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धर्मस्थला सीरियल किलिंग में खुला पहला राज, साइट नंबर 6 से निकलीं इंसानी हड्डियां

धर्मस्थला सीरियल किलिंग की जांच में बड़ा खुलासा हुआ है. खुदाई के तीसरे दिन साइट नंबर 6 से इंसानी कंकाल के अवशेष मिले हैं. पूर्व सफाई कर्मचारी के दावे पर SIT को पहली बार सबूत मिला है. अब मास बुरियल साइट नंबर 13 की खुदाई किए जाने की तैयारी शुरू हो गई है.

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SIT को साइट नंबर 6 से कंकाल के अवशेष मिले हैं (फोटो-ITG)
SIT को साइट नंबर 6 से कंकाल के अवशेष मिले हैं (फोटो-ITG)

Dharmasthala Massacre Site Number 6 Land Excavation: धर्मस्थला की जमीन से आखिरकार इंसानी कंकाल बाहर आ ही गए. दो दिन और पांच जगहों की नाकामी के बाद जब तीसरे दिन साइट नंबर 6 पर खुदाई की गई तो वहां से इंसानी कंकाल के अवशेष मिले.

फॉरेंसिक टीम ने उन हड्डियों को अपने कब्जे में ले लिया. फिलहाल, पहले चरण में कुल 13 जगहों पर खुदाई का काम किया गया. इस मामले के शिकायतकर्ता और नकाबपोश पूर्व सफाई कर्मचारी के मुताबिक, इन जगहों में से एक जगह ऐसी है, जहां सबसे ज्यादा लाशें दफनाई गई हैं. ये मामला और दावा अब संगीन होता जा रहा है.

29 जुलाई 2025, धर्मस्थला
खुदाई का पहला दिन. मंगलवार 29 जुलाई को धर्मस्थला में नेत्रावती नदी के किनारे एक जगह पर पहली बार खुदाई शुरू होती है. 1995 से 2014 के बीच अपने हाथों से धर्मस्थला के आस-पास 5 से 6 किलोमीटर के रेडियस में सैकड़ों लाशें दफनाने का दावा करने वाले नकाब में ढंके सफाई कर्मचारी की निशानदेही पर साइट नंबर 1 पर पहली खुदाई शुरू हुई थी. इस सफाई कर्मचारी के बयान के बाद एसआईटी ने पहली किस्त में कुल 13 ऐसी जगहों की शिनाख्त की थी. लेकिन 29 जुलाई यानी खुदाई के पहले दिन करीब 6 घंटे की मशक्कत और 15 फीट गहरा गड्ढा खोदने के बावजूद कोई लाश, कंकाल या इंसानी हड्डियां नहीं मिली.

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30 जुलाई 2025, धर्मस्थला
खुदाई का दूसरा दिन. पहले दिन की नाकामी के बाद एसआईटी ने दूसरे दिन साइट नंबर 2, 3, 4 और 5 की खुदाई का काम शुरू किया. 12 से लेकर 15 फीट तक गहरे गड्ढे खोदे गए. लेकिन दूसरे दिन भी नाकाम ही हाथ लगी. एसआईटी को कोई लाश, कंकाल या इंसानी हड्डियां नहीं मिली. अलबत्ता साइट नंबर 2 से खुदाई के दौरान ढाई फीट की गहराई में लाल रंग का एक फटा हुआ ब्लाउज, एक पैन कार्ड और एक एटीएम कार्ड जरूर मिला. इनमें से एक कार्ड एक पुरुष का था, जबकि दूसरा लक्ष्मी नाम की महिला का. धर्मस्थला के करीब रहने वाली लक्ष्मी नाम की एक महिला की 2009 में मौत हो गई थी. लेकिन पुलिस रिकॉर्ड में कहीं उसका जिक्र नहीं है. क्या ये वही लक्ष्मी थी? फिलहाल ये आगे जांच में ही पता चल पाएगा. साइट नंबर 2 के अलावा 3, 4 और 5 से कुछ नहीं मिला.

