यूपी के रायबरेली में 19 साल के दलित युवक की पुलिस कस्टडी में कथित मौत का मामला तूल पकड़ रहा है. बहुजन समाज पार्टी समेत अन्य दल योगी सरकार को घेर रहे हैं. इस बीच सरकार की तरफ से इस मामले में एक और एक्शन लिया गया है. दो और पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया गया है.
इससे पहले सोमवार को लालगंज पुलिस स्टेशन के एसएचओ को सस्पेंड किया गया था. पीड़ित युवक की मां ने आरोप लगाया था कि पुलिस की ज्यादती के बाद उनके बेटे की मौत हुई. मां के आरोप के बाद ही एसएचओ और दो अन्य पुलिसकर्मियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है.
मामले की शुरुआती जांच में लालगंज पुलिस स्टेशन में तैनात सब-इंस्पेक्टर जेपी यादव और अरविंद मौर्या को जिम्मेदार पाया गया है. रायबरेली पुलिस ने अपने बयान में बताया है कि एसपी स्वप्निल ममगई ने इन पुलिसकर्मियों को सस्पेंड कर दिया है.
पुलिस ने पहले दिया था ये बयान
हालांकि, पुलिस ने पहले बयान दिया था कि मोहित उर्फ मोनू को एक मोटरसाइकिल चोरी के केस में रविवार को लालगंज पुलिस स्टेशन बुलाया गया था. पुलिस स्टेशन में अचानक मोनू की तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद वो जिला अस्पताल गया. अस्पताल में इलाज के दौरान ही मोनू की मौत हो गई.
युवक की मां ने लगाया बर्बरता का आरोप
पुलिस के इस दावे को मोनू की मां ने खारिज कर दिया. मां रजपति ने पुलिस के आला अधिकारियों को शिकायत में बताया कि उनके बेटे की मौत पुलिस की बर्बरता के कारण हुई है. उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि उनके बेटे को गैरकानूनी तरीके से पुलिस कस्टडी में रखा गया. दूसरी तरफ लालगंज पुलिस स्टेशन के बाहर बड़ी संख्या में लोग पहुंच गए और विरोध प्रदर्शन किया. हंगामा बढ़ने के बीच लालगंज पुलिस स्टेशन के एसएचओ हरिशंकर प्रजापति को सस्पेंड कर दिया गया. प्रथम दृष्या एसएचओ को दोषी पाया गया. इसके बाद दो और पुलिसकर्मियों को मंगलवार को सस्पेंड किया गया है.