद्धता से नहीं रोकेगा. ये मेरा पत्रकार के रूप में कर्तव्य है. संवैधानिक लोकतंत्र में मुझे विश्वास है कि मेरे खिलाफ लगाए गए आरोप किसी भी निष्पक्ष और ईमानदार जांच का सामना नहीं कर पाएंगे.

उन्होंने कहा कि मैंने अभियानों के माध्यम से सार्वजनिक रूप से धन जुटाया था, इसलिए मैं उनके उपयोग के बारे में किसी भी संदेह को दूर करने और पारदर्शिता बनाए रखने के लिए जनता का पैसा कैसे खर्च किया गया, इसका लेखा-जोखा साझा कर रही हूं.

राणा अय्यूब ने अप्रैल 2020, जून 2020 और मई 2021 में केटो प्लेटफॉर्म पर खाद्यान्न, राशन और चिकित्सा सहायता के साथ कमजोर और प्रभावित लोगों को राहत पहुंचाने के लिए अभियान शुरू किया. अपने बयान में पत्रकार ने लिखा कि केटो ने उनसे दो बैंक खातों का विवरण देने को कहा जहां दान में दी गई राशि ट्रांसफर की जानी थी. 

Advertisement

राणा अय्यूब ने लिखा कि उस समय मेरे पर्सनल बैंक अकाउंट का यूज नहीं किया जा सकता था क्योंकि केटो को मेरे पैन कार्ड की तुरंत आवश्यकता थी, जो उस समय मौजूद नहीं थी. इन परिस्थितियों में जैसा कि मैंने सोचा था कि कोरोना से पीड़ित परिवारों को सहायता चाहिए. मैंने केटो को अपने पिता और बहन के बैंक अकाउंट्स की डिटेल दी. 

राणा अयूब आगे कहती हैं कि वह नियमित रूप से सोशल मीडिया पर राहत कार्यों के लिए जुटाए गए धन के बारे में अपडेट पोस्ट करती हैं. उन्होंने कहा कि मुझे यह भी पता था कि पैसे का एक हिस्सा रमज़ान के महीने में भारत में मुसलमानों द्वारा राहत अभियान के लिए दान किया गया था. एक मुस्लिम के रूप में मैं ज़कात की पवित्रता और जरूरतमंद लोगों के लिए इसके उपयोग को समझती हूं. 

जनवरी 2021 में कराई थी रीढ़ की सर्जरी

राणा अय्यूब ने कहा कि कोरोना राहत कार्य में जुटी मेरी टीम के कई सदस्य कोरोना संक्रमित हुए. मेरी टीम के दो सदस्यों की मौत भी कोरोना से हो गई. इसके बाद हमें अस्थायी रूप से राहत कार्य रोकना पड़ा. राणा अय्यूब ने लिखा कि उन्हें जनवरी 2021 में रीढ़ की सर्जरी करानी पड़ी, जिसके बाद देश में कोरोना की दूसरी लहर आई और उन्होंने राहत कार्य को फिर से शुरू करने का फैसला किया.

Advertisement

उन्होंने अपने बयान में आगे कहा कि मैंने फिर से राहत कार्य शुरू किया और केटो की ओर से दी गई चिकित्सा सुविधा के लिए मैंने एनजीओ से बात करना शुरू किया. केटो की प्रक्रिया के अनुसार, राहत अभियान के दौरान सभी दाताओं की ओर से केटो के बैंक अकाउंट में दान दिया गया जो प्रोसेसिंग फीस की कटौती के बाद राहत अभियान के लिए दी गई दो बैंक अकाउंट में भेज दिया गया. 

राणा अय्यूब ने यह भी कहा कि उनके खाते में या उनके पिता और बहन के नाम पर कोई विदेशी दान नहीं किया गया था. उन्होंने कहा कि सभी दान पहले केटो के बैंक खाते में प्राप्त हुए थे, जो राहत अभियान के लिए राशि को भारतीय मुद्रा में दी गई अकाउंट्स में भेज गए. केटो को मेरा निर्देश था कि विदेशी मुद्रा में प्राप्त कोई भी पैसा, दाता को वापस किया जाना चाहिए.

अपने बयान में राणा अय्यूब ने कहा कि उन्हें जून 2021 से आयकर विभाग से कई नोटिस मिले हैं. उन्होंने लिखा कि मैंने डॉक्यूमेंट्स, बिलों, चालानों, और बैंक रिकार्ड्स के साथ सभी सवालों के जवाब दिए. राणा अय्यूब ने यह भी कहा कि उन्होंने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) से राहत कार्य के लिए प्राप्त दान पर टैक्स नहीं लगाने का अनुरोध किया ताकि पूरी राशि का उपयोग राहत कार्य के लिए किया जा सके.

Advertisement

उनके बयान में आगे कहा गया है कि आयकर विभाग ने 07 अगस्त 2021 के एक आदेश द्वारा दान को मेरी इनकम के रूप में मानने का फैसला किया और मेरे पिता के बैंक खाते, मेरे बैंक खाते और एक फिक्स डिपॉजिट को अस्थायी रूप से संलग्न कर दिया. हालांकि, सभी दस्तावेजों को प्रमाणित करने के लिए आयकर कार्यालय में कई बार जाने के बाद अधिकारियों ने मेरे बैंक खाते और मेरे पिता के बैंक खाते को 06 सितंबर 2021 को सावधि जमा को छोड़कर डी-फ्रीज करने का निर्णय लिया.

