चेन्नई में अन्ना यूनिवर्सिटी की छात्रा से यौन उत्पीड़न के सनसनीखेज मामले में बुधवार को अदालत ने बड़ा फैसला सुनाया. महिला अदालत ने आरोपी बिरयानी विक्रेता ए. ज्ञानशेखरन को दोषी ठहराया है. अभियोजन पक्ष ने उसके लिए अधिकतम सजा की मांग की है. यह वही मामला है जिसने दिसंबर 2024 में तमिलनाडु को झकझोर कर रख दिया था. इसने राजनीतिक गलियारों में भी भूचाल ला दिया था.
अदालत ने कहा कि अभियोजन पक्ष ने दस्तावेजी और फोरेंसिक साक्ष्यों के आधार पर ए. ज्ञानशेखरन के खिलाफ लगे सभी 11 आरोपों को संदेह से परे साबित कर दिया है. महिला अदालत की न्यायाधीश राजलक्ष्मी ने यह भी कहा कि 2 जून को सजा का ऐलान किया जाएगा. इस मामले पर प्रतिक्रिया देते हुए मुख्यमंत्री एम. के. स्टालिन ने कहा कि महज पांच महीनों में पीड़िता को न्याय दिलाया गया.
उन्होंने कहा कि त्वरित न्याय प्रणाली राज्य पुलिस और न्यायिक प्रक्रिया की दक्षता को दर्शाता है. उन्होंने सोशल मीडिया पर पुलिस, अभियोजन और अदालत की तारीफ करते हुए कहा कि अपराधी चाहे कोई भी हो, कानून से नहीं बच सकता. उन्होंने विपक्ष पर निशाना साधते हुए कहा कि उनकी अपमानजनक और सस्ती राजनीति को करारा जवाब मिला है. विपक्ष ने भी फैसला पर खुशी जताई है.
विपक्षी नेता एडप्पादी के. पलानीस्वामी (ईपीएस) ने फैसले का स्वागत किया लेकिन कई सवाल भी उठाए. उन्होंने पूछा कि पहले गिरफ्तारी के बाद आरोपी को इतनी जल्दी क्यों छोड़ा गया और दोबारा गिरफ्तार करने से पहले क्या हुआ. ईपीएस ने ज्ञानशेखरन के डीएमके नेताओं के साथ कथित संबंधों पर सवाल उठाए. विशेष जांच अधिकारी राघवेंद्र रवि के इस्तीफे को लेकर भी स्पष्टीकरण मांगा है.
भाजपा और पीएमके सहित अन्य राजनीतिक दलों ने भी फैसले का स्वागत किया. भाजपा प्रदेश अध्यक्ष नैनार नागेंद्रन ने कहा कि यह ऐतिहासिक फैसला है. यह साबित करता है कि राजनीतिक शक्ति और धन के बावजूद, अपराधी कानून से नहीं बच सकता. पीएमके नेता अंबुमणि रामदास ने मांग की है कि जिन लोगों ने इस अपराध को अंजाम देने में मदद की या उकसाया, उन्हें भी सजा दी जाए.
तमिझागा वेत्री कझगम के प्रमुख अभिनेता-राजनेता विजय ने भी फैसले की तारीफ की लेकिन डीएमके सरकार की आलोचना करते हुए कहा कि यह महिला सुरक्षा पर उनकी विफलता को उजागर करता है. उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह फैसला मद्रास हाईकोर्ट के मुकदमा तेज़ करने के आदेश के चलते संभव हुआ. द्रविड़ कझगम के अध्यक्ष के. वीरमणि ने भी सरकार और अदालत की तारीफ की है.
वहीं, डीएमके सांसद कनिमोझी ने इस केस में मात्र 157 दिन में आरोपी को दोषी ठहराने की उपलब्धि को उजागर करते हुए पूर्ववर्ती एआईएडीएमके सरकार के समय पोलाची केस में हुई देरी पर तंज कसा. यह मामला 23 दिसंबर 2024 को सामने आया था, जब पीड़िता ने कोट्टूरपुरम के ऑल विमेन पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करवाई थी. उसने आरोप लगाया था कि ज्ञानशेखरन ने उसका यौन उत्पीड़न किया.
इस मामले में एफआईआर दर्ज होने के कुछ समय बाद आरोपी को गिरफ्तार किया गया. हालांकि, एफआईआर लीक होने और मीडिया में उसके प्रसारण ने विवाद को और तूल दे दिया. मद्रास हाईकोर्ट ने मामले की गंभीरता को देखते हुए इसे विशेष जांच दल को सौंपा. एसआईटी ने फरवरी में चार्जशीट दायर की और मामला महिला अदालत को सौंपा गया. 2 जून को हर किसी को फैसले का इंतजार है.