31 जुलाई 2025, धर्मस्थला
खुदाई का तीसरा दिन. दो दिन बीत चुके थे. सफाई कर्मचारी के बताए पहले पांच जगहों पर खुदाई के बावजूद अब तक वहां दफ्न किसी लाश का कोई सबूत हाथ नहीं लगा था. 31 जुलाई गुरुवार की सुबह एसआईटी की टीम फिर से नेत्रावती नदी के किनारे पहुंची. शिकायतकर्ता सफाई कर्मचारी ने जिस छठी जगह या छठे साइट की निशानदेही की थी, वो वही जगह थी. तीसरे दिन भी एसआईटी की टीम फॉरेंसिक टीम, मेडिकल टीम और मजदूरों के साथ साइट नंबर 6 पर खुदाई शुरू करती है. पहली पांच खुदाई में नाकामी हाथ लगने के बाद अब धीरे-धीरे शिकायतकर्ता सफाई कर्मचारी के दावे पर सवाल उठने शुरू हो चुके थे. उन्हीं सवालों के बीच तीसरे दिन की खुदाई का काम शुरू होता है. रुक रूक कर बारिश भी हो रही थी. बारिश की वजह से गड्ढे में पानी भी भरता जा रहा था. गड्ढे से पानी निकालने के लिए बाकायदा वाटर पंप का भी इस्तेमाल किया जा रहा था. धीरे-धीरे गड्ढा गहरा होता जा रहा था. और फिर तभी...

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गड्ढे से बाहर निकली हड्डियां
पहले दो दिन की नाकामी के बाद तीसरे दिन पहली ही खुदाई में यानी साइट नंबर 6 से अचानक कंकाल के कुछ अवशेष यानी इंसानी हड्डियां दिखाई देती हैं. फौरन मजदूर अपना हाथ रोक देते हैं. फावड़ा और दूसरे औजारों को किनारे रख दिया जाता है. मौके पर मौजूद फॉरेंसिक टीम पूरी हिफाजत के साथ उन हड्डियों को गड्ढे से बाहर निकालती है. 

सबूतों के नष्ट हो जाने का खतरा
असल में गीली मिट्टी और नेत्रावती नदी के किनारे होने के चलते फॉरेंसिक टीम का ये मानना था कि अगर यहां से कंकाल के अवशेष या इंसानी हड्डियां मिलेंगी, तो उनकी हालत खराब होगी. ऐसे में जेसीबी या दूसरी मशीनों से खुदाई के दौरान उन सबूतों के नष्ट हो जाने का खतरा था. फ़ोरेंसिक टीम की हिदायत पर जेसीबी या दूसरी मशीनों का इस्तेमाल ज्यादातर सिर्फ ऊपरी खुदाई के लिए ही किया जा रहा था. फॉरेंसिक टीम की शुरू से यही कोशिश थी कि बेशक खुदाई में वक्त लगे, लेकिन खुदाई छोटे-छोटे औजारों से मजदूर ही करें. 

बॉक्स में सुरक्षित रखी गईं हड्डियां
लेकिन जैसे ही पहली बार कंकाल के अवशेष नजर आए, मजदूरों को भी औजार के इस्तेमाल से रोक दिया गया. ताकि पहले से ही खराब हड्डियों को और नुकसान न पहुंचे. इसके बाद फॉ़रेंसिक टीम की हिदायत पर मजदूर अपने हाथों से धीरे-धीरे आस-पास की मिट्टी हटा रहे थे. बाद में मौके से बरामद हड्डियों को फॉरेंसिक टीम अपने कब्जे में लेकर एक सुरक्षित बॉक्स में रख देती है.

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हड्डियों की जांच में होगा खुलासा
पहली पांच नाकामी के बाद आखिरकार शिकायतकर्ता सफाई कर्मचारी के दावे के मुताबिक छठी जगह यानी साइट नंबर छह से पहली बार सचमुच इंसानी कंकाल की शक्ल में चंद हड्डियां बाहर आ जाती हैं. साइट नंबर 6 से बरामद कंकाल के अवशेष या हड्डियों की हालत बेहद खराब थी. एसआईटी सूत्रों के मुताबिक मौके पर मौजूद फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स के हिसाब से कंकाल का ये अवशेष किसी मेल का लगता है. हालांकि फॉरेंसिक जांच के बाद ही ये साफ हो पाएगा कि ये हड्डियां पुरुष की हैं या महिला की. फॉरेंसिक जांच के बाद ये भी पता चल जाएगा कि जिसकी ये हड्डियां हैं उसकी उम्र उस वक्त कितनी रही होगी और क्या हाईट रही होगी? 