दान में मिली रकम के लिए 1 करोड़ से अधिक का दिया था टैक्स

राणा अयूब ने कहा कि उन्होंने राहत कार्य के लिए दान के रूप में प्राप्त राशि पर आयकर के रूप में 1.05 करोड़ रुपये का भुगतान भी किया. उन्होंने कहा कि मुझे अनौपचारिक रूप से यह भी बताया गया था कि अगर मैं दान पर टैक्स लगाने के आदेश के खिलाफ अपील करने का अपना अधिकार छोड़ देती हूं, तो आईटी अधिकारी भी फिक्स डिपॉजिट को डी-फ्रीज कर देंगे. उन्होंने कहा कि दान को अपनी इनकम के रूप में देखने और उस पर टैक्स लगाने के आयकर विभाग के फैसले के खिलाफ अब एक अपील दायर की है.

Advertisement

उन्होंने बताया कि आयकर अपीलीय प्राधिकरण में उनकी अपील अभी भी लंबित है. उन्हें इस साल 7 फरवरी को मुंबई में आयकर अधिकारियों द्वारा सूचित किया गया था कि उनकी सावधि जमा (एफडी) को कुर्की से मुक्त कर दिया गया है.

अपने बयान में राणा अय्यूब ने विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (फेमा) के तहत प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा उनके खिलाफ शुरू की गई जांच का भी उल्लेख किया. उन्होंने कहा कि उन्होंने सभी दस्तावेज, बिल, चालान और बैंक स्टेटमेंट जांच एजेंसी को सौंपे हैं. 2021 के अंत तक प्रवर्तन निदेशालय, मुंबई जोनल कार्यालय की फेमा जांच मेरे खिलाफ किसी भी खोज या आदेश के बिना समाप्त हो गई है. मुझे मौखिक रूप से सूचित किया गया था कि मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय अब राहत अभियान में पूछताछ नहीं कर रहा है.

दिसंबर 2021 में, राणा अय्यूब को ईडी के दिल्ली जोनल- II कार्यालय द्वारा तलब किया गया था. यह धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) मामले के संबंध में था. राणा अय्यूब ने लिखा कि मैंने खुद को अधिकारियों के सामने पेश किया और एक बार फिर सभी जानकारी साझा की जो मुझसे पूछी गई थी. मैंने सभी सवालों के व्यापक जवाब दिए और दस्तावेजों के साथ इसकी पुष्टि की.

Advertisement

दिल्ली में ईडी द्वारा पूछताछ के दौरान मुझे पता चला कि पूरी पीएमएलए कार्यवाही अगस्त, 2021 में हिंदू आईटी सेल के एक सदस्य द्वारा गाजियाबाद, उत्तर प्रदेश में दर्ज प्राथमिकी से शुरू हुई थी. राणा अय्यूब ने कहा कि प्राथमिकी, जिसकी एक प्रति उसने सोशल मीडिया से प्राप्त की, उसमें आरोप लगाया गया कि मैंने विदेशी धन स्वीकार करके एफसीआरए नियमों का उल्लंघन किया है.

आरोपों का बैंक स्टेटमेंट से किया है खंडन

पत्रकार ने कहा कि इस आरोप का बैंक स्टेटमेंट से खंडन किया गया है, जो दर्शाता है कि उसे कोई विदेशी दान नहीं मिला और केटो द्वारा प्राप्त सभी विदेशी दान दाताओं को वापस कर दिए गए. वह आगे लिखती हैं कि ठीक वैसा ही आरोप, जैसा कि इस प्राथमिकी में लगाया गया है, ईडी के मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय द्वारा फेमा की कार्यवाही का आधार था, जिसे तब से आगे नहीं बढ़ाया गया जब मैंने सभी प्रश्नों का उत्तर दिया और सभी दस्तावेज जमा किए. मैं यह मानती हूं कि चूंकि मुझे एफसीआरए के तहत परिभाषित कोई विदेशी योगदान नहीं मिला है और विदेशी स्रोतों से प्राप्त कोई भी आय मेरे पेशेवर शुल्क के कारण है जो एफसीआरए कानून के तहत स्वीकार्य है, मैंने एफसीआरए और एफआईआर के तहत कोई अपराध नहीं किया है. इस तरह के आरोपों पर यूपी पुलिस द्वारा दर्ज किया गया मामला पूरी तरह से निराधार है.

Advertisement

राणा अय्यूब ने कहा कि एक अस्थायी अस्पताल स्थापित करने के उनके प्रयासों में बहुत समय लग रहा था, तब उन्होंने एक सार्वजनिक वित्त पोषित अस्पताल को दान करने का फैसला किया. मैं नई दिल्ली में तिलक अस्पताल के बाल रोग विभाग के लिए दान करने के लिए सेव द चिल्ड्रन फाउंडेशन के साथ एक समझौता किया. मैंने 20 अगस्त 2021 को 90 लाख रुपये का चेक जारी किया था. हालांकि, 08 सितंबर 2021 को मुझे सेव द चिल्ड्रन फाउंडेशन द्वारा सूचित किया गया था कि दक्षिण दिल्ली नगर निगम ने मेरा दान स्वीकार करने से इनकार कर दिया था और चेक मुझे वापस कर दिया गया था.

राणा अय्यूब ने अपने बयान में कहा कि मैंने अपने गृह राज्य और पूरे भारत में राहत कार्य के लिए, PM CARES फंड, महाराष्ट्र के CM CARES फंड में 74.50 लाख रुपये का दान दिया है. 

 

Advertisement
Advertisement