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फेक TRP कांडः BARC से मुंबई पुलिस ने मांगा व्यूअरशिप का रिकॉर्ड

एक गवाह ने कबूला है कि उसके आवास पर एक बैरोमीटर लगाया गया था और रिपब्लिक टीवी चैनल देखने के लिए उसे हर महीने 483 रुपये दिये जा रहे थे. मुंबई पुलिस ने इस मामले में ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल ऑफ इंडिया (BARC) को भी नोटिस भेजकर जांच के लिए सभी जरूरी दस्तावेज मुहैया कराने को कहा है. 

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फेक TRP: गवाह ने मानी पैसे मिलने की बात
फेक TRP: गवाह ने मानी पैसे मिलने की बात
स्टोरी हाइलाइट्स
  • मुंबई पुलिस ने किया है TRP घपले का खुलासा
  • पैसे लेकर रिपब्लिक टीवी देखते थे कुछ लोग
  • पुलिस ने BARC से मांगा व्यूअरशिप का रिकॉर्ड

फेक टीआरपी मामले में एक गवाह ने पुलिस के सामने यह स्वीकार किया है कि उसे रिपब्लिक टीवी चैनल देखने के लिए हर महीने 483 रुपये दिये जा रहे थे. मुंबई पुलिस ने इस मामले में ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल ऑफ इंडिया (BARC) को भी नोटिस भेजकर जांच के लिए सभी जरूरी दस्तावेज मुहैया कराने को कहा है. 

इस मामले के सभी आरोपियों को किला 37 कोर्ट में पेश किया जाएगा. इनमें चार आरोपी, दो टीवी चैनलों के मालिक और हंसा रिसर्च के दो लोग शामिल हैं. 

क्या कहा गवाह ने 

एक गवाह ने बताया कि उसके आवास पर एक बैरोमीटर लगाया गया था जिसके लिए उसे हर महीने 483 रुपये दिए जा रहे थे. गवाह ने कहा, 'जनवरी 2020 में आरोपी विशाल भंडारी और दिनेश विश्वकर्मा मेरे आवास पर आए. भंडारी और विश्वकर्मा ने मुझसे पूछा कि क्या मैं रिपब्लिक टीवी देखता हूं. मैंने उनसे कहा कि मुझे रिपब्लिक टीवी पसंद नहीं है. भंडारी और विश्वकर्मा ने कहा कि यदि मैं रिपब्लिक टीवी देखूंगा और टीवी पर रिपब्लिक टीवी लगाकर उसे ऑन रखूंगा तो इसके लिए मुझे 483 रुपये महीने मिलेंगे.' 

BARC को भी नोटिस

ब्रॉडकास्ट ऑडियंस रिसर्च काउंसिल ऑफ इंडिया (BARC) को भेजे नोटिस में मुंबई पुलिस की क्रिमिनल इंटेलीजेंस यूनिट ने उसे बताया है कि इस मामले में विशाल वेद भंडारी को गिरफ्तार किया गया है. 

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पुलिस ने BARC को भेजे नोटिस में बताया कि आरोपी ने यह कबूला है कि उसने कई परिवारों को पैसे देकर इस बात के लिए मनाया कि वे अपने घरों में बार्क मीटर लगाएं और हर दिन एक निर्धारित समय पर रिपब्लिक चैनल देखें. इस तरह से एक चैनल की व्यूअरशिप बढ़ाई गई जो कि टीआरपी से हेराफेरी का मामला है. इसलिए आगे जांच के लिए जरूरी दस्तावेज मुहैया कराएं. 

पुलिस ने आरोपी रिलेशनशिप मैनेजर भंडारी के कार्यक्षेत्र में आने वाले उन सभी परिवारों का ब्योरा बार्क से मांगा है जहां मीटर लगाए गए हैं. न्यूज व्यूअरशिप के आंकड़े भी मांगे गए हैं जहां रिपब्लिक टीवी की व्यूअरशिप को लेकर संदेह है. 

क्रिमिनल इंटेलीजेंस यूनिट ने BARC से पूछे ये सवाल 

मुंबई पुलिस की क्रिमिनल इंटेलीजेंस यूनिट (CIU) ने BARC  से कुछ खास सवाल पूछे हैं. 

1. क्या विशाल को रिलेशनशिप मैने​जर नियुक्त किया गया था? 

इसके जवाब में बार्क ने कहा कि विशाल को 83 परिवारों के लिए रिलेशनशिप मैनेजर बनाया गया था. 

2. BARC से पुलिस की CIU ने हर चैनल के बारे में जानकारी मांगी. लेकिन BARC ने सिर्फ 3 चैनलों के बारे में जानकारी दी-बॉक्स सिनेमा, फक्त मराठी और रिपब्लिक. 

3. BARC से यह पूछा गया कि कितने परिवारों के व्यूअरशिप में उन्होंने उछाल देखा था? 

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इसके जवाब में BARC ने कहा कि रिपब्लिक चैनल के मामले में ऐसे कम से कम 10 फीसदी परिवारों के मामले में. बार्क ने इसके बारे में पूरी ग्राफिकल एनालिटिकल रिपोर्ट दी. 

'रिपब्लिक पसंद नहीं करते थे, पैसे के लिए देखते थे!' 

मुंबई पुलिस की CIU ने ऐसे 10 परिवारों से बात की जिनके यहां रिपब्लिक चैनल की व्यूअरशिप में उछाल देखा गया था. इन परिवारों ने बताया कि वे अर्नब/रिपब्लिक को पसंद नहीं करते थे, लेकिन उन्हें यह चैनल देखने और टीवी ऑन रखने के लिए पैसे दिये गये. CIU ने अब CrPC की धारा 91 के तहत रिपब्लिक चैनल से भी जानकारी मांगी है. 

क्या है पूरा मामला

मुंबई पुलिस ने गुरुवार शाम टीवी चैनलों की टीआरपी को लेकर एक बड़ा खुलासा किया है. मुंबई पुलिस कमिश्नर परमबीर सिंह ने साफ-साफ कहा कि रिपब्लिक टीवी पैसे देकर अपनी टीआरपी बढ़ाता था. 

मुंबई पुलिस कमिश्नर का दावा है कि कुछ अनपढ़ों के घर भी अंग्रेजी चैनल देखा जाता था, जबकि कुछ बंद घरों में भी टीवी चलता रहता था. जिन घरों में टीआरपी मीटर लगे हुए हैं, उन्हें एक ही चैनल देखने के लिए पेमेंट की जाती थी.

मुंबई पुलिस ने कहा है कि टीआरपी से हेराफेरी के जिस रैकेट का गुरुवार को पर्दाफाश हुआ है उसमें उसे इंडिया टुडे के खिलाफ कोई साक्ष्य नहीं मिला है. मुंबई पुलिस के ज्वाइंट कमिश्नर मिलिंद भरांबे ने कहा है कि न ही आरोपी ने और न ही गवाह ने इंडिया टुडे का नाम लिया.

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