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CrPC Section- 171: शिकायतकर्ता और गवाहों के लिए प्रावधान करती है धारा 171

सीआरपीसी की धारा 171 में परिवादी और साक्षियों से पुलिस अधिकारी के साथ जाने की अपेक्षा न किया जाना और उनका अवरुद्ध न किया जाना बताया गया है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 171 इस बारे में क्या बताती है?

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शिकायतकर्ता और गवाहों से संबंधित है ये धारा
शिकायतकर्ता और गवाहों से संबंधित है ये धारा
स्टोरी हाइलाइट्स
  • शिकायतकर्ता और गवाहों से संबंधित है ये धारा
  • 1974 में लागू की गई थी सीआरपीसी
  • CrPC में कई बार हुए है संशोधन

Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता में पुलिस (Police) और कोर्ट (Court) की कार्य प्रणाली से जुड़े कई कानूनी प्रावधान (Provision) मौजूद हैं, जो अधिकारियों के काम आती हैं. इसी तरह से सीआरपीसी की धारा 171 में परिवादी और साक्षियों से पुलिस अधिकारी के साथ जाने की अपेक्षा न किया जाना और उनका अवरुद्ध न किया जाना बताया गया है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 171 इस बारे में क्या बताती है? 

सीआरपीसी की धारा 171 (CrPC Section 171)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure 1975) की धारा 171 में स्पष्ट किया गया है कि शिकायतकर्ता और गवाहों (Complainant and witnesses) को पुलिस अधिकारी (Police Officer) के साथ जाने की आवश्यकता नहीं है और उन्हें रोका भी नहीं जा सकता है. CrPC की धारा 171 मुताबिक, किसी परिवादी या साक्षी (Complainant and witnesses) से, जो किसी न्यायालय (Court) में जा रहा है, पुलिस अधिकारी के साथ जाने की अपेक्षा न की जाएगी, और न तो उसे अनावश्यक रूप से अवरुद्ध (Unnecessarily blocked) किया जाएगा या असुविधा पहुंचाई जाएगी और न उससे अपनी हाजिरी के लिए उसके अपने बंधपत्र (Bond) से भिन्न कोई प्रतिभूति देने की अपेक्षा की जाएगी:

परन्तु यदि कोई परिवादी या साक्षी हाजिर होने से, या धारा 170 (Section 170) में निर्दिष्ट प्रकार का बंधपत्र निष्पादित (Bond executed) करने से इंकार करता है तो पुलिस थाने (Police Station) का भारसाधक अधिकारी (officer in charge) उसे मजिस्ट्रेट (Magistrate) के पास अभिरक्षा (Custody) में भेज सकता है, जो उसे तब तक अभिरक्षा में निरुद्ध रख सकता है जब तक वह ऐसा बन्धपत्र निष्पादित नहीं कर देता है या जब तक मामले की सुनवाई समाप्त नहीं हो जाती है.

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इसे भी पढ़ें--- CrPC Section 170: पर्याप्त सबूत होने पर केस मजिस्ट्रेट के पास भेजना बताती है धारा 170 

क्या है दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC)
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973) भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिये मुख्य कानून है. यह सन् 1973 में पारित हुआ था. इसे देश में 1 अप्रैल 1974 को लागू किया गया. दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम 'सीआरपीसी' है. सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है. 

CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है. CrPC में अब तक कई बार संशोधन (Amendment) भी किए जा चुके हैं.

 

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