सुप्रीम कोर्ट सोमवार को कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में जूनियर डॉक्टर की हत्या और बलात्कार के मामले की सुनवाई करेगा. सर्वोच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड की गई वाद सूची के अनुसार, मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जेबी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ 9 सितंबर को इस मामले की सुनवाई करेगी.
वहीं, रविवार को कोलकाता में न्याय की मांग को लेकर हजारों लोगों ने विरोध प्रदर्शन किया है. इसमें हर वर्ग के लोग शामिल हुए. कई शैक्षणिक संस्थानों के पूर्व छात्र, मिट्टी के मॉडलर, रिक्शा चालक और जूनियर डॉक्टर कोलकाता की सड़कों पर अलग-अलग तरीके से उतरे और एक महीने पहले हुए लेडी डॉक्टर के साथ बलात्कार और हत्या के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.
दक्षिण कोलकाता में 40 से अधिक स्कूलों के लगभग 4 हजार पूर्व छात्र, जिनमें बड़ी संख्या में महिलाएं थीं, ने पीड़िता के लिए न्याय की मांग करते हुए 2 किलोमीटर की दूरी तय की है. विभिन्न आयु वर्ग के छात्रों ने गरियाहाट से श्यामाप्रसाद मुखर्जी रोड के चौराहे तक रास बिहारी एवेन्यू से चलते हुए 'हमें न्याय चाहिए' के नारे लगाए. पीड़िता की मां लोगों का आभार जताया.
पीड़िता की मां ने कहा, "जब भी मैं उस रात अपनी बेटी द्वारा झेली गई पीड़ा और दर्द के बारे में सोचती हूं, तो मैं सिहर उठती हूं. ये सभी प्रदर्शनकारी मेरे बच्चे हैं.'' इस विरोध प्रदर्शन में बिनोदिनी गर्ल्स स्कूल, मित्रा इंस्टीट्यूशन, गरफा हाई स्कूल, कार्मेल हाई स्कूल और सेंट जॉन्स डायोसेसन जैसे संस्थानों के पूर्व छात्रों ने हिस्सा लिया. उन्होंने महिला सुरक्षा की मांग की है.

मूर्तिकार सनातन डिंडा और गायिका लग्नजीता भी इस जुलूस का हिस्सा रही हैं. सनातन डिंडा ने कहा, "एक महीना बीत चुका है, लेकिन हमारे भीतर की आग तब तक जलती रहेगी, जब तक कि अपराधियों को पकड़ नहीं लिया जाता है." आंदोलन का जाना-माना चेहरा लग्नजीता ने कहा, "जब तक हमारी बहन को न्याय नहीं मिल जाता, हम चैन से नहीं बैठेंगे. हम शांतिपूर्वक विरोध करेंगे.''
उधर, केंद्र ने हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय में एक आवेदन दायर किया है, जिसमें अस्पताल में सुरक्षा प्रदान करने के लिए नियुक्त सीआईएसएफ को रसद सहायता प्रदान करने में पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा असहयोग का आरोप लगाया गया. केंद्रीय गृह मंत्रालय ने अपने आवेदन में तृणमूल कांग्रेस सरकार के असहयोग को व्यवस्थागत अस्वस्थता का लक्षण बताया है.
राज्य के अधिकारियों को सीआईएसएफ को पूर्ण सहयोग देने का निर्देश देने की मांग की है. ऐसा न करने की स्थिति में कोर्ट से संबंधित राज्य सरकार के अधिकारियों के खिलाफ अदालत के आदेशों का जानबूझकर पालन न करने के लिए अवमानना कार्यवाही शुरू करने का आग्रह किया है. 22 अगस्त को इस मामले की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने कोलकाता पुलिस की खिंचाई की थी.