SIT कैसे सामने लाएगी लाशों का सच
साइट नंबर 6 से इन हड्डियों की बरामदगी के बाद एसआईटी फौरन उसके आस-पास भी खुदाई का फैसला करती है. खुदाई के साथ-साथ इस जगह की मिट्टी के सैंपल भी लिए जाते हैं. हड्डियां बरामद होते ही फौरन डॉग स्क्वायड को भी मौके पर बुलाया जाता है. चूंकि जिस जगह से कंकाल के ये अवशेष मिले हैं, ठीक उसी जगह की शिनाख्त शिकायतकर्ता सफाई कर्मचारी ने की थी, लिहाजा खुदाई के तीसरे दिन पहली बार एसआईटी को भी उसके दावे पर भरोसा होने लगा. हालांकि सिर्फ हड्डियों के बरामद होने से उसके दावे पर मुहर नहीं लगती. सबसे पहले फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स को ये साबित करना होगा कि ये हड्डियां सचमुच इंसान की ही हैं. किसी जानवर की नहीं.

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शिनाख्त की चुनौती
एक बार ये साबित हो जाता है कि ये हड्डियां इंसान की ही हैं, तो फिर दूसरी चुनौती ये होगी कि मरने वाले की सही शिनाख्त हो और ये तभी मुमकिन है, जब उसके डीएनए का मिलान उस परिवार से हो, जिस परिवार का कोई ना कोई अपना या तो रहस्यमयी तौर से मारा गया या बरसों से रहस्यमयी तौर से गायब है. इसके लिए जरूरी है कि ऐसे शिकायतकर्ता ज्यादा से ज्यादा तादाद में सामने आएं और पुलिस से संपर्क करें.

एसआईटी की लोगों से अपील
इस चुनौती का एहसास खुद एसआईटी को भी है. इसीलिए बुधवार को खुदाई के दौरान लाल रंग का फटा ब्लाउज, एटीएम और पैन कार्ड मिलने के बाद एसआईटी ने एक बयान जारी किया. इस बयान में लोगों से अपील की गई है कि वो अपनी शिकायतों के साथ एसआईटी दफ्तर पहुंच सकते हैं. फिलहाल एसआईटी ने मैंगलुरु के मल्लीकट्टे के एक सरकारी गेस्ट हाउस में अपना दफ्तर बना रखा है. एसआईटी ने बयान में कहा है कि कोई भी अपनी शिकायत लेकर इस दफ्तर में सुबह 10 बजे से लेकर शाम 5 बजे तक आ सकता है. इतना ही नहीं शिकायत दर्ज कराने के लिए एसआईटी ने अपना व्हाट्स एप नंबर, टेलीफोन नंबर और ईमेल आईडी भी दिया है.

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यहां की जा सकती है शिकायत
शिकायतकर्ता एसआईटी को 82779-86369 पर व्हाट्स एप कर अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. इसके अलावा टेलीफोन नंबर 08242005301 पर कॉल करके भी अपनी शिकायत बता सकते हैं. जो लोग अपनी शिकायत ईमेल से भेजना चाहते हैं, वो sitdps@ksp.gov.in मेल कर सकते हैं.

ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार (GPR) के इस्तेमाल की तैयारी
शिकायतकर्ता पूर्व सफाई कर्मचारी की निशानदेही पर साइट नंबर 6 से कंकाल के अवशेष मिलने के बाद एसआईटी बाकी जगहों के सर्च ऑपरेशन के लिए ग्राउंड पेनिट्रेटिंग रडार यानी जीपीआर या माउंटेन रडार सिस्टम का इस्तेमाल करने की भी सोच रही है. ताकि जमीन के अंदर दफ्न सच का पता चल सके और उस हिसाब से खुदाई में मदद मिल सके. हालांकि गीली मिट्टी होने और लगातार हो रही बारिश के चलते डीग्रेड सिग्नल एक्यूरेसी यानी साफ सिग्नल मिलना मुश्किल हो सकता है. रडार टेक्नोलॉजी के इस्तेमाल पर आखिरी फैसला गुरुवार या शुक्रवार तक ले लिए जाने की उम्मीद है.

साइट नंबर 13 में सबसे ज्यादा लाशें दफ्न
शिकायतकर्ता सफाई कर्मचारी ने पहली किस्त में कुल 13 ऐसी जगहों की निशानदेही की है, जहां उसके हिसाब से लाशों को दफनाया गया था. सफाई कर्मचारी के दावे के मुताबिक साइट नंबर 6 और 7 में कुल 8 लाशें दफनाई गई थी. पहली बार कंकाल के जो अवशेष मिले हैं, वो साइट नंबर 6 से ही मिले हैं. साइट नंबर 7 की खुदाई अभी बाकी है. हालांकि सफाई कर्मचारी की तरफ से एसआईटी को दी गई लिस्ट के हिसाब से पहली 12 साइट में 2 से लेकर 9 लाशें तक दफनाई गई. उसका दावा है कि जो मास बरियल हुआ है, यानी जहां सबसे ज्यादा लाशें दफनाई गई हैं, वो साइट नंबर 13 है. साइट नंबर 1 से 13 तक में जितनी लाशें दफनाई गई हैं, उनकी गिनती कुछ इस तरह से है.

