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तहव्वुर राणा से 8 घंटे तक पूछताछ, पुलिस ने कहा- गोलमोल जवाब दे रहा है मुंबई हमले का मास्टरमाइंड!

साल 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा से मुंबई क्राइम ब्रांच की टीम ने नई दिल्ली में आठ घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की है. पुलिस का कहना है कि उसने पूछताछ में सहयोग नहीं किया है, बल्कि हर सवाल के टाल-मटोल जवाब दिए हैं. इस समय वो राष्ट्रीय जांच एजेंसी की हिरासत में है.

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मुंबई में हुए आतंकी हमलों के तहव्वुर राणा से मुंबई क्राइम ब्रांच की टीम ने की पूछताछ.
मुंबई में हुए आतंकी हमलों के तहव्वुर राणा से मुंबई क्राइम ब्रांच की टीम ने की पूछताछ.

साल 2008 में मुंबई में हुए आतंकी हमलों के मास्टरमाइंड तहव्वुर राणा से मुंबई क्राइम ब्रांच की टीम ने नई दिल्ली में आठ घंटे से अधिक समय तक पूछताछ की है. पुलिस का कहना है कि उसने पूछताछ में सहयोग नहीं किया है, बल्कि हर सवाल के टाल-मटोल जवाब दिए हैं. इस समय वो राष्ट्रीय जांच एजेंसी की हिरासत में है.

एक पुलिस अधिकारी ने बताया कि चार अधिकारियों वाली क्राइम ब्रांच की टीम ने आतंकी हमलों की साजिश में तहव्वुर राणा की भूमिका के मद्देनजर पूछताछ की है. 64 वर्षीय पाकिस्तानी मूल के कनाडाई व्यवसायी तहव्वुर राणा को इस महीने की शुरुआत में अमेरिका से प्रत्यर्पित किया गया था. एनआईए की टीम उसे भारत लेकर आई थी. 

मुंबई आतंकी हमलों की साजिश में तहव्वुर राणा की भूमिका उसके बचपन के दोस्त सह-आरोपी डेविड हेडली से पूछताछ के दौरान सामने आई. 26 नवंबर, 2008 को मुंबई में हुए आतंकी हमलों में 10 पाकिस्तानी आतंकवादी शामिल थे, जिन्होंने अरब सागर के रास्ते मुंबई पहुंचने के बाद कई स्थानों पर समन्वित हमले किए थे.

इसमें एक रेलवे स्टेशन, दो आलीशान होटल और एक यहूदी केंद्र शामिल थे. हमला करीब 60 घंटे तक चला और इसमें 166 लोगों की जान चली गई. तहव्वुर राणा पर हेडली उर्फ ​​दाउद गिलानी, लश्कर-ए-तैयबा (एलईटी), हरकत-उल-जिहादी इस्लामी (एचयूजेआई) और पाकिस्तान के साथ हमले की साजिश रचने का आरोप है. 

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तहव्वुर राणा ने कोर्ट में याचिका दायर करके अपने परिवार से मिलने की इजाजत मांगी थी, जिसका राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने विरोध किया था. एनआईए ने कहा था कि यदि उसके परिजनों से बात करने की इजाजत दी जाए तो वो उनके साथ अहम जानकारी साझा कर सकता है. जांच एजेंसी ने दलील दी कि उसके स्वास्थ्य को लेकर उनकी चिंता है. 

बताते चलें कि तहव्वुर राणा पाकिस्तानी सेना और आईएसआई का करीबी रहा है. वो पाकिस्तानी सेना में डॉक्टर रहा है. इसलिए पाकिस्तान को अब डर लग रहा है कि तहव्वुर राणा 26/11 के मामले में पाकिस्तान की पूरी पोल खोल देगा. दुनिया को बता देगा कि पाकिस्तानी सेना, आईएसआई और पाक सरकार सब मिलकर आतंक फैलाते हैं. 

तीन साल पहले ही पाकिस्तान ग्रे लिस्ट से बाहर आया है. इसका कारण बताया गया कि उसने आतंकियों की फंडिंग रोकी है. हालांकि, हकीकत ये है कि जब पाकिस्तान को ये राहत दी गई तब बहावलपुर में जैश-ए-मोहम्मद के सबसे बड़े ठिकाने का विस्तार हो रहा था. पाकिस्तान आतंक को लेकर दुनिया की आंख में धूल झोंकने की कोशिश करता रहा है.

पाकिस्तान का असली डर हिंदुस्तान के सबसे दुश्मन हाफिज सईद और मसूद अजहर जैसे आतंकवादियों को लेकर है कि कहीं भारत उनको भी सौंपे जाने की मांग तेज न कर दे. इसके अलावा जिस तरह से पिछले कुछ सालों में पाकिस्तान के अंदर भारत में हमला करने वाले ढेर हो रहे हैं, उससे पहले ही घबराया हुआ है. ये खौफ अबू कताल की हत्या के बाद बढ़ गया है.

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