Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता में अदालत (Court) और पुलिस (Police) को लेकर कई तरह के कानूनी प्रावधान (Provision) किए गए हैं, जिनका इस्तेमाल ज़रूरत पड़ने पर किया जाता है. इसी प्रकार से सीआरपीसी की धारा 175 में व्यक्तियों को समन करने की शक्ति को परिभाषित किया गया है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 175 इस बारे में क्या बताती है?
सीआरपीसी की धारा 175 (CrPC Section 175)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure 1975) की धारा 175 में उस शक्ति के बारे में प्रावधान (Provisions regarding power) किया गया है, जिसके अधीन व्यक्तियों को समन (Summons to persons) जारी किया जाता है. CrPC की धारा 175 के मुताबिक-
(1) धारा 174 के अधीन कार्यवाही करने वाला पुलिस अधिकारी (Police Officer) यथापूर्वोक्त दो या अधिक व्यक्तियों को उक्त अन्वेषण के प्रयोजन (Purposes of investigation) से और किसी अन्य ऐसे व्यक्ति को, जो मामले के तथ्यों से परिचित प्रतीत होता है, लिखित आदेश (written order) द्वारा समन कर सकता है तथा ऐसे समन (Summons) किया गया प्रत्येक व्यक्ति हाजिर होने के लिए और उन प्रश्नों के सिवाय, जिनके उत्तरों की प्रवृत्ति उसे आपराधिक आरोप (Criminal charge) या शास्ति या समपहरण की आशंका (Penalty or threat of forfeiture) में डालने की है, सब प्रश्नों का सही-सही उत्तर देने के लिए आबद्ध होगा.
(2) यदि तथ्यों से ऐसा कोई संज्ञेय अपराध (Serious crime), जिसे धारा (170 Section 170) लागू है, प्रकट नहीं होता है तो पुलिस अधिकारी (Police Officer) ऐसे व्यक्ति से मजिस्ट्रेट के न्यायालय (Court of magistrate) में हाजिर होने की अपेक्षा न करेगा.
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क्या है दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC)
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973) भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिये मुख्य कानून है. यह सन् 1973 में पारित हुआ था. इसे देश में 1 अप्रैल 1974 को लागू किया गया. दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम 'सीआरपीसी' है. सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है.
CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है. CrPC में अब तक कई बार संशोधन (Amendment) भी किए जा चुके हैं.