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कहां कितनी लाशें दफ्न?
पूर्व सफाई कर्मचारी के दावे के मुताबिक, साइट नंबर एक पर कुल दो लाशें दफनाई गई थीं. साइट नंबर दो पर दो लाशें. साइट नंबर तीन पर भी दो लाशें. जबकि साइट नंबर चार और पांच पर छह लाशें. साइट नंबर छह, सात और आठ पर आठ लाशें. साइट नंबर नौ पर छह से सात लाशें. साइट नंबर 10 पर तीन लाशें. साइट नंबर 11 पर नौ लाशें. साइट नंबर 12 पर चार से पांच लाशें. जबकि साइट नंबर 13 पर सबसे ज्यादा लाशें दफनाई गई हैं. यानी साइट नंबर 13 में मास बरियल हुआ है.

मास बरियल वाली साइट पर खुदाई कब?
सफाई कर्मचारी के पुलिस को दिए बयान और मजिस्ट्रेट के सामने दिए गए बयान के बाद एसआईटी से हुई पूछताछ में उसने जो बताया है उसके हिसाब से उसने 50 से ज्यादा ऐसी जगहों की निशानदेही की है, जहां लाशें दफ्न हैं. उन 50 जगहों में से चार से पांच वो जगह हैं, जहां मास बरियल हुआ है. यानी सबसे ज्यादा लाशें उन जगहों पर दफनाई गई हैं. इस दावे के हिसाब से एसआईटी इस खुदाई का काम महीने भर से पहले पूरा होना मुश्किल है. वैसे भी अभी तक पहले तीन दिनों में जो खुदाई की गई है, वहां दो, चार, छह लाशें एक जगह दफनाने की बात कही गई है. जिन जगहों पर मास बरियल हुआ है, वहां अभी खुदाई का काम शुरू ही नहीं हुआ है. मास बरियल की पहली साइट, साइट नंबर 13 है. उम्मीद की जा रही है कि अगले 24 से 48 घंटे में साइट नंबर 13 यानी पहले मास बरियल वाली जगह की खुदाई का काम शुरू हो जाए.

मुश्किल होने वाला है खुदाई का काम
पहले तीन दिनों की खुदाई नेत्रावती नदी के आस-पास ही हो रही है. जबकि सफाई कर्मचारी ने लाशों को दफनाने की जो जगह बताई है, वो पूरा इलाका पांच से छह किलोमीटर के दायरे में फैला हुआ है. इनमें से एक बड़ा इलाका रिजर्व फॉरेस्ट का आता है. जहां खुदाई का काम सबसे मुश्किल होने वाला है. लेकिन जिस तरह से साइट नंबर 6 से इंसानी कंकाल का पहला सबूत जमीन के अंदर से बाहर आया है, उसके बाद आने वाले दिनों में होने वाले हर खुदाई पर हरेक की नजर होगी.

कई साइट पर इंसानी अवशेष मिलने की खबर!
इस बीच धर्मस्थला में काम कर रहे कुछ आरटीआई कार्यकर्ता और एनजीओ ने पहले तीन दिन की खुदाई के बाद ये दावा किया है कि शिकायतकर्ता सफाई कर्मचारी की निशानदेही पर अब तक जितने भी साइट की खुदाई की गई, उन सभी जगहों से इंसानों के दफनाए जाने के कोई ना कोई सबूत एसआईटी के हाथ लगे हैं. उनका दावा है कि साइट नंबर 1 से लेकर साइट नंबर 5 से भी कंकालों के अवशेष और इंसानी हड्डियां मिली हैं. लेकिन एसआईटी फिलहाल इन सबूतों पर इसलिए खामोश है, ताकि पहले इन हड्डियों की फॉरेंसिक रिपोर्ट आ जाए. एसआईटी के कामों पर पैनी निगाह गड़ाए इन आरटीआई कार्यकर्ताओं और एनजीओ का दावा है कि शिकायतकर्ता सफाई कर्मचारी ने लाशों को लेकर जो कुछ कहा है वो सौ आने सच है. और जल्द ही ये सच्चाई पूरे देश के सामने होगी. 

(धर्मस्थला से सगय राज का इनपुट)

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