Code of Criminal Procedure: दंड प्रक्रिया संहिता में पुलिस जांच (Police investigation) के संबंध में अपनाई जाने वाली प्रक्रिया (Procedure) से जुड़े कई कानूनी प्रावधान (Provision) दर्ज किए गए हैं, जिनका प्रयोग पुलिस अधिकारी करते हैं. ऐसे ही सीआरपीसी की धारा 172 में अन्वेषण में कार्यवाहियों की डायरी (Diary of proceedings in investigation) को परिभाषित किया गया है. आइए जानते हैं कि सीआरपीसी (CrPC) की धारा 172 इस बारे में क्या बताती है?
सीआरपीसी की धारा 172 (CrPC Section 172)
दंड प्रक्रिया संहिता (Code of Criminal Procedure 1975) की धारा 172 के तहत अन्वेषण (Investigation) करने वाले पुलिस अधिकारी को हर एक मामले में हर दिन की गई जांच का रिकॉर्ड बनाए रखना आवश्यक होता है, जिसके लिए डायरी का प्रावधान है. CrPC की धारा 172 के मुताबिक-
(1) प्रत्येक पुलिस अधिकारी, जो इस अध्याय के अधीन अन्वेषण करता है, अन्वेषण में की गई अपनी कार्यवाही को दिन-प्रतिदिन एक डायरी में लिखेगा, जिसमें वह समय जब उसे इत्तिला मिली, वह समय जब उसने अन्वेषण आरम्भ किया और जब समाप्त किया, वह स्थान या वे स्थान जहां वह गया और अन्वेषण द्वारा अभिनिश्चित परिस्थितियों का विवरण होगा.
(क) धारा 161 के अधीन अन्वेषण के दौरान अभिलिखित किए गये साक्षियों के बयान को केस डायरी में अन्त:स्थापित किया जाएगा.
(ख) उपधारा (1) में निर्दिष्ट डायरी एक संग्रह तथा सम्यक् रूपेण पृष्ठ संख्यांकित होगी.
(2) कोई दण्ड न्यायालय ऐसे न्यायालय में जांच या विचारण के अधीन मामले की पुलिस डायरियों को मंगा सकता है और ऐसी डायरियों को मामले में साक्ष्य के रूप में तो नहीं किन्तु ऐसी जांच या विचारण में अपनी सहायता के लिए उपयोग में ला सकता है.
(3) न तो अभियुक्त और न उसके अभिकर्ता ऐसी डायरियों को मंगाने के हकदार होंगे और न वह या वे केवल उस कारण उन्हें देखने के हकदार होंगे कि वे न्यायालय द्वारा देखी गई हैं, किन्तु यदि वे उस पुलिस अधिकारी द्वारा, जिसने उन्हें लिखा है अपनी स्मृति को ताजा करने के लिए उपयोग में लाई जाती है, या यदि न्यायालय उन्हें ऐसे पुलिस अधिकारी की बातों का खण्डन करने के प्रयोजन के लिए उपयोग में लाता है तो भारतीय साक्ष्य अधिनियम, 1872 (1872 का 1) की, यथास्थिति, धारा 161 या धारा 145 के उपबन्ध लागू होंगे.
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क्या है दण्ड प्रक्रिया संहिता (CrPC)
दण्ड प्रक्रिया संहिता 1973 (Code of Criminal Procedure, 1973) भारत में आपराधिक कानून के क्रियान्यवन के लिये मुख्य कानून है. यह सन् 1973 में पारित हुआ था. इसे देश में 1 अप्रैल 1974 को लागू किया गया. दंड प्रक्रिया संहिता का संक्षिप्त नाम 'सीआरपीसी' है. सीआरपीसी (CRPC) अंग्रेजी का शब्द है. जिसकी फुल फॉर्म Code of Criminal Procedure (कोड ऑफ क्रिमिनल प्रोसिजर) होती है. इसे हिंदी में 'दंड प्रक्रिया संहिता' कहा जाता है.
CrPC में 37 अध्याय (Chapter) हैं, जिनके अधीन कुल 484 धाराएं (Sections) मौजूद हैं. जब कोई अपराध होता है, तो हमेशा दो प्रक्रियाएं होती हैं, एक तो पुलिस अपराध (Crime) की जांच करने में अपनाती है, जो पीड़ित (Victim) से संबंधित होती है और दूसरी प्रक्रिया आरोपी (Accused) के संबंध में होती है. सीआरपीसी (CrPC) में इन प्रक्रियाओं का ब्योरा दिया गया है. CrPC में अब तक कई बार संशोधन (Amendment) भी किए जा चुके हैं.